मान सिंह के वंशजों ने बिग-बी को अपने गांव बुलाया
आगरा [राजीव सक्सेना]। शोले में डाकू गब्बर से लोहा लेने वाले अमिताभ बच्चन बचपन में चंबल के मशहूर दस्यु मान सिंह का नाम आते ही दहशत से भर जाते थे। उन्होंने अपने बचपन की यादों को ब्लॉग पर उकेरा तो चंबल में भी मान सिंह की यादों के झरोखे खुल पड़े। खेड़ा राठौर गांव में इनके वंशज नहीं मानते कि मान सिंह डाकू थे। आज ठाकुर बाबा के नाम से
आगरा [राजीव सक्सेना]। शोले में डाकू गब्बर से लोहा लेने वाले अमिताभ बच्चन बचपन में चंबल के मशहूर दस्यु मान सिंह का नाम आते ही दहशत से भर जाते थे। उन्होंने अपने बचपन की यादों को ब्लॉग पर उकेरा तो चंबल में भी मान सिंह की यादों के झरोखे खुल पड़े। खेड़ा राठौर गांव में इनके वंशज नहीं मानते कि मान सिंह डाकू थे। आज ठाकुर बाबा के नाम से उनका मंदिर है। आसपास के लोग इस बाबा के प्रति श्रद्धा भाव रखते हैं।
'शहंशाह' की के ताजा ब्लॉग पर मान सिंह के वंशज अभिभूत हैं। उनके पौत्र नरेश सिंह कहते हैं, 'बिग बी ने भी हमारे पितामह के बारे में उल्लेख कर उनके प्रति अपनी श्रद्धा दिखाई है। इसके लिए हमने उनको धन्यवाद पत्र के साथ निमंत्रण पत्र भेजा है।' उन्होंने 'जागरण' को बताया, हमें अब तक इस संबंध में ज्यादा जानकारी नहीं थी, लेकिन वह परिवार के सम्मान के लिए बीहड़ में कूदे थे। उन्होंने जीवन की आखिर सांस तक मान-मर्यादा का पूरा ख्याल रखा।
वैसे मान सिंह के परोपकार और न्याय के किस्से अक्सर सुनने में आते हैं। घाटी में न भूले जा सकने वाले ऐसे कई उदाहरण हैं। नरेन्द्र कहते हैं कि उन्हें और परिवारवालों को खुशी होगी अगर अमिताभ स्वयं उनके गांव खेड़ा राठौर आएं। वह यहां समय के साथ आए बदलाव को महसूस करें। सुझाव दें कि अब समय की रफ्तार के साथ कैसे बदला जाए, जिससे इस दस्यु क्षेत्र के विकास में मदद मिले।
परिवार में मान सिंह के जीवन को नजदीक से देखने वाले बुजुर्ग चाचा जंडेल सिंह ही बचे हैं।
अब खेड़ा राठौर में डाकू मान सिंह बागी सरदार से ठाकुर बाबा बनकर पूज्य हो गए हैं। 1990 में इस पैतृक गांव में मान सिंह के मंदिर का निर्माण हुआ। इसकी ख्याति दर्शनीय स्थल के रूप में पूरी चंबल घाटी और उससे आसपास के क्षेत्र तक है। आगरा, इटावा, भिंड, मुरैना, ग्वालियर और धौलपुर में चंबल घाटी के छह जनपदों में मंदिर के प्रति आस्था रखने वालों की संख्या बहुत बड़ी है। आसपास के क्षेत्र में मान सिंह को लोग डाकू सुनना कबूल नहीं करते।
गांव के सुरेश सिंह कहते हैं कि वह डाकू नहीं परोपरकारी थे। अमीरों से लेकर गरीबों को बांटते थे।उनका जमींदार परिवार से संबंध था। बाद में वह बीहड़ में उतर गए। वहां 1939 से 1955 के बीच 1112 वारदातें कीं। इस दौरान 185 हत्याएं उनके 17 सदस्यीय गैंग के नाम दर्ज हुई। अमिताभ के ससुर तरुन भादुड़ी ने डाकू मान सिंह का एक उल्लेख चंबल घाटी पर लिखी अपनी पुस्तक 'अभिशप्त चंबल' में किया है, जो अमिताभ के निजी कलेक्शन में शामिल रही।
अमिताभ बच्चन ने लिखा..
'बचपन की बुद्धि से मैं कल्पना करता था कि मान सिंह कोई बड़े डील-डौल वाल व्यक्ति होगा। आखिर हर जगह तो उसकी ही बातें होती थीं। हम समय से सोने नहीं जाते थे या खाना नहीं खाते थे तो मान सिंह का नाम लेकर डराया जाता था। गर्मियों की छुंट्टी में शाम को जब लॉन में देर तक बैठे रहने के बावजूद बिस्तर पर नहीं जाते थे तो बड़े कहते थे कि मान सिंह आ जाएगा।
ऐसे में हम बमुश्किल 50 गज दूर अंदर पड़े पलंग की ओर बढ़ते थे लेकिन डर के मारे कदम पीछे पड़ने लगते थे। लगता था कि मान सिंह अचानक आकर हमें पकड़ लेगा। ऐसे में हम पीछे की ओर कदम रखने लगते थे और फिर वहीं आ जाते थे, जहां बड़े लोग होते थे। आखिरकार किसी तरह कमरे में पहुंचते थे, तो मान सिंह को लेकर तब तक डरते रहते थे जब तक कि बल्ब नहीं जला लेते थे।'
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