Manipur Violence: मणिपुर में इंटरनेट सेवा बहाल, SC ने राज्य सरकार से सीलबंद लिफाफे में मांगी पूरी डिटेल
मणिपुर के 9 जिलों में एक बार फिर से इंटरनेट सेवा को बहाल कर दिया गया था। 16 नवंबर से इंटरनेट सेवाएं इन जिलों में बंद थी। सोमवार को मणिपुर के मामले में सुप्रीम कोर्ट भी सख्त नजर आया। एससी ने राज्य सरकार को निर्देश दिए कि राज्य में जातीय हिंसा के दौरान पूरी तरह या आंशिक रूप से जलाये गये आवासों और संपत्तियों की जानकारी कोर्ट में उपलब्ध कराए।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। Manipur Violence: सोमवार को मणिपुर से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट सख्त नजर आया। कोर्ट ने राज्य द्वारा विस्थापित व्यक्तियों की शिकायतों का समाधान करने तथा उनकी संपत्तियों को बहाल करने के लिए कदम उठाने की आवश्यकता पर बल दिया। एससी ने मणिपुर सरकार से जलाए गए या आंशिक रूप से जलाए गए भवनों, लूटे गए भवनों, अतिक्रमण किए गए भवनों या अतिक्रमण किए गए भवनों जैसे विशिष्ट विवरण प्रदान करने का निर्देश दिया है।
वहीं, राज्य के नौ जिलों में एक बार फिर से इंटरनेट सेवाल बहाल कर दी गई है। राज्य सरकार ने सोमवार को 23 दिनों के बाद सभी जिलों से इंटरनेट प्रतिबंध हटा लिया। राज्य के संवेदनशील इलाकों में मौजूदा कानून व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया है।
मणिपुर में इंटरनेट सेवा बहाल
राज्य के सबसे ज्यादा हिंसा प्रभावित जिलों में मौजूदा कानून व्यवस्था की स्थिति को परखने के बाद इंटरनेट सेवा को बहाल किया गया है। आयुक्त (गृह) एन अशोक कुमार द्वारा जारी आदेश में कहा गया कि राज्य सरकार ने राज्य में मौजूदा कानून व्यवस्था की स्थिति और इंटरनेट सेवाओं के सामान्य संचालन के साथ इसके संभावित सह-संबंध की समीक्षा करने के बाद मणिपुर के इंफाल पश्चिम, इंफाल पूर्व, बिष्णुपुर, थौबल, काकचिंग, जिरीबाम, चुराचंदपुर, कांगपोकपी और फेरजावल के क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र में इंटरनेट और डेटा सेवाओं के सभी प्रकार के अस्थायी निलंबन को तत्काल प्रभाव से हटाने का फैसला किया है।
16 नवंबर से बंद था इंटरनेट
जानकारी दें कि पिछले महीने जीरी और बराक नदियों तीन महिलाओं और तीन बच्चों का शव संदिग्ध परिस्थियों में मिला था। इसके बाद राज्य में फिर से हिंसा भड़क उठी थी। इस हिंसा के बाद कानून व्यवस्था को ठीक रखने के लिए 16 नवंबर को इन जिलों में इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी गई थीं। उसी समय से मोबाइल इंटरनेट पर प्रतिबंध कई बार बढ़ाया जा चुका है।
मणिपुर मामले में सुप्रीम कोर्ट सख्त
सोमवार को मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने राज्य द्वारा विस्थापित व्यक्तियों की शिकायतों का समाधान करने तथा उनकी संपत्तियों को बहाल करने के लिए कदम उठाने की आवश्यकता पर बल दिया। इसलिए इसने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा प्रतिनिधित्व की गई मणिपुर सरकार से जलाए गए या आंशिक रूप से जलाए गए भवनों, लूटे गए भवनों, अतिक्रमण किए गए भवनों या अतिक्रमण किए गए भवनों जैसे विशिष्ट विवरण प्रदान करने को कहा।
मामले को लेकर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि रिपोर्ट में इन संपत्तियों के मालिकों और वर्तमान में रहने वालों के बारे में जानकारी भी दी जानी चाहिए, साथ ही अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ की गई किसी भी कानूनी कार्रवाई का विवरण भी दिया जाना चाहिए।
राज्य सरकार को देने होंगे ये विवरण
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा आदेश में कहा कि हम राज्य सरकार को निम्नलिखित विवरण प्रदान करने का भी निर्देश देते हैं, जिसमें जली हुई और आंशिक रूप से जली हुई इमारतें, लूटी गई इमारतें और अतिक्रमण और अतिक्रमण वाली इमारतें शामिल हैं। ये जानकारी कोर्ट कोर्ट को एक सीलबंद लिफाफे में दी जानी है। इस मामले में अगली सुनवाई 20 जनवरी 2025 को होगी।
अगस्त, 2023 में, शीर्ष अदालत ने मणिपुर जातीय हिंसा से संबंधित दलीलों पर ध्यान दिया और कई निर्देश पारित किए। इसके बाद इसने पीड़ितों के राहत और पुनर्वास और उन्हें मुआवजा देने की निगरानी के लिए तीन पूर्व महिला उच्च न्यायालय न्यायाधीशों वाली एक समिति गठित करने का आदेश दिया और साथ ही महाराष्ट्र के पूर्व पुलिस प्रमुख दत्तात्रेय पडसलगीकर को आपराधिक मामलों की जांच की निगरानी करने के लिए कहा था।
200 से अधिक लोगों की गई है जान
3 मई, 2023 को राज्य में पहली बार जातीय हिंसा भड़कने के बाद से 200 से अधिक लोग मारे गए हैं, कई सौ घायल हुए हैं और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं, जब बहुसंख्यक मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में "आदिवासी एकजुटता मार्च" का आयोजन किया गया था।
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