मध्य प्रदेश की 5 कंपनियों के दवा उत्पादन पर रोक, एक का लाइसेंस निरस्त
मध्य प्रदेश सरकार ने नकली दवाओं के खिलाफ कार्रवाई करते हुए पांच दवा कंपनियों के उत्पादन पर रोक लगा दी है। एक कंपनी का लाइसेंस भी रद्द कर दिया गया है। यह कदम दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है, क्योंकि जांच में कई अनियमितताएं पाई गईं। सरकार ने नागरिकों के स्वास्थ्य की सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई है।

5 कंपनियों के दवा उत्पादन पर रोक।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मध्य प्रदेश में ओरल लिक्विड कफ सीरप, टानिक जैसी दवाएं बनाने वाली फर्मों में खामियां मिली हैं। कुछ फर्मों द्वारा तैयार उत्पादों की जांच औषधि प्रशासन को सूचना दिए बिना राज्य के बाहर से कराई जा रही थी। अधिकतर फर्म में दक्ष कर्मचारियों की कमी मिली।
लाइसेंस शर्तों का पालन नहीं करने पर औषधि प्रशासन ने पांच फर्मों को कारण बताओ नोटिस देकर जवाब मांगा है। जवाब मिलने तक उत्पादन पर रोक भी लगाई है।
मप्र में विषाक्त कफ सीरप से 26 बच्चों की मौत के बाद राज्य खाद्य एवं औषधि प्रशासन और सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड एवं कंट्रोल आर्गनाइजेशन (सीडीएससीओ) इंदौर जोन की संयुक्त टीमों ने कंपनियों का निरीक्षण तेज किया है। ओरल लिक्विड बनाने वाली 32 फर्मों का निरीक्षण किया जाना है।
जिन कंपनियों में खामियां मिलीं उनमें मेसर्स सेजा फार्मूलेशंस इंदौर, मेसर्स विशाल फार्मास्युटिकल्स लेबोरेट्री इंदौर, मेसर्स सामकेम इंदौर, मेसर्स विलक्योर रेमेडीज इंदौर एवं मेसर्स शील केमिकल्स ग्वालयिर को कारण बताओ नोटिस जारी कर सतर्कता के तौर पर ओरल लिक्विड औषधियों के निर्माण की अनुमति पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई गई है। मेसर्स एडकान लैब द्वारा लाइसेंस सरेंडर किए जाने के कारण अनुज्ञा रद कर दी गई है।

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