अर्नब गोस्वामी मामले पर महाराष्ट्र सरकार को बड़ा झटका, सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी पर लगाई रोक
अर्नब गोस्वामी मामले पर मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता अर्नब गोस्वामी को उनके मामले के खिलाफ जारी विशेषाधिकार नोटिस में सुनवाई तक गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है ।
नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट ने रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी को पत्र लिखने के मामले में महाराष्ट्र विधानसभा के सचिव को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। अदालत ने उनसे दो सप्ताह में यह बताने को कहा है कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए? विधानसभा सचिव ने अर्नब को कथित तौर पर सदन के नोटिस की जानकारी शीर्ष अदालत को नहीं देने के लिए कहा था। सर्वोच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र विधानसभा के विशेषषाधिकार के उल्लंघन मामले में अर्नब को गिरफ्तारी से राहत दे दी है। अदालत ने विधानसभा सचिव के 13 अक्टूबर के पत्र पर कड़ी आपत्ति व्यक्त की और कहा कि पहली नजर में उन्होंने अदालत की अवमानना की है।
मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ को जब अर्नब के वकील हरीश साल्वे ने पत्र का अंश पढ़कर सुनाया, तो उसने इस पर नाराजगी प्रकट की। पीठ ने कहा, हमें इस बात पर हैरानी हो रही है कि अधिकारी ने ऐसा कोई पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने कहा है कि विधानसभा की कार्यवाही गोपनीय थी। इसे बताया नहीं जा सकता।
अदालत ने कहा कि यह एक गंभीर मामला है और अवमानना के समान है। इस तरह का बयान अप्रत्याशित है और इसका मकसद न्यायिक प्रशासन का अपमान करना है। इसके अलावा यह न्यायिक प्रशासन के क्षेत्र में सीधा दखल है।
अदालत से संपर्क करना संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत हर किसी का मौलिक अधिकार
पीठ ने कहा कि ऐसा मालूम होता है कि पत्र लिखने का मकसद याचिकाकर्ता को धमकी देना है, क्योंकि उन्होंने इस अदालत से संपर्क किया है। इसके अलावा पत्र लेखक ने ऐसा करने पर सजा भुगतने की चेतावनी भी दी है। पीठ ने कहा कि विधानसभा सचिव को समझना चाहिए कि इस अदालत से संपर्क करना संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत हर किसी का मौलिक अधिकार है।