मकर संक्रांति, बिहू और पोंगल त्यौहार एक, लेकिन इसके महत्व अनेक; उत्तर से दक्षिण भारत की संस्कृति को दर्शाते हैं ये फेस्टिवल
Makar Sankranti 2024 असम में आज फसल कटाई का त्योहार माघ बिहू मनाया जा रहा है। इसे भोगाली बिहू और माघोर दोमाही भी कहा जाता है। इस त्योहार को तमिलनाडु में पोंगल पंजाब में लोहड़ी और देश के उत्तरी राज्यों में मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। असम में बिहू पर्व दो दिन मनाया जाता है। इस दौरान अलाव जलाया जाता है और लोग उत्सव मनाते हैं।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। Makar Sankranti, Bhogi Bihu Celebration: असम में आज फसल कटाई का त्योहार माघ बिहू मनाया जा रहा है। इसे भोगाली बिहू और माघोर दोमाही भी कहा जाता है। इस त्योहार को तमिलनाडु में पोंगल, पंजाब में लोहड़ी और देश के उत्तरी राज्यों में मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है।
यह वर्ष का पहला पर्व है, जो सर्दियों में फसल कटाई का उत्सव मनाने और पूरे वर्ष में समृद्धि की प्रार्थना करने के लिए विभिन्न समुदायों को जोड़ता है। माघ बिहू के दिन लोग सुबह स्नान करके धार्मिक अनुष्ठान करते हैं और एक-दूसरे को भोजन तथा मिठाइयों का वितरण करते हैं।
पूरे असम में मनाया जा रहा है माघ बिहू
असम में बिहू पर्व दो दिन मनाया जाता है। पूरे राज्य में माघ बिहू मनाया जा रहा है। बिहू के दिन एक साथ खाने और एक साथ त्योहार को मनाने का दिन माना जाता है। माघ बिहू के दौरान, लोग मुख्य उत्सव से एक दिन पहले दावतें मनाते हैं और अलाव जलाते हैं। माघ बिहू से एक दिन पहले को उरुका या बिहू पूर्व संध्या कहा जाता है, जो असमी कैलेंडर में पौष महीने का आखिरी दिन होता है।
ऐसे मनाया जाता है माघ बिहू
आज उरुका है और बिहू उत्सव के हिस्से के रूप में, लोग फसल के खेतों से घास का उपयोग करके 'भेलाघर' नामक अस्थायी कॉटेज का निर्माण करते हैं। लोग अलाव के लिए मीजी का भी निर्माण करते हैं। इस त्यौहार में मछली रात्रिभोज का एक अभिन्न अंग है। नदियों और तालाबों में सामुदायिक मछली पकड़ने का काम चलता है। लोग सबसे अच्छी मछली खरीदने के लिए सुबह-सुबह मछली बाजारों में भी उमड़ पड़ते हैं।
तेलंगाना में भोगी नाम से मनाया जाता है मकर संक्रांति
तेलंगाना में, मकर संक्रांति उत्सव पारंपरिक उत्साह और उल्लास के साथ आज भोगी मनाने वाले लोगों के साथ शुरू हुआ। इस दिन पूरे राज्य में फसल कटाई के बाद तीन दिवसीय उत्सव मनाया जाता है। तीन दिवसीय उत्सव राज्य भर के ग्रामीण क्षेत्रों में प्रमुख हैं क्योंकि किसान त्योहार से पहले अपनी फसल काटते हैं।

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