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    'वनतारा को पक्षकार बनाएं', बंदी हाथियों को वापस करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट

    Updated: Thu, 14 Aug 2025 03:28 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने वनतारा में बंदी हाथियों को वापस करने के लिए निगरानी समिति गठित करने की याचिका को अस्पष्ट बताया। जस्टिस पंकज मिथल और जस्टिस पीबी वराले की पीठ ने याचिकाकर्ता से वनतारा को पक्षकार बनाने के लिए कहा। याचिका में आरोप लगाया गया है कि हाथियों को मंदिरों से जबरन लाया गया और वनतारा में वन्यजीवों की तस्करी की जा रही है।

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    बंदी हाथियों को वापस करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट - PTI

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को वनतारा में बंदी हाथियों को वापस करने के लिए एक निगरानी समिति गठित करने की मांग वाली याचिका को 'पूरी तरह से अस्पष्ट' करार दिया।

    जस्टिस पंकज मिथल और जस्टिस पीबी वराले की पीठ ने याचिकाकर्ता, अधिवक्ता सीआर जया सुकिन से व्यक्तिगत रूप से कहा कि वह वनतारा को पक्षकार बनाए बिना ही उन पर आरोप लगा रहे हैं।

    याचिका में वंतारा को पक्षकार बनाएं- कोर्ट

    कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह याचिका में वनतारा को पक्षकार बनाएं। पीठ ने कहा कि आप उन पक्षों के खिलाफ आरोप लगा रहे हैं जिनका यहां प्रतिनिधित्व नहीं है। आपने उन्हें प्रतिवादी नहीं बनाया है। आप उन्हें पक्षकार बनाएं और फिर हमारे पास आएं, हम देखेंगे। इसके बाद कोर्ट ने कहा कि मामले की अगली सुनवाई 25 अगस्त को होगी।

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    याचिका में हाथियों को छोड़ने की मांग

    बता दें, इस याचिका को पहले चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बीआर गवई के सामने तत्काल सुनवाई के लिए पेश किया गया था। इस याचिका में एक निगरानी समिति के गठन की मांग की गई है जिससे कि बंदी हाथियों को उनके मालिकों के पास वापस लाया जा सके और वनतारा से सभी जंगली जानवरों और पक्षियों को बचाया जा सके और उन्हें जंगल में छोड़ा जा सके।

    हाथियों को मंदिरों से जबरन लाया गया- याचिका

    याचिका में कहा गया कि कानून और नियमों का उल्लंघन किया गया है। कुछ अधिकारियों के साथ समझौता किया गया और कुछ को धमकाया गया। हाथियों को मंदिरों और उनके मालिकों से जबरन ले जाया गया। जिन्हें रोकने में राज्य प्रशासन विफल रहा।

    याचिका में कहा गया है, "न केवल राष्ट्रीय स्तर के बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर के जानवरों और पक्षियों, जिनमें से कुछ लुप्तप्राय प्रजातियां हैं, उनको गुजरात में वन्यजीव बचाव और पुनर्वास केंद्र के नाम पर वनतारा में तस्करी करके लाया गया है।"

    (एजेंसी इनपुट के साथ)

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