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    डॉक्टर सुसाइड केस में नया मोड़, मृतका के भाई ने मौत की टाइमिंग पर उठाए सवाल

    Updated: Thu, 30 Oct 2025 03:40 PM (IST)

    महाराष्ट्र के सतारा में महिला डॉक्टर की आत्महत्या मामले में, भाई ने मृत्यु के समय को लेकर चिंता जताई है। उनका आरोप है कि मौत का सही समय जानबूझकर गलत दर्ज किया गया। उन्होंने पुलिस जांच पर संदेह जताते हुए उच्च न्यायालय से एसआईटी जांच की मांग की है। 

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    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। महाराष्ट्र के सतारा में महिला डॉक्टर ने पिछले सप्ताह आत्महत्या कर ली थी। इस मामले में सुसाइड नोट के आधार पर जांच चल रही है। इस बीच महिला डॉक्टर के भाई ने उसकी मृत्यु की टाइमिंग को लेकर चिंता जताई है।

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    डॉक्टर के भाई के अनुसार, मौत का सही समय सुबह 11.50 बजे है, जो जानबूझकर दर्ज नहीं किया गया। इसकी जगह मृत्यु पूरे 12 घंटे बाद 11.50 बजे दर्ज की गई। आरोपी पुलिसकर्मी की पुलिस द्वारा जांच कराने में विरोधाभास की ओर इशारा करते हुए, डॉक्टर के भाई ने उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के नियंत्रण में एक विशेष टीम गठित करने की मांग की है।

    सुसाइड करने वाली महिला डॉक्टर के भाई ने तर्क दिया कि जांच ही संदिग्ध है... इस मामले में पुलिस अधिकारी स्वयं आरोपी हैं। इसलिए जांच के लिए एसआईटी की आवश्यकता है।

    भाई ने कहा कि जब हम सतारा गए तो जांच अधिकारी, उप-अधीक्षक विशाल खंबे ने हमें पोस्टमार्टम रिपोर्ट दिखाई। जब मैंने इसे देखा, तो उसमें केवल 'एस्फिक्सिया' (अर्थात, ऐसी स्थिति जिसमें शरीर को फांसी के कारण ऑक्सीजन नहीं मिल पाती) का उल्लेख था। जो बात शव को देखकर की स्प्षट हो जाती है। भाई ने कहा, "फोरेंसिक विशेषज्ञ द्वारा शव-परीक्षण करने का मुख्य कारण मृत्यु का समय निर्धारित करना होता है। हमने इसका अनुरोध किया था।"

    रिपोर्ट में नहीं है मौत के समय का जिक्र

    एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, डॉक्टर के भाई ने कहा कि परिवार को दिखाई गई शुरुआती रिपोर्ट में यह विवरण गायब था। " रिपोर्ट में उस समय इसका जिक्र नहीं था। मैंने इसके बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि हम आपको दो दिन में बता देंगे।  इस रिपोर्ट को आने में छह दिन लग गए। और तब भी आप हमें केवल वही क्यों बता पाए जो हम पहले से जानते थे (यानी, डॉक्टर की मृत्यु दम घुटने से हुई)? और मृत्यु का समय क्यों नहीं बताया गया?"

    डॉक्टर के परिवार ने यह भी दावा किया है कि उनकी मृत्यु के बाद किसी ने उनके मोबाइल फोन को अनलॉक करके जरूरी जानकारी मिटा दी। उन्होंने यह भी दावा किया कि उनकी मृत्यु के बाद भी उनका व्हाट्सएप अकाउंट 'एक्टिव' बना रहा, जिससे यह संदेह पैदा होता है कि किसी ने डिवाइस से जरूरी जानकारी मिटा दी।

    गौरतलब है कि महाराष्ट्र के सतारा के एक सरकारी अस्पताल में तैनात मिला डॉक्टर होटल के एक कमरे में मृत पाई गईं, उनके बाएँ हाथ की हथेली पर एक सुसाइड नोट लिखा था। सुसाइड नोड में सब-इंस्पेक्टर गोपाल बदाने पर बलात्कार और एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर, प्रशांत बनकर पर लंबे समय तक मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया गया था। इस मामले में दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया है।

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