Manmohan Singh: 'कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी..' संसद में शायरी सुनाकर बटोरी थीं तालियां
आज जब पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह हमारे बीच नहीं हैं तो उनके संसद से जुड़े भाषणों के अंश इंटरनेट मीडिया पर तेजी से प्रसारित हो रहे हैं। इन्हीं में राज्यसभा में उन्होंने कवि इकबाल की पंक्तियां पढ़कर खूब तालियां बटोरी थीं। पंक्तियां थीं कि मिट गए मिस्त्र यूनान और रोमा लेकिन कायम है अब तक नामों निशान हमारा। कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी।

अरविंद पांडेय, नई दिल्ली। खुद को 'एक्सीडेंटल पीएम' बोले जाने पर पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने एक बार कहा था कि शायद लोगों को नहीं पता कि वह एक्सीडेंटल पीएम ही नहीं, बल्कि 'एक्सीडेंटल मिनिस्टर' भी रहे। वह पूरा किस्सा बड़ी ही साफगोई से बयां करते थे। ठीक ऐसे ही उनके संसद सदस्य बनने की कहानी भी बड़ी रोचक रही। वह देश के दो बार प्रधानमंत्री रहे, लेकिन कभी लोकसभा के सदस्य नहीं रहे।
33 वर्ष की पारी का अंत भी राज्यसभा से ही किया
उन्होंने अपनी संसदीय यात्रा की शुरुआत राज्यसभा से की थी और 33 वर्ष की पारी का अंत भी राज्यसभा से ही किया। हालांकि ऐसा भी नहीं था कि उन्होंने कभी लोकसभा के रास्ते संसद में आने की कोशिश नहीं की। वर्ष 1999 में उन्होंने दक्षिण दिल्ली से लोकसभा का चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गए। इसके बाद तो वह सदैव राज्यसभा के सदस्य ही रहे।
डॉ. सिंह1991 में राज्यसभा में असम से चुनकर तब पहुंचे थे, जब उन्हें नरसिंहराव की सरकार में वित्त मंत्री बनाया गया था। हालांकि इसके बाद वह राज्यसभा में विपक्ष के नेता भी रहे। बाद में राज्यसभा में रहते हुए देश के प्रधानमंत्री की भी बागड़ोर संभाली। राज्यसभा से जुड़े पुराने अधिकारियों के मुताबिक अमूमन वह कम बोलते थे, लेकिन जब भी बोले चाहे राज्यसभा रही हो या लोकसभा, सभी जगहों पर खूब तालियां बटोरी।
कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी- संसद में दिया था भाषण
आज जब पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंहहमारे बीच नहीं हैं, तो उनके संसद से जुड़े भाषणों के अंश इंटरनेट मीडिया पर तेजी से प्रसारित हो रहे हैं। इन्हीं में राज्यसभा के तत्कालीन सभापति हामिद अंसारी की विदाई के दौरान दिया गया उनका भाषण बेहद चर्चा में है, जिसमें उन्होंने कवि इकबाल की पंक्तियां पढ़कर खूब तालियां बटोरी थीं। पंक्तियां थीं, 'मिट गए मिस्त्र, यूनान और रोमा, लेकिन कायम है अब तक नामों निशान हमारा। कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी। सदियों रहा है दुश्मन, दौर ए जहां हमारा।'
शायरी बोलकर दिया था सुषमा स्वराज को जवाब
इतना ही नहीं, उन्होंने एक बार लोकसभा में भी भाजपा नेता सुषमा स्वराज के तीखे हमले का बड़े चुटीले अंदाज में जवाब दिया था। दरअसल जब स्वराज ने लोकसभा में मनमोहन सिंह को किसी बात पर घेरते हुए एक शायरी पढ़ते हुए कहा था, 'तू इधर-उधर की न बात कर, ये बता कि काफिला क्यूं लुटा..' इस पर मनमोहन सिंहने बगैर विचलित हुए व स्वराज को जवाब देते हुए एक शायरी पढ़ी।
उन्होंने पढ़ा था, 'माना कि तेरी दीद के काबिल नहीं हूं मैं, तू मेरा शौक देख मेरा इंतजार देख।' इसके बाद पूरा सदन जोरदार ठहाकों से गूंज गया था। खुद स्वराज भी मुस्कराती दिखी थीं। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंहछह बार राज्यसभा के सदस्य रहे। इनमें वह पांच बार असम से चुनकर आए थे, वहीं अंतिम बार वह राजस्थान से चुनकर आए थे। राज्यसभा में उनका अंतिम कार्यकाल अप्रैल, 2024 तक था।
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