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    Manipur: 'गाड़ी से आए और शुरू कर दी गोलीबारी', जिरीबाम हिंसा में जिंदा बचे दो भाइयों ने बताई उस रात की पूरी आपबीती

    Updated: Sat, 30 Nov 2024 04:29 PM (IST)

    Manipur Violence मणिपुर के जिरीबाम में हुई जघन्य घटना ने राज्य के साथ पूरे देश को हिला दिया था जिसमें एक परिवार के छह लोगों का अपहरण कर हत्या कर दी गई थी। परिवार के 2 बच्चों ने इस घटना में किसी तरह छिपकर अपनी जान बचाई और अब उन्होंने उस रात की पूरी आपबीती अपने शब्दों में बयां की है। पढ़ें उन्होंने क्या-क्या किया खुलासा।

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    जिरीबाम हिंसा में मारे गए अपने परिवार के छह सदस्यों की मौत पर शोक व्यक्त करतीं महिलाएं। (Photo- Reuters)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मणिपुर के जिरीबाम में भयानक हिंसक घटना में एक ही परिवार के छह लोगों का अपहरण कर उनकी हत्या कर दी गई थी। इस घटना के बाद एक बार फिर राज्य में हिंसा तेज हो गई है। हिंसा में पीड़ित परिवार के दो बच्चे, जो कि आपस में भाई हैं, सुरक्षित बच निकले। उन्होंने किसी तरह छिपकर अपनी जान बचाई थी। उनमें से बड़े भाई की उम्र 14 साल है एवं छोटे भाई की उम्र 12 साल।

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    अब दोनों भाइयों ने मीडिया को पूरा आंखों देखा हाल बताया है कि उस रात क्या-क्या हुआ था। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार उनकी मां, आठ साल की बहन, दादी, मां की बहन, उसका शिशु और तीन साल के बेटे को कुकी उग्रवादी उठाकर ले गए थे और बाद में उनकी हत्या कर दी थी। दोनों भाइयों में से बड़े भाई ने कहा कि वह हथियारबंद उग्रवादियों से भागने में कामयाब रहा। वहीं छोटे भाई ने बताया कि वह अपने अंकल-आंटी के साथ पास के एक दूसरे घर में था और वे सभी खेत में छिप गए थे।

    छोटे भाई ने खेत में छिपकर बचाई जान 

    छोटे भाई ने आंखो देखा हाल बताते हुए टीवी चैनल से कहा,

    मैं एक खेत में छिपा हुआ था। मैं उठ नहीं पा रहा था, क्योंकि मुझे गोली लगने का डर था। मैं अपने चाचा के साथ दूसरे घर में था, जो चार घर दूर था। जब मैं बाहर देखने गया तो कुकी लोग गाली-गलौज करते हुए आए। सीआरपीएफ वहां थी, लेकिन वे सभी दोपहर का भोजन करने गए थे। केवल एक (सैनिक) पीछे रह गया था।

    छोटे भाई ने बताया कि हमलावरों में महिलाएं भी शामिल थीं। उसने कहा,

    वे दो भरी हुई गाड़ियों में आए, कुछ पैदल आए। वे डीजल ऑटोरिक्शा थे, बड़े वाले। उन्होंने चारों तरफ से घेर लिया। मैंने नहीं देखा कि वहां कितनी महिलाएं थीं, लेकिन मैंने उनके चेहरे देखे। मैंने उन्हें घरों में आग लगाते नहीं देखा। मैंने अपने अंकल और आंटी के साथ खेत में छिपते हुए वहां से धुआं उठते देखा। मेरा भाई मेरी मां के साथ था। वह भागने में कामयाब रहा।

    भागने में कामयाब रहा बड़ा भाई

    तीन भाई-बहनों में सबसे बड़े भाई ने भी बताया कि हमलावर ऑटोरिक्शा में आए थे। वह उस वक्त अपनी मां, बहन और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ था। उसने हमले के बारे में बताते हुए कहा,

    वे हथियारबंद थे। वे बाहर कूदे और घर पर गोलीबारी शुरू कर दी। उनमें से दो आए और दरवाजा लात मारकर तोड़ दिया। उन्होंने हमें बाहर जाने को कहा, जो हमने किया। कुल चार लोग बाहर थे। उनमें से एक ने मेरा हाथ पकड़ा और बंदूक की बट से मेरे चेहरे पर मारा। यहां बहुत सूजन थी (चेहरे की ओर इशारा करते हुए)। मैं भागने में कामयाब रहा। उन्होंने कुछ राउंड फायर किए। उन्हें (परिवार को) बंदूक की नोक पर ले जाया गया। मैं पास के एक खेत में छिप गया। मैंने देखा कि एक कैस्पर (बख्तरबंद वाहन) उनका पीछा करते हुए बाजार की ओर, घाट की ओर जा रहा था। यह एक सीआरपीएफ कैस्पर था। छोटा, सफेद रंग का, जो स्कॉर्पियो जैसा दिखता है। यह गोलीबारी में क्षतिग्रस्त हो गया। हमने गोलियों की आवाज़ सुनी।