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    करोड़ों खर्च कर लगाए जैट्रोफा के पौधे, आज तक नहीं बना पाया एक बूंद ईंधन

    By Nancy BajpaiEdited By:
    Updated: Tue, 28 Aug 2018 11:24 AM (IST)

    बायोफ्यूल के लिए 10 साल पहले श्योपुर में करोड़ाें रुपये खर्च कर हजारों जैट्रोफा के पौधे रोपे गए थे। लेकिन इनसे एक बूंद ईंधन नहीं बन पाया।

    करोड़ों खर्च कर लगाए जैट्रोफा के पौधे, आज तक नहीं बना पाया एक बूंद ईंधन

    श्योपुर, हरिओम गौड़ (नईदुनिया)। जैट्रोफा (रतनजोत) के बीजों से बनाए गए ईंधन से सोमवार को देश में पहली बार हवाई जहाज उड़ाया गया। स्पाइस जेट कंपनी ने देहरादून से लेकर दिल्ली तक क्यू-400 हवाई जहाज जैट्रोफा से बने ईंधन से उड़ाया। इस कारनामे के साथ विकासशील देशों में भारत पहला देश बन गया है, जिसने बायो फ्यूल से हवाई जहाज उड़ाया। सरकारी मशीनरी यदि गंभीरता दिखाती तो श्योपुर में भी जैट्रोफा से ईंधन बनता क्योंकि बायोफ्यूल के लिए 10 साल पहले श्योपुर में भी करोड़ाें रुपये खर्च कर हजारों जैट्रोफा के पौधे रोपे गए, लेकिन इनसे एक बूंद ईंधन नहीं बन पाया।

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    मप्र में 2007-08 में जैट्रोफा रोपने की योजना बनी

    2007-08 में मध्य प्रदेश सरकार ने डीजल-पेट्रोल के विकल्प के रूप में जैट्रोफा रोपे जाने की योजना तैयार की थी। इस योजना के तहत किसानों को अपने खेतों में जैट्रोफा रोपने के लिए नि:शुल्क उपलब्ध कराए गए थे। किसानों को भरोसा दिलाया गया था कि एक साल के भीतर जैट्रोफा फल देना शुरू कर देगा। इस फल को सरकार किसान के खेत से खरीदकर ले जाएगी। भारी मुनाफे के चलते किसानों ने खेत की मेड़ों पर इन्हें उगा दिया। उधर, प्रशासन ने सभी सरकारी कार्यालयों में जैट्रोफा के पौधे रोप दिए। सबसे बड़ा अभियान तो जल संसाधन विभाग ने चलाया। जल संसाधन विभाग ने नहर किनारे अपनी जमीन पर पूरे जिले में जैट्रोफा के पौधे रौपे थे। इन पौधों के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए गए थे। कई स्थानों पर आज भी जैट्रोफा के पौधे खड़े हैं, लेकिन इन पौधों से निकालने वाले फल को खरीदने वाली कोई कंपनी आज तक श्योपुर नहीं पहुंची।

    जैट्रोफा की आढ़ में 120 बीघा सरकारी जमीन गई

    मनरेगा की हरियाली महोत्सव योजना के तहत साल 2007-08 में सौंठवा ग्राम पंचायत ने जैट्रोफा पौधरोपण किया। करीब 120 बीघा जमीन में मनरेगा मद से 49 लाख रुपये खर्च कर जैट्रोफा के हजारों पौधे सौंठवा, खेड़ली, पाड़ल्या व फतेहपुर गांव में लगाए गए। नियमानुसार पौधों में से 80 फीसद पौधे जीवित होने चाहिए, इसकी जिम्मेदारी ग्राम पंचायत को दी गई थी। लेकिन 5 फीसद पौधे भी नहीं बचे। जिस 120 बीघा जमीन में जैट्रोफा के पौधे लगाए गए, वहां कहीं-कहीं जैट्रोफा के पौधे नजर आते हैं। अधिकांश जमीन पर दबंगों द्वारा खेती की जा रही है। यानी पौधों के नाम पर 49 लाख व 120 सरकारी जमीन चली गई।

    घोटालाें को छिपाने के लिए रिकॉर्ड गायब

    उक्त मामले की शिकायत 2013 में सौंठवा ग्राम पंचायत की तत्कालीन सरपंच गीताबाई ने की तब प्रशासन हरकत में आया। शिकायत के बाद आरइएस के तत्कालीन ईई सीएन मिश्रा व जिला पंचायत में तब के पीओ प्रकाश शर्मा ने सौंठवा भेजकर मामले की जांच करवाई गई। 21 अगस्त, 2013 को दोनाें अफसरों ने तत्कालीन जिला पंचायत सीइओ एचपी वर्मा को जो रिपोर्ट दी थी, उसमें भी कहा गया कि सौंठवा, खेड़ली, पाड़लया व फतेहपुर में एक भी जट्रोफा का पौधा नहीं मिला है।

    जिले में जैट्रोफा लगाने पर करोड़ों रुपये बर्बाद हुए थे। यह सोचा समझा प्लान था, जिसके तहत करोड़ों रुपये का गबन किया गया। जिस समय इस योजना पर काम हो रहा था, मैंने तभी इस पर आपत्ति जताई थी। जैट्रोफा के पौधों के संरक्षण का कोई काम किया नहीं। पौधे बर्बाद हो गए। जो बचे उनकी सुध अफसरों ने ली ही नहीं।

    -रामनिवास रावत ,विधायक, विजयपुर

    हां, एक शिकायत के बाद सौंठवा में जैट्रोफा पौधरोपण की जांच कराई थी। जहां पौधरोपण बताया गया, वहां पौधे भी नहीं हैं। सबसे बड़ी गड़बड़ी तो यह मिली कि पंचायत ने इस पौधरोपण का सारा रिकॉर्ड गायब कर दिया था जो मिला नहीं।

    -एचपी वर्मा, पूर्व जिपं सीइओ, श्योपुर

    ईंधन नहीं बच्चों के लिए मुसीबत बन गए ये पौधे

    जैट्रोफा किसान या प्रशासन के कोई काम तो नहीं आया अलबत्ता इसे खाकर सैंकड़ों बच्चे बीमार जरूर पड़ गए। ऐसे बच्चों में स्कूली बच्चों की संख्या अधिक थी। स्कूलों में रोपे गए जैट्रोफा के पौधों में जो फल आता है, उसकी गुठली को तोड़कर बच्चे चाव से खाने लगे। मालूम हो, गांवों में बेहड़े के फल की गुठली को फोड़कर बच्चे चाव से खाते हैं। यह फल पौष्टिक व स्वादिष्ट होता है। जैट्रोफा की गुठली से निकला बीज भी कुछ इसी तरह का दिखाई देता है। लेकिन वह नशीला होता है। इससे बच्चों को चक्कर आना, बेहोशी छाना जैसी प्रक्रिया शुरू हो जाती है। ऐसी घटनाओं के बाद प्रशासन ने स्कूलों और छात्रावासों से जैट्रोफा को जड़ से उखड़वाकर फिकवा दिया।