लाडकी बहिन योजना की अधिसंख्य लाभार्थी विवाहित महिलाएं, गठबंधन की जीत में इस योजना की रही बड़ी भूमिका
महाराष्ट्र सरकार की ‘मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिन योजना’ में 83% विवाहित महिलाएं लाभार्थी हैं जिनके परिवार की आय 2.5 लाख रुपए से कम है। पिछले चुनावों में इस योजना की अहम भूमिका रही। सरकार ने 5 लाख अयोग्य लाभार्थियों को बाहर किया है और आगामी बजट में योजना की राशि बढ़ाने का वादा किया। विपक्ष ने इसे मतदाताओं के साथ विश्वासघात बताया है।
राज्य ब्यूरो, मुंबई। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार महाराष्ट्र सरकार की ‘मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिन योजना’ के लाभार्थियों में 83 प्रतिशत विवाहित महिलाएं हैं। हाल के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपानीत गठबंधन की जीत में इस योजना की बड़ी भूमिका मानी जाती है। ऐसी ही एक योजना शुरू करने का वायदा भाजपा ने दिल्ली में भी कर रखा है।
एक अध्ययन में पता चला है कि 21 से 65 वर्ष की आयु की उन महिलाओं को 1,500 रुपए की मासिक सहायता प्रदान की जाती है जो विवाहित, तलाकशुदा, विधवा, परित्यक्त या निराश्रित हैं और जिनके परिवार की आय प्रति वर्ष 2,50,000 रुपए से कम है। यह लाभ प्रति परिवार एक अविवाहित महिला को भी प्रदान किया जाता है। इस योजना के अब तक लगभग 2.5 करोड़ लाभार्थी हैं।
लाभार्थियों में विवाहित महिलाएं 83 प्रतिशत
सरकार अब इस योजना के लिए बनाए गए नियमों में न आनेवाली महिलाओं को बाहर करने के लिए जांच कर रही है। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार आंकड़ों से पता चलता है कि लाभार्थियों में विवाहित महिलाएं 83 प्रतिशत एवं अविवाहित महिलाएं 11.8 प्रतिशत हैं।
लाभार्थियों में विधवाओं की हिस्सेदारी 4.7 प्रतिशत है, जबकि 'तलाकशुदा, निराश्रित या परित्यक्त' महिलाओं की हिस्सेदारी सामूहिक रूप से 1 प्रतिशत से भी कम है। लाभार्थियों में तलाकशुदा महिलाएं 0.3 प्रतिशत, परित्यक्त महिलाएं 0.2 प्रतिशत तथा निराश्रित महिलाएं 0.1 प्रतिशत हैं। सर्वाधिक 29 प्रतिशत लाभार्थी 30-39 आयु वर्ग से हैं, इसके बाद 25.5 प्रतिशत लाभार्थी 21-29 आयु वर्ग से तथा 23.6 प्रतिशत लाभार्थी 40-49 आयु वर्ग से हैं।
60 से 65 वर्ष की आयु की महिलाएं लाभार्थियों का केवल पांच प्रतिशत हैं। इस योजना के लिए सबसे अधिक आवेदन पुणे जिले से प्राप्त हुए हैं, उसके बाद नासिक और अहमदनगर का स्थान है। वहीं दूसरी ओर सिंधुदुर्ग और गढ़चिरौली जिलों में सबसे कम आवेदन प्राप्त हुए हैं।
देवेंद्र फडणवीस सरकार ने किया वादा
यह योजना पिछले साल जुलाई में शुरू की गई थी। नवंबर में चुनाव से पहले, भाजपा, एनसीपी और शिवसेना के सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन ने इस योजना के तहत राशि को बढ़ाकर 2100 रुपए प्रति माह करने का वादा किया था। सत्ता में आने के बाद देवेंद्र फडणवीस सरकार ने कहा कि वादा पूरा किया जाएगा। आने वाले बजट में इस आशय की घोषणा की उम्मीद है।
5 लाख अयोग्य महिला को किया गया बाहर
सत्ता में आने के बाद, नई महायुति सरकार ने अयोग्य लाभार्थियों को हटाने के लिए समीक्षा का आदेश दिया है। जांच के बाद अब तक पांच लाख लाभार्थियों को बाहर किया जा चुका है। अधिकारियों का अनुमान है कि यह संख्या बढ़कर 15 लाख हो सकती है। चार पहिया वाहन रखने वाली महिलाएं, सरकारी नौकरी में लगी महिलाएं या अन्य योजनाओं से 1,500 रुपए से अधिक का लाभ प्राप्त करने वाली महिलाएं इस योजना के लिए अयोग्य मानी जाएंगी। योजना के आरंभ के समय कहा गया था कि इससे राज्य के खजाने पर सालाना 46,000 करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा।
विपक्षी दल आरोप लगा रहे हैं कि सरकार ने वोट पाने के लिए महिलाओं को प्रोत्साहन के रूप में धनराशि वितरित की। सत्ता संभालने के बाद, इसने विभिन्न शर्तें लागू कर दीं, जिससे पात्र लाभार्थियों की संख्या में काफी कमी आई है। कांग्रेस का दावा है कि फडणवीस सरकार लाभार्थियों की संख्या में 25 प्रतिशत तक कमी करना चाहती है। उसने इसे मतदाताओं के साथ विश्वासघात बताया है।
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