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सीडीएस जनरल बिपिन रावत के पैतृक गांव को गोद लेगा महाराष्ट्र का एनजीओ, करेगा विकास कार्य

महाराष्ट्र का एक एनजीओ भारत के पहले चीफ आफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत के पैतृक गांव को गोद लेने की तैयारी में है जिनकी इस महीने की शुरुआत में तमिलनाडु में एक हेलीकाप्टर दुर्घटना में मौत हो गई थी।

By TaniskEdited By: Published: Fri, 24 Dec 2021 06:51 PM (IST)Updated: Fri, 24 Dec 2021 06:51 PM (IST)
सीडीएस जनरल बिपिन रावत के पैतृक गांव को गोद लेगा महाराष्ट्र का एनजीओ, करेगा विकास कार्य
सीडीएस जनरल रावत के पैतृक गांव को गोद लेगा महाराष्ट्र का एनजीओ

नई दिल्ली,पीटीआइ। महाराष्ट्र का एक एनजीओ भारत के पहले चीफ आफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत के पैतृक गांव को गोद लेने की तैयारी में है, जिनकी इस महीने की शुरुआत में तमिलनाडु में एक हेलीकाप्टर दुर्घटना में मौत हो गई थी। लातूर स्थित डा. हरिवंशराय बच्चन प्रबोधन प्रतिष्ठान (एचबीपीपी) को पौड़ी गढ़वाल जिला अधिकारियों द्वारा साइना गांव में विकास गतिविधियां करने की अनुमति दी गई है। यहां उचित सड़क संपर्क नहीं है। एचबीपीपी के संस्थापक निवृति यादव ने कहा कि वह अगले सप्ताह साइना गांव का दौरा करेंगी और वहां के इलाके की समझ और वहां की विकास गतिविधियों की योजना बनाएंगी।

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गांव को गोद लेने की प्रक्रिया शुरू की गई

निवृति यादव ने समाचार एजेंसी पीटीआइ को बताया कि एचबीपीपी अपने संसाधनों का इस्तेमाल करेगी और स्वास्थ्य एवं शिक्षा सुविधाएं स्थापित करने, सड़कें बनाने और किसानों तक पहुंचने में सरकार से मदद मांगेगी। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने पीटीआइ को बताया कि एचबीपीपी द्वारा गांव को गोद लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। उन्होंने कहा कि एनजीओ के प्रतिनिधि साइना गांव का दौरा करेंगी और वहां की जाने वाली विकास गतिविधियों की योजना तैयार करेंगी।

एचबीपीपी पिछले 18 वर्षों से सामाजिक गतिविधियों में शामिल

रावत ने कहा कि उन्होंने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर उन्हें गांव में विकास कार्य करने की एचबीपीपी की मंशा से अवगत कराने को कहा था। एचबीपीपी के संस्थापक को लिखे पत्र में जिलाधिकारी विजय कुमार जोगदांडे ने कहा कि आपको देश के वीर सपूत दिवंगत जनरल बिपिन रावत के पैतृक गांव पौड़ी गढ़वाल के साइना में नियमानुसार विकास कार्य करने की अनुमति दी गई है। निवृति यादव के अनुसार एचबीपीपी पिछले 18 वर्षों से सामाजिक गतिविधियों में शामिल है और 2013 के केदारनाथ बाढ़ त्रासदी के दौरान उत्तराखंड को राहत सामग्री भी भेजी थी।

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