Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ‘ये महाराष्ट्र में नक्सली आंदोलन के अंत की शुरुआत’, भूपति के आत्मसमर्पण पर बोले सीएम देवेंद्र फडणवीस

    Updated: Wed, 15 Oct 2025 09:00 PM (IST)

    महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने नक्सली नेता भूपति के आत्मसमर्पण को राज्य में नक्सली आंदोलन के अंत की शुरुआत बताया है। उन्होंने कहा कि यह सरकार की नीतियों की सफलता है और इससे अन्य नक्सलियों को भी प्रेरणा मिलेगी। सरकार आत्मसमर्पण करने वालों के पुनर्वास के लिए प्रतिबद्ध है।

    Hero Image

    महाराष्ट्र में नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण। (X- @Dev_Fadnavis)

    राज्य ब्यूरो, मुंबई। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि प्रतिबंधित संगठन सीपीआई(माओवादी) के वरिष्ट कमांडर भूपति और 60 अन्य कार्यकर्ताओं का आत्मसमर्पण महाराष्ट्र में ‘नक्सली आंदोलन के अंत की शुरुआत’ है। फडणवीस ने कहा कि आने वाले दिनों में छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में पूरा 'लाल गलियारा' नक्सलवाद से मुक्त हो जाएगा।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बुधवार को सीपीआई (माओवादी) समूहों की हिंसा से प्रभावित रहे गढचिरौली में छह करोड़ रुपयों के इनामी माओवादी मल्लोजुला वेणुगोपाल राव उर्फ भूपति ने अपने 60 साथियों के साथ मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के सामने हथियार सौंपकर आत्मसमर्पण किया। स्वयं भूपति ने भी मुख्यमंत्री फडणवीस के हाथों में एक स्वचालित राइफल सौंपकर आत्मसमर्पण किया। भूपति की पत्नी और भाभी कुछ माह पहले ही मुख्यमंत्री के सामने आत्मसमर्पण कर चुकी थीं।

    आज इसी अवसर पर एक सभा को संबोधित करते हुए फडणवीस ने कहा कि उन्हें गर्व है कि महाराष्ट्र का गढ़चिरौली प्रतिबंधित सीपीआई (माओवादी) के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व कर रहा है। फडणवीस ने कहा कि छह करोड़ रुपयों के इनामी और गढ़चिरौली के अहेरी और सिरोंचा में नक्सली आंदोलन को बढ़ाने वाले भूपति और 60 अन्य नक्सलियों का आत्मसमर्पण एक बड़ी घटना है।

    यह महाराष्ट्र में नक्सली आंदोलन के अंत की शुरुआत है। उन्होंने कहा कि जो मुट्ठी भर नक्सली बचे हैं, उन्हें भी आत्मसमर्पण कर देना चाहिए या पुलिस कार्रवाई का सामना करना चाहिए। नक्सलियों को यह जान लेना चाहिए कि वे वैचारिक युद्ध हार चुके हैं और समानता तथा न्याय केवल मुख्यधारा में शामिल होकर तथा भारतीय संविधान का पालन करके ही प्राप्त किया जा सकता है।

    मुख्यमंत्री ने कहा कि भूपति और 60 अन्य कार्यकर्ताओं के आत्मसमर्पण से माओवादियों के तथाकथित ‘लाल गलियारे’ के अंत का मार्ग प्रशस्त होगा। यह गर्व का क्षण है क्योंकि इसकी शुरुआत महाराष्ट्र से हुई है। उन्होंने कहा, "छत्तीसगढ़ में बचे हुए कार्यकर्ताओं को भी समझ आ गया है कि वे वैचारिक युद्ध हार चुके हैं और जो सपने वे देख रहे थे, वे गलत थे। उन्हें समझ आ गया है कि केवल भारतीय संविधान ही उन्हें न्याय दिला सकता है। फडणवीस ने कहा कि उनका मानना है कि आने वाले दिनों में छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में भी 100 से अधिक नक्सली आत्मसमर्पण करेंगे।

    सम्मानजनक पुनर्वास का आश्वासन

    मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि आत्मसमर्पण करने वालों का सम्मानपूर्वक पुनर्वास किया जाएगा। अगले पांच से सात वर्षों में एक इस्पात केंद्र बनने जा रहे गढ़चिरौली जिले में ही एक लाख ‘भूमिपुत्रों’ को रोजगार मिलेगा। फडणवीस ने कहा कि उन्होंने निवेशकों से गढ़चिरौली आने और 95 प्रतिशत नौकरियों के लिए स्थानीय लोगों पर विचार करने को कहा है।

    उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि प्रशासन और विकास समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे। अब नक्सलियों के सामने केवल दो विकल्प हैं, कि या तो वे आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में शामिल हो जाएं या फिर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें। फडणवीस ने गढ़चिरौली के समग्र और सतत विकास का आश्वासन देते हुए कहा कि गढ़चिरौली, जिसे महाराष्ट्र का आखिरी जिला कहा जाता था, अब राज्य का ‘पहला जिला’ बनने की ओर अग्रसर है।

    सावधान रहें सुरक्षाबल

    फडणवीस ने नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में गढ़चिरौली पुलिस की बहादुरी की सराहना की। साथ ही उन्हें सावधान भी किया। उन्होंने कहा कि जिले में नक्सलवाद समाप्ति के करीब है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि पुलिस विभाग लापरवाह और निश्चिंत हो जाए। हमें अगले दो वर्षों तक बहुत सतर्क रहने की जरूरत है, क्योंकि जब ऐसा आंदोलन समाप्ति के करीब होता है, तो बचे हुए कुछ लोग आखिरी बार हमला करने की कोशिश करते हैं।

    उन्होंने कहा कि 40 वर्षों से अधिक समय तक गढ़चिरौली जिला माओवादी हिंसा का शिकार रहा और विकास से कोसों दूर रहा। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि नक्सलियों ने अपने 54 हथियारों के साथ आत्मसमर्पण किया है, जिनमें सात एके-47 और नौ इंसास राइफलें शामिल हैं। भूपति उर्फ सोनू को माओवादी संगठन में सबसे प्रभावशाली रणनीतिकारों में से एक माना जाता था और उसने लंबे समय तक महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़ सीमा पर प्लाटून अभियानों का नेतृत्व किया है।

    इसे भी पढ़ें: वंदे भारत होगी और ज्यादा हाईटेक, जापान और यूरोप की ट्रेनों जैसी मिलेंगी सुविधाएं; रेलवे का पूरा प्लान