ममता बनर्जी का चुनाव आयोग पर निशाना, डेटा एंट्री ऑपरेटर नियुक्त करने पर उठाए सवाल; CEC को लिखा पत्र
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मतदाता सूची के पुनरीक्षण कार्य में चुनाव आयोग की भूमिका पर फिर सवाल उठाए हैं। उन्होंने मुख्य चुनाव आयुक्त को पत्र लिखकर डेटा एंट्री का काम निजी कंपनियों को देने और प्राइवेट हाउसिंग सोसाइटियों में बूथ बनाने पर आपत्ति जताई है। ममता बनर्जी ने पूछा कि क्या आयोग किसी दल को फायदा पहुंचाने की कोशिश कर रहा है? उन्होंने जिला कार्यालयों को दरकिनार कर सीईओ कार्यालय द्वारा नियुक्ति पर भी सवाल उठाया।
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ममता बनर्जी का चुनाव आयोग पर निशाना डेटा एंट्री ऑपरेटर नियुक्त करने पर उठाए सवाल (फाइल फोटो)
राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक बार फिर मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर)के कार्य में चुनाव आयोग की भूमिका पर नाराजगी जताई है। वह इस बाबत पहले ही मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) ज्ञानेश कुमार को एक चिट्ठी भेज चुकी थीं।
इसके बाद अब दूसरा पत्र सोमवार को लिखा है जिसमें उन्होंने दो मुद्दे पर प्रश्न उठाए हैं। इनमें एक डेटा एंट्री का काम निजी कंपनियों को देने और प्राइवेट हाउसिंग सोसायटी के अंदर बूथ बनाने पर आपत्ति जताई गई है।
ममता ने उठाए सवाल
ममता ने प्रश्न किया है कि क्या आयोग किसी खास राजनीतिक दल को फायदा पहुंचाने की कोशिश कर रहा है? मुख्यमंत्री ने मुख्य चुनाव आयुक्त को भेजे दो पन्ने के पत्र में इस बारे में सवाल उठाए हैं। राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) कार्यालय ने बताया है कि एसआईआर के काम के लिए ठेके पर रखे गए डेटा एंट्री आपरेटर या बांग्ला सहायक केंद्र के कर्मचारियों को इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
सीईओ दफ्तर ने निविदा मंगाकर एक साल के लिए 1,000 डेटा एंट्री आपरेटर और 50 साफ्टवेयर डेवलपर हायर करने का प्रस्ताव राज्य को दिया गया है। इसी को लेकर मुख्यमंत्री ने सवाल उठाया है। हालांकि मुख्यमंत्री के सवाल पर मुख्य चुनाव अधिकारी मनोज अग्रवाल ने कहा कि यह आयोग का नीतिगत फैसला है। उसी के तहत यह कदम उठाया गया है।
सोमवार को मुख्य चुनाव आयुक्त को भेजे पत्र में मुख्यमंत्री ने लिखा कि जिला स्तर के अधिकारी में पहले से ही इस काम के लिए स्टाफ मौजूद है। ऐसे में ममता ने सवाल उठाया कि सीईओ दफ्तर को पूरे साल के लिए बाहर से लोगों को हायर करने की क्या जरूरत है? पत्र में मुख्यमंत्री ने कहा कि आमतौर पर संबंधित इलाकों के ऑफिस अपनी जरूरत के हिसाब से ठेका पर डेटा एंट्री आपरेटर नियुक्त करते हैं।
ममता ने किए सवाल
इसलिए, अगर तत्काल जरूरत हो, तो जिला स्तर के आफिस खुद ही नियुक्त कर सकते हैं। जिला स्तरीय आफिस को इस बारे में पूरे अधिकार दिए गए हैं। इसके बावजूद, मुख्यमंत्री ने यह भी सवाल उठाया कि सीईओ दफ्तर जिला कार्यालय को बायपास करके यह नियुक्ति क्यों दे रहा है। ऐसे में, क्या किसी राजनीतिक दल के कहने पर अपने फायदे पूरे करने के लिए ऐसा कदम उठाया जा रहा है?
दूसरा मुद्दा प्राइवेट आवासीय सोसायटी के अंदर बूथ बनाने का है। ममता ने कहा कि मतदान केंद्र हमेशा सरकारी या अर्ध-सरकारी जगहों पर होने चाहिए, क्योंकि वे ज्यादा निष्पक्ष और नियंत्रण में होते हैं। प्राइवेट सोसाइटी में बूथ बनाने से लोगों के बीच असमानता, पहुंचने की दिक्कतें और निष्पक्षता पर शक पैदा हो सकता है। बताते चलें कि पिछले हफ्ते भेजे अपने पत्र में ममता ने मुख्य चुनाव आयुक्त से एसआइआर रोकने की अपील की थी।

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