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    Manipur: इंफाल में अंतिम बचे 10 कुकी परिवारों को किया गया शिफ्ट, सामान पैक करने का भी नहीं दिया समय

    By AgencyEdited By: Nidhi Avinash
    Updated: Sun, 03 Sep 2023 01:37 PM (IST)

    मणिपुर में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से लगभग 300 आदिवासी परिवारों ने अपना घर छोड़ दिया है। इसी बीच इंफाल में 10 कुकी परिवारों में से अंतिम परिवार कांगपोकपी में स्थानांतरित किए गए। कुकी परिवार ने आरोप लगाया है कि उन्हें न्यू लाम्बुलेन क्षेत्र में मोटबुंग में उनके आवासों से जबरन बेदखल किया गया है। बता दें मणिपुर की आबादी में मेइतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है।

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    इंफाल में अंतिम बचे 10 कुकी परिवारों को किया गया शिफ्ट (Image: Reuters)

    इंफाल, एजेंसी। मणिपुर के इंफाल में 10 कुकी परिवारों को कांगपोकपी में स्थानांतरित किया गया। चार महीने पहले राज्य मे जातीय हिंसा भड़कने के बावजूद वह अपने घरों को छोड़ कर कहीं नहीं गए थे।

    एक अधिकारी ने बताया कि इन परिवारों को शनिवार (2 सितंबर) की सुबह ही उत्तरी किनारे पर कुकी-प्रभुत्व वाले कांगपोकपी जिले में ले जाया गया, क्योंकि ये हमलावरों के टारगेट में बने हुए थे। 10 कुकी परिवारों को इंफाल से लगभग 25 किमी दूर कांगपोकपी जिले के मोटबुंग तक 'सुरक्षित मार्ग' प्रदान किया गया।

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    कुकी परिवार का आरोप

    इन सब के बीच कुकी परिवार ने आरोप लगाया है कि उन्हें न्यू लाम्बुलेन क्षेत्र में मोटबुंग में उनके आवासों से जबरन बेदखल किया गया है। कुकी इलाके की सुरक्षा करने वाले स्वयंसेवकों में से एक एस प्राइम वैफेई ने दावा किया है कि कुछ वर्दीधारी सशस्त्र कर्मियों की एक टीम 1 सितंबर की रात इंफाल के न्यू लाम्बुलेन में आई और 2 सितंबर को इम्फाल में कुकी इलाके में बचे अंतिम निवासियों को उनके घरों से जबरन बेदखल कर दिया गया।

    300 आदिवासी परिवारों ने छोड़ा अपना घर

    न्यू लैंबुलेन क्षेत्र में रहने वाले लगभग 300 आदिवासी परिवार 3 मई को जातीय हिंसा शुरू होने के बाद से अपना घर छोड़ चुके है। वैफेई ने एक बयान में कहा, 'हममें से 24 लोगों को अपना सामान पैक करने का भी समय नहीं दिया गया और हमें केवल पहने हुए कपड़ों के साथ वाहनों में ले गए। बता दें कि मणिपुर की आबादी में मेइतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं। आदिवासी - नागा और कुकी - 40 प्रतिशत से कुछ अधिक हैं और पहाड़ी जिलों में रहते हैं।