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    वायरल बीमारियां फैलने के पीछे फार्मा कंपनियों की भूमिका तो नहीं!, मद्रास हाई कोर्ट ने दिए जांच के आदेश

    By Jagran NewsEdited By: Arun kumar Singh
    Updated: Sun, 16 Oct 2022 11:54 PM (IST)

    भले ही आदेश मद्रास हाई कोर्ट की एकल पीठ ने दिया हो लेकिन इस आदेश के मायने गहरे और दूरगामी प्रभाव वाले हैं। मद्रास हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति एसएम सुब्रमण्यम ने अस्पताल में एक्सपायरी तिथि की दवाओं की शिकायत से जुड़े मामले की सुनवाई में14 अक्टूबर को उपरोक्त आदेश दिए।

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    मद्रास हाई कोर्ट को फार्मा कंपनियों की भूमिका संदेहजनक नजर आ रही है

    माला दीक्षित, नई दिल्ली। कोरोना के बाद से एक के बाद एक लगातार वायरल बीमारियों के फैलने के पीछे कहीं फार्मा कंपनियों और दवा व्यापारियों की भूमिका तो नहीं है? लगातार फैल रही वायरस जनित बीमारियों में मद्रास हाई कोर्ट को फार्मा कंपनियों की भूमिका संदेहजनक नजर आ रही है। शुक्रवार को मद्रास हाई कोर्ट ने तमिलनाडु में लगातार फैल रही वायरस जनित बीमारियों के पीछे के कारण पता लगाने और इसमें फार्मा कंपनियों और दवा व्यापारियों की गतिविधि और भूमिका जांचने का तमिलनाडु सरकार को आदेश दिया है। यह शायद देश में अपनी तरह का पहला मामला होगा जबकि किसी कोर्ट ने वायरस जनित बीमारियों के फैलने के पीछे के कारणों की जांच के आदेश दिए हैं।

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    वायरसों में फार्मा कंपनियों की भूमिका की जांच करेगी तमिलनाडु सरकार

    भले ही आदेश एक राज्य यानी तमिलनाडु के बारे में हो और फैसला मद्रास हाई कोर्ट की एकल पीठ ने दिया हो लेकिन इस आदेश के मायने गहरे और दूरगामी प्रभाव वाले हैं। मद्रास हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति एसएम सुब्रमण्यम ने अस्पताल में एक्सपायरी तिथि की दवाओं की शिकायत से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान 14 अक्टूबर को उपरोक्त आदेश दिए। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में मेडिकल स्टोर आफिसर पर आरोप था कि उसने जितनी दवा की अनुमति थी, उससे ज्यादा दवाएं खरीद लीं जो कि बाद में एक्सपायरी हो गईं। इससे राज्य को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा।

    वायरस इन्फेक्शन के पीछे फार्मा कंपनियों व दवा व्यापारियों की भूमिका पर जताया शक

    कोर्ट ने कहा कि आम लोगों के बीच ये भी आरोप लगाए जाते हैं कि शहरों और गावों में सरकारी अस्पताल में इलाज कराने वाले गरीब लोगों को एक्सपायरी तिथि की दवाइयां दी जाती हैं और वे दवाइयां असर नहीं करती क्योंकि वे एक्सपायरी हो चुकी होती हैं। कोर्ट ने आदेश में आगे कहा कि इसके अलावा आजकल बहुत सी बीमारियां फैल रही हैं जबकि सरकार ने साफ-सफाई के कई कार्यक्रम चला रखे हैं। कोरोना के बाद मंकीपाक्स और उसके बाद इन्फ्लूंजा और फिर अन्य बीमारियां राज्य में फैलीं। ये वायरल बीमारियां लगातार फैल रही हैं और मेडिकल रिसर्चर व सक्षम अथारिटीज इनके फैलने का कारण नहीं खोज पाईं।

    फार्मा कंपनियों पर भी कई तरह के आरोप

    कोर्ट ने कहा कि लोगों को संदेह है कि क्या कोई अपने निजी स्वार्थ के चलते संगठित रूप से इन बीमारियों को फैलाने के लिए गैरकानूनी काम कर रहा है। मद्रास हाई कोर्ट ने कहा कि फार्मा कंपनियों पर भी कई तरह के आरोप हैं। यहां तक कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में भी यह तथ्य आया था कि फार्मा कंपनियां अनैतिक तरीके से अपने ब्रांड को प्रमोट करके हजारों करोड़ कमा रही हैं। कोर्ट ने कहा कि ये फार्मा कंपनियां इस तरह की वायरल बीमारियां फैलाने में क्या अन्य तरह की गैरकानूनी गतिविधि में भी शामिल हैं, इसकी भी तत्काल जांच होनी चाहिए।

    हाई कोर्ट ने पूछा, दवा आपूर्ति की गतिविधियों की निगरानी का क्या हैं तंत्र

    कोर्ट ने पूछा कि क्या राज्य सरकार फार्मा कंपनियों की सरकारी अस्पतालों और निजी व्यापारियों को दवा की आपूर्ति की गतिविधियों की निगरानी करती है। कोर्ट स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के लिए इस सब पर विचार करेगा। स्वास्थ्य संविधान के अनुच्छेद 21 में मिले जीवन के मौलिक अधिकार का हिस्सा है। कोर्ट ने कहा कि इसलिए राज्य सरकार को निर्देश दिया जाता है कि वह जरूरी जांच करके तमिलनाडु में बिना किसी गैप के एक के बाद एक फैल रही वायरल बीमारियों का कारण पता लगाए और ब्योरा दे। साथ ही फार्मा कंपनियों और अन्य दवा व्यापारियों की गतिविधियां सुनिश्चित करे।