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    Mahatma gandhi jayanti 2021: महात्मा गांधी और नेहरू की इस मुलाकात ने बदल दी आजादी की लड़ाई की दिशा

    देश की आजादी के सफर में महात्मा गांधी का लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन पर पंडित नेहरू से मिलना एक बड़ा निर्णायक मोड़ था। इस मुलाकात में नेहरू महात्मा गांधी के विचारों से काफी प्रभावित हुए। साल 1916 में लखनऊ अधिवेशन में हिस्सा लेनेके लिए महात्मा गांधी लखनऊ आए थे।

    By Vineet SharanEdited By: Updated: Sat, 02 Oct 2021 12:01 PM (IST)
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    इस अधिवेशन में हिस्सा लेने से पहले मोहनदास करमचंद गांधी को हर कोई बैरिस्टर कहकर बुलाता था।

    नई दिल्ली, विवेक तिवारी। Mahatma gandhi jayanti 2021: क्या आप जानते हैं की महात्मा गांधी की देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू से कहा मुलाकात हुई थी। लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन पर। जी हां देश की आजादी के सफर में महात्मा गांधी का लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन पर पंडित नेहरू से मिलना एक बड़ा निर्णायक मोड़ था। इस मुलाकात में नेहरू महात्मा गांधी के विचारों से काफी प्रभावित हुए। साल 1916 में लखनऊ अधिवेशन में हिस्सा लेनेके लिए महात्मा गांधी लखनऊ आए थे। इस अधिवेशन में जवाहर लाल नेहरू, मोती लाल नेहरू और सैयद महमूद ने अधिवेशन में आए लोगों को संबोधित किया था।

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    गांधी और नेहरू की इस मुलाकात के निशां आज भी स्टेशन पर मौजूद हैं। भारतीय रेलवे ने चारबाग रेलवे स्टेशन पर गांधी उद्यान बनवाया है। इस उद्यान में एक शिलापट्ट भी लगा हुआ है। इसपर इस घटना की जानकारी दी गई है।

    इस अधिवेशन में हिस्सा लेने से पहले मोहनदास करमचंद गांधी को हर कोई बैरिस्टर कहकर बुलाता था। लेकिन यहां से जाने के बाद गांधी जी के बैरिस्टर से महात्मा बनने की नींव पड़ी थी। यह अधिवेशन 26 से 30 दिसंबर के बीच अंबिका चरण मजूमदार की अध्यक्षता में हुआ था।

    लखनऊ विश्विवद्यालय में अंग्रेजी विभाग के प्रोफेसर और गांधीवादी विचारक डॉक्टर ओंकार नाथ उपाध्याय ने गांधी और नेहरू की इस मुलाकात को भारत के इतिहास की बेहद महत्वपूर्ण घटना बताया। उन्होंने कहा कि हम ये कह सकते हैं कि गांधी और नेहरू की लखनऊ के चारबार स्टेशन पर हुई मुलाकात के बाद ही गांधी का राजनीतिक जीवन शुरू हुआ। गांधी और नेहरू दोनों ही बहुत पढ़े लिखे लोग थे। इन दोनों ने भारतीय समाज की चेतना जगाने में महत्पपूर्ण भूमिका निभाई। दोनों की जीवनी आज भी भारत के लोगों के लिए प्रेरणा श्रोत हैं।

    उन्होंने कहा कि गांधी और नेहरू का संघर्ष आज भी प्रारंगिक है। महात्मा गांधी ने देश के लोगों के लिए जिस तरह की आजादी चाही थी अभी उसके लिए और संघर्ष की जरूरत है। अभी देश को सिर्फ राजनीतिक आजादी मिली है। लखनऊ विश्वविद्यायल के लोक प्रशासन विभाग के अध्यक्ष मनोज दिक्षित के मुताबिक आज देश के विकास के लिए गांधी बहुत ज्यादा प्रासांगिक हैं। गांधी कभी भी सफलता मिलने पर बहुत अधिक उत्साहित नहीं हुए और न ही असफल होने पर विचलित हुए। जबकि वो अपने लक्ष्य के लिए लगातार प्रयास करते रहे।

    देश के मजदूरों को बाहर ले जाने का किया विरोध

    इंडियन नेशनल कांग्रेस की वार्षिक मीटिंग में शामिल होने के लिए 26 दिसंबर, 1916 को जवाहरलाल नेहरू इलाहाबाद से लखनऊ ट्रेन से आए थे। इस समय उनकी आयु करीब 27 साल थी। इसी मीटिंग में शामिल होने के लिए महात्मा गांधी भी आए थे। चारबाग स्टेशन पर दोनों मिले। करीब 20 मिनट तक दोनों के बीच बातचीत हुई। इस दौरान आजादी के आंदोलन को लेकर काफ बातीचीत हुई। नेहरू ने अपनी आत्मकथा में भी इसका जिक्र किया है। नेहरू चाहते थे कि गांधी मजदूरों को विदेशों में जाकर काम करने से रोकें। दरअसल, उस समय अंग्रेजी हुकूमत हिंदुस्तानियों को अफीक्रा, कैरिबियाई देशों, फिजी वगैरह में मजदूरी के लिए ले जाया करते थे। इस बिल को नेहरू ने कांग्रेस के सामने रखा था। गांधी ने भी इसका समर्थन किया था।

    प्रकृति प्रेमी थे गांधी

    महात्मा गांधी जब लखनऊ में थे तो उन्होंने डालीबाग के गोखले मार्ग पर एक पौधा लगाया था जो आज पेड़ बन चुका हैं। वैसे तो वो दर्जनों बार लखनऊ आ चुके थे लेकिन आजादी के कुछ साल पहले जब लखनऊ आए तो कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष शीला कौल के घर भी गए थे।यहां उन्होंने अपने हाथों से एक बरगद का पौधा लगाया था जो आज भी लहलहाता है।