मद्रास बार एसोसिएशन ने IPC, CRPC और IEA का नाम हिंदी में बदलने के खिलाफ पारित किया प्रस्ताव
11 अगस्त को संसद के निचले सदन के दौरान तीन कानून पेश किए गए-भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 भारतीय न्याय संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023। इस विधेयक में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी)1973 में आपराधिक संहिता शामिल है। प्रक्रिया (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम1872 को निरस्त किया जा रहा है। अमित शाह ने जोर देते हुए कहा हम (सरकार) इन दोनों मूलभूत पहलुओं में बदलाव लाने जा रहे हैं।
चेन्नई, एजेंसी। मद्रास बार एसोसिएशन (एमबीए) ने शुक्रवार को तीन अलग-अलग विधेयक पेश करके भारतीय दंड संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम और आपराधिक प्रक्रिया संहिता का नाम बदलकर क्रमशः भारतीय न्याय संहिता, भारतीय साक्ष्य और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता करने के प्रस्ताव के खिलाफ संसद में एक प्रस्ताव पारित किया।
11 अगस्त को संसद के निचले सदन के दौरान तीन कानून पेश किए गए- भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023, भारतीय न्याय संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023। इस विधेयक में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), 1973, आपराधिक संहिता शामिल है। प्रक्रिया (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 को निरस्त किया जा रहा है।
बिल पेश करते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि इन तीन नए कानूनों की आत्मा नागरिकों को संविधान द्वारा दिए गए सभी अधिकारों की रक्षा करना होगा। उन्होंने कहा, "ब्रिटिश काल के कानून उनके शासन को मजबूत करने और उसकी रक्षा करने के लिए बनाए गए थे और उनका उद्देश्य न्याय देना नहीं, बल्कि दंड देना था।"
जहां आवश्यक होगा वहां सजा दी जाएगी- अमित शाह
अमित शाह ने जोर देते हुए कहा, "हम (सरकार) इन दोनों मूलभूत पहलुओं में बदलाव लाने जा रहे हैं। इन तीन नए कानूनों की आत्मा भारतीय नागरिकों को संविधान द्वारा दिए गए सभी अधिकारों की रक्षा करना होगा। उद्देश्य किसी को दंडित करना नहीं बल्कि न्याय देना होगा और इस प्रक्रिया में अपराध की रोकथाम की भावना पैदा करने के लिए जहां आवश्यक होगा वहां सजा दी जाएगी।"
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