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    Manipur Horror: 'मणिपुर हिंसा राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा', आईएनडीआईए ने कहा: दिन-ब-दिन बिगड़ रहे हालात

    By AgencyEdited By: Anurag Gupta
    Updated: Sun, 30 Jul 2023 09:10 PM (IST)

    कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि राज्यपाल ने हमारी बातें सुनीं और उन पर सहमति जताई। चौधरी ने कहा कि राज्यपाल का भी सुझाव था कि मैतेई तथा कुकी समुदायों के बीच अविश्वास खत्म करने के लिए सभी दलों के एक संयुक्त प्रतिनिधिमंडल को उनसे बातचीत करने के लिए मणिपुर का दौरा करना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि मणिपुर में हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रहे हैं।

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    विपक्षी गठबंधन आईएनडीआईए के नेता (फोटो: पीटीआई)

    इंफाल, पीटीआई। विपक्षी दलों के गठबंधन आइएनडीआइए (INDIA) ने रविवार को कहा कि मणिपुर हिंसा (Manipur Violence) सीधे-सीधे राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा है। अगर मणिपुर में करीब तीन महीने से चल रही जातीय हिंसा के मुद्दे को जल्द हल नहीं किया जाता है तो इससे देश के लिए सुरक्षा संबंधी समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

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    विपक्षी सांसदों ने राज्यपाल से की मुलाकात

    विपक्षी दलों के गठबंधन के 21 सांसदों के प्रतिनिधिमंडल ने मणिपुर का दो दिवसीय दौरा करने के बाद राज्यपाल अनसुइया उइके (Anusuiya Uikey) से मुलाकात की और उन्हें राज्य के मौजूदा हालात पर एक ज्ञापन सौंपा।

    'संसद में रिपोर्ट पेश करेंगे सांसद'

    बैठक के बाद राजभवन के बाहर पत्रकारों से बातचीत में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि राज्यपाल ने हमारी बातें सुनीं और उन पर सहमति जताई। चौधरी ने कहा कि राज्यपाल का भी सुझाव था कि मैतेई तथा कुकी समुदायों के बीच अविश्वास खत्म करने के लिए सभी दलों के एक संयुक्त प्रतिनिधिमंडल को उनसे बातचीत करने के लिए मणिपुर का दौरा करना चाहिए।

    उन्होंने कहा कि सांसदों ने मणिपुर में जो स्थिति देखी, उसके बारे में संसद में रिपोर्ट पेश करेंगे और केंद्र सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश करेंगे। उन्होंने दावा किया कि मणिपुर में हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रहे हैं।

    कांग्रेस नेता ने दावा किया,

    ऐसे हालात बन गए हैं कि घाटी के लोग यानी मैतेई पर्वतीय क्षेत्र में नहीं जा सकते जहां कुकी रहते हैं और पर्वतीय क्षेत्र के लोग घाटी में नहीं आ सकते हैं। राशन, चारा, दूध, बच्चों के भोजन और अन्य आवश्यक सामान की राज्य में भारी किल्लत है। छात्रों की शिक्षा पर भी असर पड़ा है। हमने राज्यपाल को ये सभी बातें बताई हैं जिन्होंने कहा कि इन मुद्दों को मिलकर हल किया जाना चाहिए।

    विपक्ष का प्रतिनिधिमंडल दोपहर को दिल्ली के लिए रवाना हुआ था। प्रतिनिधिमंडल जमीनी हालात का जायजा लेने के लिए शनिवार को मणिपुर पहुंचा था तथा कई राहत शिविरों में जाकर हिंसा पीड़ितों से मुलाकात की थी।

    प्रतिनिधिमंडल में कौन-कौन रहा शामिल?

    इस प्रतिनिधिमंडल में अधीर के अलावा लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई, टीएमसी की सुष्मिता देव, द्रमुक की कनिमोरी, रालोद के जयंत चौधरी, राजद के मनोज कुमार झा, आप के सुशील गुप्ता आदि भी शामिल रहे।

    अबतक कितने लोगों की हुई मौत?

    मणिपुर में तीन मई को आदिवासी एकजुटता मार्च के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अबतक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इंफाल घाटी में रहने वाले मैतेयी समुदाय की आबादी करीब 53 प्रतिशत है, जबकि पहाड़ी इलाकों में रहने वाले कुकी और नगा जैसे आदिवासियों की आबादी 40 प्रतिशत है।

    ज्ञापन में क्या कुछ कहा गया?

    ज्ञापन में कहा गया कि शांति एवं सौहार्द बहाल किया जाए ज्ञापन में प्रधानमंत्री पर मणिपुर के हालात के प्रति घोर उदासीनता और चुप्पी साधने का आरोप लगाया गया। कहा गया कि सरकारी तंत्र राज्य में तीन माह से चल रही हिंसा पर काबू पाने में पूरी तरह नाकाम रहा है।

    ज्ञापन में मांग की गई कि राज्य में शांति तथा सौहार्द बहाल किया जाए। प्रभावित लोगों के तत्काल पुनर्वास की व्यवस्था की जाए। पिछले तीन महीने से लगातार इंटरनेट पाबंदी निराधार अफवाहों को हवा दे रही है, इससे भी समुदायों के बीच अविश्वास बढ़ रहा है। समुदायों में गुस्सा तथा अलगाव की जो भावना है, उसे बिना किसी विलंब के निपटाया जाना चाहिए। पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी कानून व्यवस्था को सुदृढ़ किया जाए।