'जीरो टॉलरेंस' की नीति से माओवादी विद्रोह की क्षेत्रीय रीढ़ टूटी, अब तक 92 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त
'जीरो टॉलरेंस' नीति के चलते माओवादी विद्रोह की क्षेत्रीय रीढ़ टूट गई है। इस नीति के अंतर्गत अब तक 92 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गई है, जिससे माओवा ...और पढ़ें
-1765641335364.webp)
माओवाद विरोधी कार्रवाई में 92 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त। (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। विगत 11 वर्षों में केंद्र सरकार की 'जीरो टालरेंस' की नीति और सख्त कार्रवाइयों के परिणामस्वरूप माओवादी हिंसा में 70 प्रतिशत से अधिक की कमी आई है। नागरिक और सुरक्षा बलों की हताहतों की संख्या में भी भारी गिरावट आई है।
शीर्ष माओवादी नेतृत्व को व्यवस्थित रूप से निष्कि्रय कर दिया गया है और हजारों माओवादियों ने सशस्त्र संघर्ष के बजाय मुख्यधारा के जीवन को चुना है। हालांकि, प्रतिरोध के कुछ क्षेत्र अभी भी मौजूद हैं और इनके पूर्ण उन्मूलन के लिए 31 मार्च, 2026 की घोषित समय सीमा तक निरंतर सतर्कता की आवश्यकता है।
माओवादी विद्रोह की वैचारिक रीढ़ टूटी
माओवादी विद्रोह की वैचारिक और क्षेत्रीय रीढ़ टूट चुकी है जिससे उन क्षेत्रों में स्थायी शांति एवं विकास का मार्ग प्रशस्त हो गया है जो लंबे समय से इन दोनों से वंचित रहे हैं। केंद्र सरकार ने कई एजेंसियों की समन्वित कार्रवाई के माध्यम से 92 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त करके माओवादियों की वित्तीय सहायता को काफी हद तक सीमित कर दिया है और उनके सूचना नेटवर्क पर नियंत्रण कड़ा करके 'शहरी माओवादियों' को गंभीर नैतिक और मनोवैज्ञानिक क्षति पहुंचाई है।
देश को मार्च 2026 तक पूरी तरह से माओवाद मुक्त बनाने के ²ढ़ लक्ष्य को पूरा करने के लिए सरकार ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) में एक समर्पित विभाग बनाया है, जिसने 40 करोड़ रुपये जब्त किए हैं। राज्य अधिकारियों ने अतिरिक्त 40 करोड़ रुपये जब्त किए हैं, जबकि ईडी ने 12 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है।
एजेंसियों की समन्वित सख्त कार्रवाई से माओवादियों को मनोवैज्ञानिक क्षति
सरकार ने शनिवार को एक बयान में कहा, ''एक साथ की गई कार्रवाई ने शहरी माओवादियों को गंभीर नैतिक और मनोवैज्ञानिक क्षति पहुंचाई है और उनके सूचना युद्ध नेटवर्क पर नियंत्रण को और मजबूत किया है।'' माओवादी चरमपंथियों के खिलाफ की गई कार्रवाई का विस्तृत विवरण देते हुए सरकार ने कहा कि 2025 में माओवाद से ''सबसे अधिक प्रभावित'' केवल तीन जिले ही बचे हैं, जबकि 2014 में यह संख्या 36 थी। 2025 में अब तक 317 माओवादियों को निष्कि्रय किया जा चुका है, 862 को गिरफ्तार किया गया है और 1,973 ने आत्मसमर्पण किया है।
बयान में कहा गया है, ''कुल 28 शीर्ष माओवादी नेताओं को निष्कि्रय किया जा चुका है। इनमें 2024 में निष्कि्रय किया गया केंद्रीय समिति का एक सदस्य और 2025 में ढेर किए गए पांच सदस्य शामिल हैं।'' सुरक्षा बलों की प्रमुख सफलताओं को सूचीबद्ध करते हुए सरकार ने कहा कि आपरेशन ब्लैक फारेस्ट में 27 कट्टर माओवादी मारे गए। 23 मई, 2025 को बीजापुर में 24 ने आत्मसमर्पण किया।
अक्टूबर 2025 में कुल 258 (छत्तीसगढ़ में 197 और महाराष्ट्र में 61) ने आत्मसमर्पण किया, जिनमें 10 वरिष्ठ माओवादी शामिल थे। माओवाद प्रभावित जिलों की कुल संख्या 2014 में 126 से घटकर 2025 में मात्र 11 रह गई है। किलेबंद थानों की संख्या 2014 तक केवल 66 थी, जो पिछले 10 वर्षों में बढ़कर 586 हो गई है। माओवादी घटनाओं को दर्ज करने वाले थानों की संख्या 2013 में 76 जिलों में फैले 330 से घटकर जून, 2025 तक केवल 22 जिलों में 52 रह गई।
- प्रभावित क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे में बहुआयामी और निर्णायक सुधार
- छह वर्षों में 361 नए सुरक्षा शिविर स्थापित, परिचालन पहुंच मजबूत करने को 68 रात्रिकालीन हेलीपैड
- मई 2014 व अगस्त 2025 के बीच प्रभावित क्षेत्रों में 12,000 किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया गया
- दुर्गम क्षेत्रों में हर मौसम में 20,815 करोड़ की लागत वाली 17,589 किमी की परियोजनाओं को मंजूरी
- मोबाइल कनेक्टिविटी के लिए पहले चरण में 4,080 करोड़ रुपये की लागत से 2,343 (2जी) टावर लगे
- दूसरे चरण में 2,210 करोड़ के निवेश से 2,542 टावरों को मंजूरी, इनमें 1,154 पहले ही लगाए जा चुके
- आकांक्षी जिलों व 4जी संतृप्ति योजनाओं के तहत 8,527 (4जी) टावरों को मंजूरी, 5,357 टावर चालू हैं
- प्रभावित क्षेत्रों में 1,804 बैंक शाखा, 1,321 एटीएम की स्थापना, 37,850 बैंकिंग संवाददाताओं की तैनाती
- केंद्र सरकार ने 90 जिलों में 5,899 डाकघर भी खोले हैं, जिनकी कवरेज प्रत्येक पांच किलोमीटर पर है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।