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    SIR के पीछे असली मंशा NRC... ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर लगाया बड़ा आरोप

    Updated: Wed, 26 Nov 2025 06:29 PM (IST)

    पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण का उद्देश्य पिछले दरवाजे से एनआरसी लागू करना है। संविधान दिवस पर उन्होंने भाजपा और केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि आजादी के बाद भी लोगों की नागरिकता पर सवाल उठाए जा रहे हैं। उन्होंने संविधान को राष्ट्र की रीढ़ बताया और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करने की बात कही।

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    ममता बनर्जी का केंद्र पर NRC का आरोप। PTI

    राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को दावा किया कि मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के पीछे असली मंशा पिछले दरवाजे से राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) लागू करना है।

    संविधान दिवस के अवसर पर कोलकाता के रेड रोड स्थित बीआर आंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के बाद पत्रकारों से बातचीत में ममता ने भाजपा व केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि आजादी के इतने वर्षों बाद भी लोगों की नागरिकता पर सवाल उठाया जा रहा है।

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    ममता बनर्जी का केंद्र पर NRC का आरोप

    इससे पहले उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि जब लोकतंत्र दांव पर हो, धर्मनिरपेक्षता 'खतरे में हो' और संघवाद को 'ध्वस्त किया जा रहा हो', तो लोगों को संविधान द्वारा प्रदत्त मूल्यवान मार्गदर्शन की रक्षा करनी चाहिए।

    ममता ने कहा कि संविधान राष्ट्र की रीढ़ है, जो भारत की संस्कृतियों, भाषाओं और समुदायों की विविधता को कुशलतापूर्वक एक साथ पिरोता है। उन्होंने लिखा- आज, इस संविधान दिवस पर मैं हमारे महान संविधान और भारत में हमें जोड़ने वाले महान दस्तावेज के प्रति गहरा सम्मान और श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं।

    मैं हमारे संविधान के दूरदर्शी निर्माताओं विशेष रूप से इसके प्रमुख वास्तुकार डा बीआर आंबेडकर को भी श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं। ममता ने संविधान सभा में रहे बंगाल के सदस्यों को भी श्रद्धांजलि अर्पित की, जिन्होंने 'संविधान को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।'

    संविधान हमारे राष्ट्र की रीढ़: ममता

    उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि हमारा संविधान हमारे राष्ट्र की रीढ़ है, जो हमारी संस्कृतियों, भाषाओं और समुदायों की अपार विविधता को कुशलतापूर्वक एक एकीकृत, संघीय ढांचे में पिरोता है।

    इस पवित्र दिन पर हम अपने संविधान में निहित मूल लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुनः पुष्टि करते हैं और उन पवित्र सिद्धांतों की सतर्कतापूर्वक रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं जो हमें एक राष्ट्र के रूप में परिभाषित करते हैं और बनाए रखते हैं।'

    उन्होंने कहा कि अब जब लोकतंत्र दांव पर है, जब धर्मनिरपेक्षता खतरे में है, जब संघवाद को ध्वस्त किया जा रहा है, ऐसे महत्वपूर्ण समय में हमें अपने संविधान द्वारा प्रदत्त मूल्यवान मार्गदर्शन की रक्षा करनी चाहिए। बताते चलें कि संविधान को अंगीकार किए जाने के उपलक्ष्य में वर्ष 2015 से हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है। 26 नवंबर, 1949 को संविधान को अंगीकृत किया गया था।