Maharashtra Politics: ठाकरे ब्रदर्स को मिला स्टालिन का समर्थन, कहा- नहीं थोपने देंगे 'हिंदी'
महाराष्ट्र की राजनीति आज उस समय बड़ी करवट लेती दिखी जब करीब 20 साल पहले अलग हुए दो चचेरे भाई उद्धव और राज ठाकरे मराठी भाषा और अस्मिता के नाम पर एक मंच पर एक साथ दिखाई दिए। इस अवसर पर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि आज हम क्या बोलते हैं इसका महत्त्व नहीं है। महत्त्व सिर्फ इस बात का है कि हम साथ आए हैं।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। महाराष्ट्र में हिंदी भाषा को लेकर चले विवाद के बाद उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे फिर से एक साथ आ गए हैं। ठाकरे ब्रदर्स मराठी-हिंदी मुद्दे पर उसी तरह से आक्रमक हैं, जैसे बाला साहेब ठाकरे के समय में हुआ करते थे।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तीन-भाषा घटक के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने इस मुद्दे पर चचेरे भाई उद्धव और राज के एक साथ आने का स्वागत किया है।
20 साल बाद साथ आए ठाकरे ब्रदर्स
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने महाराष्ट्र में तीन-भाषा नीति का आदेश वापस लेने का जश्न मनाने के लिए शनिवार को 'मराठी की आवाज' रैली का आयोजन किया। 2005 के बाद पहली बार किसी राजनीतिक कार्यक्रम में एक मंच साझा करने वाले चचेरे भाई गले मिले और घोषणा की कि उनके बीच की 'दूरी' मिट गई है।
स्टालिन का मिला समर्थन
डीएमके के प्रमुख स्टालिन तीन-भाषा फॉर्मूले के विरोध में सबसे आगे रहे हैं। नई शिक्षा नीति के तहत स्कूलों में छात्रों को अपनी मातृभाषा और कम से कम एक अन्य भारतीय भाषा सहित तीन भाषाएं सीखना जरूरी है। डीएमके प्रमुख ने दावा किया है कि केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार तमिलनाडु में वर्तमान में लागू दो-भाषा नीति तमिल और अंग्रेजी की जगह तीन भाषाओं को सीखना अनिवार्य बनाकर हिंदी को थोपना चाहती है।
एक ही मंच पर नजर आए दोनों भाई
बता दें कि महाराष्ट्र में प्राथमिक कक्षाओं में हिंदी पढ़ाए जाने की अनिवार्यता समाप्त किए जाने का आदेश सरकार द्वारा दिए जाने के बाद राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे ने मिलकर एक विजय रैली का आयोजन किया था। करीब 20 साल बाद एक मंच पर साथ आए दोनों चचेरे भाइयों के लिए मंच पर सिर्फ दो कुर्सियां रखी गई थीं। मंच पर दोनों भाई गलबहियां करते भी दिखाई दिए।
मुंबई में निकाली रैली
मुंबई के वरली स्थित नेशनल स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स डोम में आयोजित इस रैली में किसी पार्टी का कोई झंडा या निशान नहीं प्रदर्शित किया गया था। राज ठाकरे ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि यह रैली किसी पार्टी की ओर से नहीं, बल्कि मराठी भाषा और मराठी अस्मिता के लिए हो रही है।
उन्होंने अपने भाषण को भी मराठी भाषा और महाराष्ट्र की अस्मिता पर ही केंद्रित रखा। लेकिन बड़े भाई उद्धव ठाकरे राजनीतिक संकेत देने का मोह संवरण नहीं कर पाए। उन्होंने डोम में बड़ी संख्या में उपस्थित मराठी लोगों की तालियों के बीच साफ कहा कि हम साथ रहने के लिए साथ आए हैं, और साथ रहकर ही मुंबई और महाराष्ट्र की सत्ता हथियाएंगे।
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