महाराष्ट्र में कांग्रेस को तगड़ा झटका, राहुल गांधी के करीबी रहे राजीव सातव की पत्नी भाजपा में शामिल
राहुल गांधी के करीबी नेता रहे दिवंगत राजीव सातव की पत्नी प्रज्ञा सातव ने कांग्रेस का साथ छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया है। उन्होंने विधान परिषद की सदस्य ...और पढ़ें

भाजपा में शामिल हुईं दिवंगत राजीव सातव की पत्नी
ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। राहुल गांधी के बहुत करीबी नेता रहे दिवंगत राजीव सातव की पत्नी प्रज्ञा सातव भी कांग्रेस का साथ छोड़ भाजपा में शामिल हो गई हैं। प्रज्ञा ने कांग्रेस से मिली विधान परिषद की सदस्यता से त्यागपत्र देकर भाजपा का दामन थाम लिया है।
कांग्रेस से उनका त्यागपत्र दिलवाकर मुख्यमंत्री फडणवीस ने एक तीर से कई निशाने साध लिए हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस द्वारा जीती दो सीटों में से एक हिंगोली से राजीव सातव की थी। सिर्फ 46 वर्ष की आयु में 2021 में उनके निधन के पश्चात कांग्रेस ने उनकी पत्नी प्रज्ञा सातव को राज्य विधान परिषद की सदस्यता दिलवाई थी।
प्रज्ञा सातव ने छोड़ी कांग्रेस की विधान परिषद सदस्यता
गुरुवार को प्रज्ञा ने न सिर्फ विधान परिषद की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया, बल्कि कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से भी त्यागपत्र देकर भाजपा का हाथ थाम लिया।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र चव्हाण एवं वरिष्ठ मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने उन्हें भाजपा की सदस्यता दिलवाई। प्रज्ञा के कांग्रेस छोड़ने से विधान परिषद में न सिर्फ कांग्रेस की एक सीट कम हो गई, बल्कि नेता प्रतिपक्ष पद से उसका दावा भी खत्म हो गया।
भाजपा में शामिल हुईं दिवंगत राजीव सातव की पत्नी
विधान परिषद में कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) दोनों के छह-छह सदस्य थे। जबकि विधानसभा में शिवसेना (यूबीटी) के 20 एवं कांग्रेस के 16 सदस्य हैं।
कांग्रेस चाहती थी कि भविष्य में जब भी दोनों सदनों में नेता प्रतिपक्ष की घोषणा हो, तो विधान परिषद में उसके सदस्य सतेज पाटिल को नेता चुनाव जाए, और विधानसभा में अधिक संख्या होने के कारण शिवसेना को यह पद मिले। लेकिन भाजपा की एक चाल ने जहां कांग्रेस का खेल बिगाड़ दिया है, वहीं शिवसेना (यूबीटी) को थोड़ा खुश रहने का भी मौका दे दिया है।
कांग्रेस का विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष का दावा खत्म
चूंकि शिवसेना (यूबीटी) के अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे भी विधान परिषद के ही सदस्य हैं, इसलिए अब विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष पद पर सीधा दावा उद्धव ठाकरे का ही बनेगा।
वहीं विधान सभा में शिवसेना (यूबीटी) उद्धव के पुत्र आदित्य ठाकरे को नेता प्रतिपक्ष बनाना चाहती थी। लेकिन अब यदि दोनों नेता प्रतिपक्ष एक ही परिवार से हो जाएंगे, तो उसकी आलोचना भी उद्धव ठाकरे को ही सहनी पड़ेगी।
इसलिए विधानसभा में यह पद संभवतः किसी और देना पड़ेगा। इस प्रकार आदित्य ठाकरे को नेता प्रतिपक्ष न बनने देने का मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का लक्ष्य भी पूरा हो जाएगा, कांग्रेस दोनों सदनों में नेता प्रतिपक्ष के पद से वंचित रह जाएगी।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।