Malegaon Blast Case: 'RDX का सबूत नहीं, CDR का भी सर्टिफिकेट नहीं'; पढ़ें NIA कोर्ट के फैसले की खास बातें
मुंबई की एनआईए अदालत ने 17 साल पहले हुए मालेगांव विस्फोट मामले में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और कर्नल पुरोहित समेत सभी सात आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता पर दोषसिद्धि नैतिक आधार पर नहीं हो सकती। साध्वी प्रज्ञा ने कहा कि भगवा आतंकवाद शब्द गढ़ा गया था 17 साल बाद यह दाग धुल गया।

ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। मुंबई की विशेष एनआईए अदालत ने गुरुवार को 17 साल पहले हुए मालेगांव विस्फोट मामले में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर एवं लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित सहित सभी सात आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया।
फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, लेकिन दोषसिद्धि नैतिक आधार पर नहीं हो सकती। यह फैसला आने के बाद लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित (सेवानिवृत) ने कोर्ट का आभार जताया, तो साध्वी प्रज्ञा के आंसू छलक पड़े। भोपाल की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा ने कहा कि भगवा आतंकवाद शब्द गढ़ा गया था, 17 साल बाद यह दाग धुल गया है।
मुंबई से 291 किलोमीटर दूर मालेगांव शहर के भीखू चौक पर यह शक्तिशाली विस्फोट 29 सितंबर, 2008 की रात 9.35 मिनट पर हुआ था। उन दिनों मुस्लिमों का पवित्र त्यौहार रमजान चल रहा था, और अगले दिन से नवरात्र की शुरुआत होने जा रही थी।
विस्फोट में छह लोगों की हुई थी मौत
इस शक्तिशाली विस्फोट में छह लोग मारे गए थे और 101 व्यक्ति घायल हुए थे। शुरुआत में इस मामले की जांच महाराष्ट्र पुलिस का आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) कर रहा था। मौके से सभी सबूत एटीएस ने ही जुटाए थे। 2011 से इस मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के हाथ में आ गई थी।
आज इसी मामले में विशेष एनआईए अदालत के जज ए.के.लाहोटी ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष कोई भी ठोस सबूत पेश करने में विफल रहा है। इसलिए न्यायालय को सभी आरोपितों को संदेह का लाभ देना होगा। जज ने आगे कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता। लेकिन दोषसिद्धि नैतिक आधार पर नहीं हो सकती।
पांच आरोपी पहले ही दोषी मुक्त करार
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित के अलावा बरी होनेवाले पांच अन्य आरोपित हैं मेजर (सेवानिवृत) रमेश उपाध्याय, समीर कुलकर्णी, अजय राहिरकर, सुधाकर चतुर्वेदी और सुधाकर द्विवेदी। एटीएस द्वारा इस मामले में शरुआत में 12 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। पांच आरोपित पहले ही दोषमुक्त करार दिए जा चुके हैं।
कोर्ट ने मामले के दो प्रमुख आरोपितों के विरुद्ध अभियोजन पक्ष द्वारा लगाए गए आरोपों को भी क्रमवार खारिज कर दिया। साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर पर आरोप था कि उनकी एलएमएल फ्रीडम मोटरसाइकिल को विस्पोट का माध्यम बनाया गया। कोर्ट ने कहा कि प्रज्ञा सिंह ठाकुर इस घटना से दो साल पहले ही संन्यासी बन गई थीं, और उन्होंने सभी भौतिक संपत्तियों का त्याग कर दिया था।
साध्वी प्रज्ञा के खिलाफ नहीं मिले सबूत
फोरेंसिक विशेषज्ञों द्वारा दोपहिया वाहन का चेसिस नंबर बरामद नहीं किया जा सका। जबकि कोर्ट में इस तरह के मामलों में वाहन का चेसिस और इंजन नंबर पेश किया जाना चाहिए। इसलिए अभियोजन पक्ष यह साबित करने में विफल रहा है कि जिस मोटरसाइकिल का उपयोग विस्फोट में हुआ, वह साध्वी प्रज्ञा की ही है।
कोर्ट ने विस्फोटस्थल पर कोई गड्ढा न होने को भी आधार बनाया। फोरेंसिक का मानना था कि मोटरसाइकिल पर विस्फोटक होने से उस स्थान पर एक गड्ढा होना चाहिए था। जबकि वहां कोई गड्ढा नहीं पाया गया।
कोर्ट ने प्रसाद पुरोहित पर लगे आरोपों की उड़ाई धज्जियां
कोर्ट ने लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित पर लगे आरोपों की भी धज्जियां उड़ा दीं। कोर्ट ने कहा कि यह साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं है कि उन्होंने कश्मीर से आरडीएक्स मंगाया, या उन्होंने बम तैयार किया। पुरोहित के घर में आरडीएक्स के भंडारण का कोई सबूत भी नहीं मिला। घटनास्थल पर विस्फोट के बाद कोई खाली शेल भी नहीं पाया गया।
अभियोजन पक्ष ने तर्क दिए थे कि विस्फोटकांड को अंजाम देने के लिए सातों आरोपितों के बीच कई बैठकें हुईं। लेकिन कोर्ट में इस बात के कोई सबूत पेश नहीं किए जा सके। अभियोजन पक्ष का दावा था कि कर्नल पुरोहित द्वारा 2006 में स्थापित संगठन अभिनव भारत का उपयोग मालेगांव विस्फोटकांड हेतु धन जुटाने के लिए किया गया। अभियोजन पक्ष इसका भी कोई सबूत पेश नहीं कर सका।
कोर्ट ने नहीं माना अभियोजन पक्ष का तर्क
यहां तक अभियोजन पक्ष कॉल डाटा रिकार्ड (सीडीआर) के साथ पेश किया जानेवाला 65बी सर्टिफिकेट भी नहीं पेश कर सका, जो इलेक्ट्रॉनिक रिकार्ड को प्रमाणित करनेवाला महत्त्वपूर्ण दस्तावेज होता है। यहां तक कि अदालत ने विस्फोट में घायल हुए लोगों की संख्या को लेकर भी अभियोजन पक्ष के तर्क नहीं माने।
कोर्ट ने छह लोगों के मारे जाने की बात तो स्वीकार की है कि 101 लोगों के घायल होने की बात नहीं मानी। कोर्ट ने मेडिकल सर्टिफिकेट्स में हेरफेर की ओर इंगित करते हुए सिर्फ 95 लोगों के घायल होने की बात मानी है।
कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि सभी मारे गए लोगों के परिजनों को दो-दो लाख रुपए एवं घायलों को 50-50 हजार रुपए दिए जाने चाहिए।
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