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    असम में चार उग्रवादी संगठनों के 64 सदस्यों ने डाले हथियार, सीएम के सामने सरेंडर करने वालों में उल्फा का डिप्टी चीफ भी शामिल

    उग्रवाद के खिलाफ अभियान में असम सरकार को बड़ी कामयाबी हासिल हुई है। समचार एजेंसी पीटीआइ के मुताबिक असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल की मौजूदगी में सोमवार को गुवाहाटी में चार उग्रवादी संगठनों के 64 सदस्यों ने सरेंडर किया।

    By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Mon, 21 Dec 2020 11:21 PM (IST)
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    असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल की मौजूदगी में गुवाहाटी में चार उग्रवादी संगठनों के 64 सदस्यों ने सरेंडर कर दिया।

    गुवाहाटी, एजेंसियां। असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल के सामने सोमवार को विभिन्न उग्रवादी संगठनों के 64 सदस्यों ने हथियार डाले। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। इस मौके पर मुख्यमंत्री सोनोवाल ने उग्रवादियों से हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होकर राज्य के विकास में योगदान देने की अपील की। उन्होंने कहा कि समर्पण करने वाले उग्रवादियों को सरकार महत्व देती है और हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में लौटने वाले युवा सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं।

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    इन संगठनों के उग्रवादी शामिल   

    गुवाहाटी में सांस्कृतिक संस्थान श्रीमाता शंकरदेव कलाक्षेत्र में उग्रवादियों के समर्पण के बाद मुख्यमंत्री सभा को संबोधित कर रहे थे। समर्पण करने वालों में उल्फा के 18, यूनाइटेड पीपुल्स रिवोल्यूशनरी फ्रंट के 32, दिमासा नेशनल लिबरेशन आर्मी के 13 और पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड का एक उग्रवादी शामिल हैं।

    राजखोआ ने भी डाले हथियार 

    यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा-आइ) का डिप्टी कमांडर इन चीफ दृष्टि राजखोआ भी मुख्यमंत्री के सामने औपचारिक रूप से सरेंडर किया। हालांकि, वह सुरक्षा बलों के सामने 11 नवंबर को ही मेघालय के दक्षिण गारो हिल्स जिले में हथियार डाल चुका था। उल्फा सरगना परेश बरुआ के बाद दूसरे नंबर पर आने वाला राजखोवा के साथ संगठन के और चार शीर्ष उग्रवादियों ने हथियार डाले। 

    ये हथियार सौंपे 

    उग्रवादियों ने 14 एके सीरीज की राइफलें, एक एम-20 सेमी ऑटोमेटिक राइफल, 15 पिस्तौल, दो 9एमएम की कार्बाइन और अन्य आधुनिक हथियार एवं भारी मात्रा में गोला बारूद सौंपे। पुलिस और राज्य के गृह विभाग की तरफ से आयोजित कार्यक्रम में मुख्य सचिव जिष्नू बरुआ और पुलिस महानिदेशक भास्कर ज्योति महंत भी मौजूद थे। मालूम हो कि असम की आजादी की मांग करने वाले उल्फा (आइ) पर सरकार ने 1990 में ही प्रतिबंध लगा दिया था।

    अब तक डेढ़ हजार से उग्रवादी कर चुके समर्पण

    इस साल के शुरू में ही 23 जनवरी को विभिन्न उग्रवादी संगठनों के 644 सदस्यों ने आत्मसमर्पण किया था। इसके बाद ऐतिहासिक त्रिपक्षीय बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र शांति समझौते से पहले 30 जनवरी को नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी-एस) के म्यांमार में सक्रिय सभी 968 उग्रवादियों ने समर्पण किया था। यह समझौता केंद्र, असम सरकार और उग्रवादी संगठन के बीच हुआ था।