झूठे SC प्रमाण-पत्र पर लड़ा था चुनाव, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया मध्य प्रदेश हाईकोर्ट आदेश, जानें पूरा मामला
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के उस आदेश को खारिज कर दिया जिसमें अनुसूचित जाति (एससी) के झूठे प्रमाण-पत्र के कथित इस्तेमाल के संबंध में चार लोगों के विरुद्ध दर्ज आपराधिक शिकायत को रद कर दिया गया था। इनमें से एक व्यक्ति ने 2008 में मध्य प्रदेश का विधानसभा चुनाव इस झूठे प्रमाण-पत्र के आधार पर आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवार के रूप में लड़ा और जीता था।

झूठे एससी प्रमाण-पत्र पर चुनाव लड़ने की शिकायत खारिज करने का मप्र हाई कोर्ट का आदेश रद (सांकेतिक तस्वीर)
पीटीआई,नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के उस आदेश को खारिज कर दिया जिसमें अनुसूचित जाति (एससी) के झूठे प्रमाण-पत्र के कथित इस्तेमाल के संबंध में चार लोगों के विरुद्ध दर्ज आपराधिक शिकायत को रद कर दिया गया था। इनमें से एक व्यक्ति ने 2008 में मध्य प्रदेश का विधानसभा चुनाव इस झूठे प्रमाण-पत्र के आधार पर आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवार के रूप में लड़ा और जीता था।
जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने 2014 में गुना में दर्ज आपराधिक शिकायत को रद करते हुए एक ''मिनी ट्रायल'' चलाया था।
पीठ ने कहा, ''मुकदमे में अपराध सिद्ध होंगे या नहीं, यह पेश किए गए सुबूतों पर निर्भर करेगा। इस स्तर पर यह नहीं कहा जा सकता कि इन आरोपितों के विरुद्ध अभियोजन को शुरू में ही रोक दिया जाए।''
पीठ ने निर्देश दिया कि शिकायत को बहाल किया जाए और मुकदमा एक वर्ष के भीतर पूरा किया जाए।सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर पीठ के जून, 2016 के आदेश को चुनौती देने वाली अपीलों पर यह फैसला सुनाया।
शीर्ष अदालत ने कहा कि धोखाधड़ी सहित कथित अपराधों के लिए शिकायत दर्ज की गई थी, क्योंकि उनमें से एक ने 2008 में विधानसभा सीट चुनाव लड़ा था और खुद को अनुसूचित जाति का बताया था।
शिकायत में आरोप लगाया गया था कि उसने तीन अन्य लोगों की मदद से झूठी जानकारी और एक हलफनामा दिया था, जिसमें दावा किया गया था कि वह 'सांसी' जाति का है।
अपीलकर्ता के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में तर्क दिया कि चुनाव की घोषणा से ठीक दो महीने पहले अगस्त, 2008 में आरोपित ने झूठा एससी प्रमाण-पत्र हासिल किया था। आरोपित के वकील ने तर्क दिया कि शिकायत में दुर्भावना की बू आ रही है और यह षड्यंत्र है।
पीठ ने कहा कि शिकायत और दस्तावेज पढ़ने के बाद यह नहीं कहा जा सकता कि आरोपितों के विरुद्ध प्रथम दृष्टया धोखाधड़ी सहित कोई भी अपराध नहीं बनता। कहा, ''नि:संदेह, अंतिम निर्णय मुकदमे में आगे के सुबूतों पर निर्भर करेगा। दूसरे शब्दों में, यह नहीं कहा जा सकता कि एक आपत्ति के आधार पर उक्त चारों आरोपितों के विरुद्ध शिकायत रद की जा सकती है।''
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