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    कोलकाता के लॉ कॉलेज में दहशत का दूसरा नाम था 'मैंगो', मनोजित मिश्रा पर गैंगरेप के आरोप से पहले ही था महिलाओं में डर का माहौल

    Updated: Mon, 30 Jun 2025 02:17 AM (IST)

    मनोजित की राजनीतिक पकड़ ही उसकी असली ताकत थी। वह 2007 में कॉलेज में दाखिल हुआ था और फिर 2017 में दोबारा नामांकन लिया लेकिन दोनों बार पढ़ाई पूरी नहीं की। 2017 में कॉलेज की आधिकारिक TMCP यूनिट भंग होने के बाद भी मनोजित का प्रभाव कम नहीं हुआ। वह कॉलेज के व्हाट्सएप ग्रुप चलाता था जहां से छात्रों को अपनी मर्जी से निकाल देता था।

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    कोलकाता के लॉ कॉलेज में दहशत का दूसरा नाम था मैंगो (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कोलकाता के एक प्रतिष्ठित लॉ कॉलेज में पढ़ने वाले मनोजित मिश्रा उर्फ 'मैंगो' के खिलाफ गैंगरेप के गंभीर आरोप सामने आने से पहले भी कॉलेज की छात्राएं उसे उसके कानूनी ज्ञान से ज्यादा उसके दबदबे और डर के लिए जानती थीं।

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    कॉलेज से जुड़े एक अंदरूनी सूत्र ने बताया कि मनोजित महिलाओं के निजी पलों को रिकॉर्ड करता था, उनकी तस्वीरों से छेड़छाड़ कर व्हाट्सएप ग्रुप में मजाक उड़ाता था।

    एक पूर्व छात्रा ने बताया “वह महिलाओं के साथ निजी पलों की रिकॉर्डिंग करता और दोस्तों को दिखाता था। वह और उसके साथी लड़कियों की तस्वीरें लेकर ग्रुप में डालते थे और उनका मजाक उड़ाते थे”।

    नहीं हुई कार्रवाई

    एक अन्य सूत्र के अनुसार, मनोजित के खिलाफ छेड़छाड़, उत्पीड़न, मारपीट और ब्लैकमेलिंग तक की शिकायतें कॉलेज प्रशासन और पुलिस तक पहुंच चुकी थीं। सूत्र ने कहा"पार्टी को भी सूचित किया गया था, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई"।

    वास्तव में, मनोजित की राजनीतिक पकड़ ही उसकी असली ताकत थी। वह 2007 में कॉलेज में दाखिल हुआ था और फिर 2017 में दोबारा नामांकन लिया, लेकिन दोनों बार पढ़ाई पूरी नहीं की।

    राजनीति से मिली ताकत

    2021 में त्रिणमूल छात्र परिषद (TMCP) की कॉलेज यूनिट से उसे निष्कासित कर दिया गया था, लेकिन वह 2022 में कॉलेज में बतौर कॉंट्रैक्ट स्टाफ लौटा, जिसके पास गवर्निंग बॉडी का अपॉइंटमेंट लेटर था। उसी साल उसने फॉर्मली ग्रेजुएशन पूरी की और अलीपुर कोर्ट में वकालत शुरू की।

    लड़कियों को करता था टारगेट

    2017 में कॉलेज की आधिकारिक TMCP यूनिट भंग होने के बाद भी मनोजित का प्रभाव कम नहीं हुआ। बताया जाता है कि वह बिना किसी आधिकारिक पद के कॉलेज में तानाशाही तरीके से काम करता था।

    वह कॉलेज के व्हाट्सएप ग्रुप चलाता था, जहां से छात्रों को अपनी मर्जी से निकाल देता था, स्टाफ रूम तक खुला पहुंच था और कॉलेज कार्यक्रमों की व्यवस्था अपने हिसाब से करता था। छात्रों का कहना है कि उसकी लीडरशिप डर और महिलाओं के प्रति घृणा से भरी हुई थी।

    समाज में था बदनाम

    कोलकाता के कालीघाट इलाके में रहने वाला मनोजित अपने घर में अकेला रहता था। उसके पिता रॉबिन मिश्रा, जो एक स्थानीय पुजारी हैं उन्होंने पांच साल पहले उससे रिश्ता तोड़ लिया था। दोनों एक ही गली में रहते हैं, लेकिन बात तक नहीं करते।

    उसके पिता ने कहा “अगर उसने गलत किया है, तो उसे सजा मिलनी चाहिए। पीड़िता भी किसी की बेटी है”। पड़ोसियों के मुताबिक, मनोजित का व्यवहार उग्र और हिंसक था।