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    सुप्रीम कोर्ट ने मानिकराव कोकाटे की दोषसिद्धि पर लगाई रोक, विधायकी रहेगी बरकरार

    Updated: Mon, 22 Dec 2025 12:19 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के खेल मंत्री और एनसीपी नेता माणिकराव कोकाटे को 1995 के धोखाधड़ी मामले में बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने उनकी सजा पर रोक लगा द ...और पढ़ें

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    NCP नेता मानिकराव कोकाटे को सुप्रीम कोर्ट से राहत (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। महाराष्ट्र के खेल मंत्री और एनसीपी नेता माणिकराव कोकाटे को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीमकोर्ट ने 1995 के धोखाधड़ी मामले में सीनियर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नेता माणिकराव कोकाटे की सजा पर रोक लगा दी है, जिससे वह विधायक के तौर पर अयोग्य नहीं होंगे।

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    दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के पूर्व मंत्री और पांच बार के विधायक मानिकराव कोकाटे को धोखाधड़ी मामले में बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत द्वारा सुनाई गई दोषसिद्धि पर रोक लगा दिया है, साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया है कि इस फैसले के चलते कोकाटे की विधानसभा सदस्यता खत्म नहीं होगी। यानी मानिकराव कोकाटे विधायक बने रहेंगे, उन्हें अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता।

    हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी क्लियर कर दिया है कि इस राहत का मतलब यह नहीं है कि कोकाटे किसी भी 'ऑफिस ऑफ प्रॉफिट' यानी लाभ के पद पर बने रह सकते हैं। इसका मतलब यह है कि वह फिलहाल मंत्री पद या किसी अन्य सरकारी लाभ के पद पर नहीं रह पाएंगे।

    क्या है पूरा मामला?

    कोकाटे पर आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए सरकारी योजना में झूठा हलफनामा दाखिल कर फ्लैट हासिल करने का आरोप है। सुनवाई के दौरान जस्टिस संजय करोल और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने कहा कि आय की घोषणा न करना अपने आप में किसी दस्तावेज को जाली (फर्जी) नहीं बनाता।

    इस पर मानिकराव कोकाटे के वकील मुकुल रोहतगी ने कोर्ट में दलील दी कि जिस कथित अपराध का आरोप है, वह 1989 का है, उस वक्त कोकाटे न तो विधायक थे और न ही किसी संवैधानिक पद पर थे, बल्कि एक वकील के तौर पर काम कर रहे थे। कोकाटे के वकील कहा कि क्या 1989 में एक वकील 30 हजार रुपये नहीं कमा सकता?

    दोषसिद्धि पर रोक

    मानिकराव कोकाटे के वरिष्ठ वकील मुकुल की दलील पर भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) ने नोटिस जारी करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता की दोषसिद्धि पर फिलहाल इस हद तक रोक रहेगी कि उसके कारण विधानसभा की सदस्यता खत्म न हो।

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