बीएनएस कानून के तहत MP में पहली बार फांसी की सजा, ‘जादू-टोना’ के शक में सिर काटकर की थी हत्या
मध्य प्रदेश में भारतीय न्याय संहिता के तहत पहली बार फांसी की सजा सुनाई गई है। खंडवा कोर्ट ने चंपालाल को जादू-टोने के शक में रामनाथ बिलोटिया की हत्या का दोषी पाया। चंपालाल ने कुल्हाड़ी से रामनाथ का सिर धड़ से अलग कर दिया था। पुलिस जांच और डीएनए रिपोर्ट के आधार पर न्यायालय ने यह फैसला सुनाया।

बीएनएस के तहत एमपी में पहली बार सुनाई गई फांसी की सजा। (प्रतीकात्मक तस्वीर)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। एक जुलाई 2014 से लागू भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के प्रविधानों के तहत मध्य प्रदेश में पहली बार फांसी की सजा सुनाई गई है। खंडवा के द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश अनिल चौधरी की अदालत ने 23 वर्षीय चंपालाल उर्फ नंदू मेहर को हत्या का दोषी पाया है।
जानकारी के अनुसार, ग्राम छनेरा निवासी 60 वर्षीय रामनाथ बिलोटिया 12 दिसंबर 2024 की रात लघुशंका के लिए घर से निकला, तो पड़ोसी चंपालाल ने जादू-टोने के शक में विवाद करते हुए कुल्हाड़ी से सिर धड़ से अलग कर दिया। इस हत्याकांड को रामनाथ की पत्नी शांतिबाई ने अपनी आंखों से देखा। हत्या के बाद भी चंपालाल शव के पास खड़ा होकर लोगों को धमकाता रहा।
घटना के नौ माह बाद आया फैसला
बोरगांव पुलिस ने शांतिबाई की शिकायत पर बीएनएस की धारा 103(1) के तहत प्रकरण दर्ज किया। उप निरीक्षक रामप्रकाश यादव को जांच सौंपी गई। उन्होंने घटनास्थल पर आरोपित के हाथ से खून से सनी कुल्हाड़ी, कपड़े, मृतक का सिर और धड़ अलग-अलग बरामद किए। डीएनए रिपोर्ट में आरोपी के कपड़ों और कुल्हाड़ी पर मृतक के रक्त के चिन्ह पाए गए। यही साक्ष्य न्यायालय में सबसे महत्वपूर्ण साबित हुए। घटना के लगभग नौ माह बाद अब चंपालाल को फांसी की सजा सुनाई गई।
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