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मध्य प्रदेश की एथलीट बेटी ने बढ़ाया छात्राओं का हौसला, स्वाभिमान से जीने के लिए किया प्रेरित

मध्य प्रदेश की एथलीट बेटी आशा आज की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा हैं और महिलाओं के लिए एक मिसाल हैं। उन्होंने 26000 किलोमीटर की लंबी साइकिल यात्रा की। आशा ने अपने जीवन के अनुभवों को छात्राओं के साथ साझा किया। साथ ही छात्राओं को साहसी निडर निर्भीक आत्मनिर्भर और स्वाभिमान से जीने के लिए प्रेरित किया। किसी भी कार्य को करने के लिए नजरिया होना चाहिए।

By Jagran NewsEdited By: Anurag GuptaPublished: Sat, 02 Sep 2023 11:31 PM (IST)Updated: Sat, 02 Sep 2023 11:31 PM (IST)
मध्य प्रदेश की एथलीट बेटी ने बढ़ाया छात्राओं का हौसला

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। दीनदयाल उपाध्याय महाविद्यालय के एनसी वेबकेंद्र और भारतीय स्त्री शक्ति के तत्वाधान में महाविद्यालय में "A talk with solo cyclist" कार्यक्रम का शनिवार को आयोजन किया गया। मध्य प्रदेश की 24 वर्षीय एथलीट और पर्वतारोही आशा मालवीय के सम्मान में रखा गया था।

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आशा मालवीय ने 'solo cycle यात्रा' के माध्यम से सम्पूर्ण भारत यात्रा की शुरुआत की। इस कार्यक्रम में महाविद्याल के प्राचार्य प्रो हेमचंद जैन उपस्थित रहें। दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ डीन और एनसीवेब के चेयरमैन प्रो. बलराम पाणी भी उपस्थित रहे।

एनसीवेब की निदेशक प्रो गीता भट्ट जी उपस्थित रहीं, भारतीय स्त्री शक्ति की सदस्या डॉ ज्योति चौथाईवाले, कार्यक्रम में उपस्थित रहीं। प्राचार्य प्रो हेमचंद जैन जी ने नवांगतुक छात्राओं का स्वागत किया महिला एथलीट का स्वागत कर उनके साहस को प्रोत्साहित किया।

प्रो बलराम पाणी ने छात्राओं को उनके जीवन में लक्ष्य, विचार,नजरिया, साफ होना चाहिए, इस बात पर बल दिया। प्रो. गीता भट्ट ने छात्राओं को अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक, देश के प्रति निष्ठावान और हर क्षेत्र में महिलाओं का योगदान होना चाहिए, कह कर छात्राओं का उत्साहवर्धन किया। डॉ ज्योति ने आशा के हौसले, साहस और भारत को उनके नजरिए से देखने के लिए प्रोत्साहित किया।

महिलाओं के लिए एक मिसाल हैं आशा

मुख्य अतिथि आशा आज की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा हैं और महिलाओं के लिए एक मिसाल हैं। उन्होंने 26,000 किलोमीटर की लंबी साइकिल यात्रा की और यह यात्रा 28 राज्यों से गुजर कर पूरी की। उनकी यात्रा एक नवंबर, 2022 को भोपाल से शुरू हुई और 14 अगस्त, 2023 को दिल्ली पहुंच गई। उनकी इस साइकिल यात्रा का उद्देश्य 'महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण' का संदेश देना रहा।

आशा ने अपने जीवन के अनुभवों को छात्राओं के साथ साझा किया। साथ ही छात्राओं को साहसी, निडर, निर्भीक, आत्मनिर्भर और स्वाभिमान से जीने के लिए प्रेरित किया। किसी भी कार्य को करने के लिए नजरिया होना चाहिए।

सियाचिन पर साइकिल से चढ़ाई करना चाहती हैं आशा

उन्होंने कहा कि जीवन में जिसको गोल दिखता है उसे प्रॉब्लम नहीं दिखती और जिसे प्रॉब्लम दिखती है वो गोल नहीं देख पाता तो व्यक्ति को केंद्रित होना आवश्यक है। अंत में उन्होंने कहा कि मैं जिंदगी लिमिट में नहीं अनलिमिटेड जीना चाहती हूं। मेरा अगला लक्ष्य सियाचिन पर साइकिल से चढ़ाई करने का है।

कार्यक्रम का समापन महाविद्यालय के डॉ सुनील कुमार ने किया। इस कार्यक्रम में शिक्षक, गैर शिक्षक और छात्राओं ने भागीदारी की और महिला एथलीट के अनुभवों को सुनकर उनसे प्रेरणा ली।


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