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    Manipur Violence: नागाओं के गढ़ तक पहुंची हिंसा की आग, आखिर क्यों ये है चिंता का विषय?

    By Mahen KhannaEdited By: Mahen Khanna
    Updated: Sat, 19 Aug 2023 01:28 PM (IST)

    Manipur Violence मणिपुर में अब हिंसा नागा समुदाय के गढ़ उखरूल जिले तक जा पहुंची है। उखरूल में शुक्रवार तड़के गोलीबारी की घटना सामने आई है। उखरूल जिले में कुकी के तीन ग्रामीणों को प्रताड़ित किया और गोली मार दी जिससे 5 अगस्त को हुई आखिरी हिंसा की घटना के बाद से दो सप्ताह की शांति खत्म हो गई। ये घटना किस लिए चिंताजनक है आइए जानते हैं...

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    Manipur Violence मणिपुर में फिर हिंसा की घटना।

    इंफाल, ऑनलाइन डेस्क। Manipur Violence मणिपुर में हिंसा की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार, राज्य में बफर जोन बनाने के बाद भी रुक-रुक कर हिंसा देखने को मिली है। अब हिंसा नागा समुदाय के गढ़ तक पहुंच गई है। मणिपुर के उखरूल जिले में शुक्रवार तड़के गोलीबारी की घटना सामने आई है। 

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    भारी हथियारों से लैस लोगों के एक समूह ने उखरूल जिले में कुकी के तीन ग्रामीणों को प्रताड़ित किया और गोली मार दी, जिससे 5 अगस्त को हुई आखिरी हिंसा की घटना के बाद से दो सप्ताह की शांति खत्म हो गई।

    नागा बहुल जिले में हिंसा की पहली घटना

    तांगखुल नागा (Manipur Violence) बहुल जिले में हिंसा की यह पहली घटना है, जो मणिपुर में अब तक सांप्रदायिक हिंसा से अछूता था। जब उन पर हमला हुआ तो पीड़ित अपने गांव थोवई की रखवाली कर रहे थे। पुलिस को जांच में तीन क्षत-विक्षत शव मिले, जिनपर तेज चाकूओं से वार के निशान थे।

    चिंताजनक है नागा समुदाय पर हमला 

    ये घटना काफी चिंताजनक है। ऐसा इसलिए, क्योंकि मणिपुर में नागा अब तक कुकी और मैतेई के बीच चल रहे संघर्ष में तटस्थ रहे हैं। नागा समुदाय पर हमला होने के बाद हिंसा फिर छिड़ने का खतरा हो सकता है।

    एक खूनी इतिहास

    इससे पहले 1990 के दशक में नागाओं और कुकी के बीच हिंसक झड़पें देखी गईं थी, जिनमें सैकड़ों लोग मारे गए। उस समय संघर्ष मुख्य रूप से भूमि को लेकर था। मणिपुर की पहाड़ियों में कुकी अपनी "मातृभूमि" होने का दावा करते हैं, उसका बड़ा हिस्सा ग्रेटर नागालैंड या नागालिम के साथ ओवरलैप हो गया। इसे नागा अपनी मातृभूमि मानते हैं।

    अब, नागाओं का विचार है कि यदि मैतेई और कुकी के बीच (सरकारी हस्तक्षेप के माध्यम से) कोई समझौता होता है और उन्हें पहाड़ियों में फिर से बसाया जाता है, तो नागाओं को संसाधनों को साझा करना पड़ सकता है। यह, लंबे समय में एक बड़े संघर्ष का परिणाम हो सकता है।

    'हर कोई बोलने को स्वतंत्र है'

    हिंसा के बीच मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने शुक्रवार को कहा, 

    इस महत्वपूर्ण मोड़ पर, मतभेद होंगे, लेकिन आम जनता को एक साथ आना चाहिए और नुकसान के तीन-चार महीनों की भरपाई के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए। 

    कुकी विधायकों द्वारा पूर्वोत्तर राज्य के पांच पहाड़ी जिलों के लिए एक अलग मुख्य सचिव और डीजीपी के लिए पीएम मोदी से अनुरोध करने के दो दिन बाद सीएम ने यह भी कहा कि लोकतंत्र में हर किसी को स्वतंत्र रूप से बोलने का अधिकार है।

    मणिपुर में क्यों हुई हिंसा

    मणिपुर में 3 मई को जातीय हिंसा शुरू हुई थी, जिसमें अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। राज्य में बहुसंख्यक मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा की मांग के विरोध में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' आयोजित किया गया था, जिसके बाद मैतेई और कुकी समुदाय के बीच झड़प शुरू हो गई।

    मणिपुर की आबादी में मैतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। वहीं, आदिवासी जो 40 प्रतिशत हैं, उनमें नागा और कुकी शामिल हैं। वे ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं।