Chandra Grahan 2025: साल का आखिरी चंद्रग्रहण रात 1:26 बजे समाप्त, यहां देखें खगोलीय घटना का अद्भुत नजारा
Lunar Eclipse Live: कई लोग ये मानते हैं कि ग्रहण को नंगी आंखों से नहीं देखना चाहिए। सूर्यग्रहण के मामले में यह बात तो पूरी तरह सच है, लेकिन चंद्रग्रहण के साथ ऐसा नहीं है। चंद्रग्रहण को देखना पूरी तरह से सुरक्षित है और इससे अद्भुत खगोलीय घटना का गवाह बनना अपने आप में बेहद रोमांचकारी है।

Lunar Eclipse 2025 Time In India: चंद्रग्रहण एक अद्भुत खगोलीय घटना है और आज पूरा देश इसका गवाह बना। रात करीब 9:58 बजे चंद्रग्रहण शुरू हुआ और 8 सितंबर की देर रात 1:26 बजे समाप्त हो गया। 82 मिनट की यह अद्भुत घटना देश के अधिकांश हिस्सों से देखी गई। यह चंद्रग्रहण भारत के अधिकांश हिस्सों में दिखाई दिया, इसलिए इसके प्रति लोगों का उत्साह भी बरकरार रहा।

नैनीताल से रात 12:20 बजे लालिमा लिए हुए चंद्रग्रहण नजर आया। रात साढ़े 11 बजे बाद से धीरे-धीरे काली छाया वाला ग्रहण छंटना शुरू हुआ और चंद्रमा लाल (ब्लड मून) दिखने लगा।
चंद्र ग्रहण की कई तस्वीरें सामने आई है, जिसको लोगों ने देखा। इस अद्भुत खगोलीय घटना को देखने के लिए देर रात तक लोग जगे रहे।
पश्चिम बंगाल विज्ञान मंच में लूनरएक्लिस देखने आई रिया भट्टाचार्य ने कहा, "यह पहली बार है जब मैंने पूर्ण चंद्रग्रहण देखा है। ब्लड मून ऐसी घटनाओं में से एक है जिसके बारे में मैंने रिसर्च की है और सुनी है। यह लाइव अनुभव बहुत रोमांचक है।"
#WATCH | Kolkata, West Bengal | "This is the first time I have witnessed Total Lunar Eclipse. Blood moon is one of the most interesting phenomena I have researched and heard about... This live experience is extremely immersive...", says Riya Bhattacharjee, a student who came to… pic.twitter.com/W0ZpUIwCnX
— ANI (@ANI) September 7, 2025
वर्ष 2026 का पहला चंद्र ग्रहण कब लगेगा?
नासा के अनुसार, 2026 में दो चंद्र ग्रहण होंगे। पहला चंद्र ग्रहण 3 मार्च 2026 को होगा और यह पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा। ग्रहण की अवधि 3 घंटे 27 मिनट होगी और यह एशिया, ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत और अमेरिका में दिखाई देगा।
वर्ष 2026 का दूसरा चंद्र ग्रहण कब लगेगा?
2026 में दूसरा चंद्र ग्रहण 28 अगस्त को होगा। यह आंशिक चंद्र ग्रहण होगा और इसकी अवधि 3 घंटे 18 मिनट होगी। यह प्रशांत, अमेरिका, यूरोप और अफ्रीका में दिखाई देगा।
रिपोर्ट्स के अनुसार, अगला ब्लड मून 177 दिनों बाद दिखाई देगा, जो उत्तरी अमेरिका के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा। भारत में यह खगोलीय घटना 2 या 3 मार्च 2026 को आसमान में दिखाई देगी, जिससे इस मनमोहक चंद्र नजारे को देखने का एक और मौका मिलेगा।

इजरायल कब्जे वाले पश्चिमी तट के रामल्लाह शहर में ब्लड मून का अद्भुत नजारा दिखाई देगी।

इजरायल के कब्जे वाले पश्चिमी तट के बेथलेहम में पूर्ण चंद्रग्रहण के दौरान रात में चर्च ऑफ द नेटिविटी के ऊपर ब्लड मून का उदय।

रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में आवासीय भवनों के ऊपर चंद्रमा के उदय होने पर आंशिक चंद्रग्रहण का नजारा कुछ ऐसा दिखाई दिया।

रविवार को नई दिल्ली में पूर्ण चंद्रग्रहण ब्लड मून के आंशिक चरण का एक दृश्य।

भारत की राजधानी दिल्ली में चंद्रग्रहण के पूर्ण चरण में प्रवेश करते ही मंत्रमुग्ध कर देने वाला ब्लड मून बन गया है।। यह काफी अद्भुत नजारा है।

केरल के तिरुवनंतपुरम में चंद्रग्रहण के आंशिक चरण से पूर्ण चरण में प्रवेश करते ही चंद्रमा धीरे-धीरे लाल होने लगा है।

दिल्ली में चंद्रग्रहण (ब्लड मून) का पूर्ण चरण शीघ्र ही शुरू होगा।

रांची, झारखंड में पूर्ण चंद्रग्रहण का आंशिक चरण शुरू

कोलकाता, पश्चिम बंगाल में पूर्ण चंद्रग्रहण का आंशिक चरण शुरू

गुवाहाटी, असम में पूर्ण चंद्रग्रहण का आंशिक चरण शुरू

जयपुर, राजस्थान में पूर्ण चंद्रग्रहण का आंशिक चरण शुरू

दक्षिण कोरिया 8 नवंबर 2022 के बाद लगभग तीन साल में अपना पहला पूर्ण चंद्र ग्रहण देखने के लिए तैयार है। यह मनमोहक खगोलीय घटना तब होती है, जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच पूरी तरह से सीधी रेखा में आ जाती है, जिससे उसकी छाया पड़ती है और चंद्रमा एक चमकदार रक्त चंद्रमा में बदल जाता है।
सुरक्षा, शांति और आध्यात्मिक विकास के लिए पूर्ण चंद्र ग्रहण के दौरान जप करने के लिए यहां कुछ शक्तिशाली मंत्र दिए गए हैं:
महा मृत्युंजय मंत्र - "ओम त्र्यंबकम यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम उर्वारुकमिव बंधनान मृत्योर् मोक्षीय मामृतात्" - स्वास्थ्य, सुरक्षा और नकारात्मकता से मुक्ति के लिए।
चंद्र बीज मंत्र - "ओम श्राम श्रीम श्रौम सः चंद्राय नमः" - चंद्रमा को मजबूत करने और भावनात्मक संतुलन लाने के लिए।
मन और ऊर्जा की शुद्धि के लिए गायत्री मंत्र - "ओम भूर् भुवः स्वाहा तत् सवितुर वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्"।
विष्णु मंत्र - "ओम नमो भगवते वासुदेवाय" - दिव्य आशीर्वाद, सद्भाव और शांति पाने के लिए।

अफ्रीका, यूरोप, एशिया और ऑस्ट्रेलिया के अधिकांश हिस्सों में आकाशदर्शी भी चंद्र ग्रहण देख सकते हैं। पूर्णता लगभग 17:30 UTC समय पर शुरू होगा और लगभग 82 मिनट तक चलेगा।
मकर राशि वाले जातक "ॐ काल भैरवाय नमः" का जाप करें।
कुंभ राशि के जातकों को महामृत्युंजय के जाप करने की सलाह दी जाती है।
मीन राशि के जातक "ओम श्राम श्रीम श्रोम सः चन्द्रमसे नमः" का जाप करें।
तुला राशि के जातकों को "ओम क्लीं कृष्णाय नमः" का जाप करने की सलाह दी जाती है।
वृश्चिक राशि वालों को "ओम नमः शिवाय" का जाप करना चाहिए
धनु राशि के जातकों को "ओम धन्वंतरायै नमः" का जाप करने की सलाह दी जाती है।
कर्क राशि वाले "हरे राम हरे कृष्ण" मंत्र का जाप कर सकते हैं
सिंह राशि के जातकों को "राम राम रामेति रमे रामे मनोरमे सहस्रनाम तत्तुल्यं राम नाम वरानने" का जाप करने की सलाह दी जाती है।
कन्या राशि वाले जातक "ॐ गं गणपतये नमः" का जाप करें।
चंद्र ग्रहण के दौरान, राशियों के अनुसार विशिष्ट मंत्रों का जाप करना शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि ये मंत्र ग्रहण के दौरान शांति, सुरक्षा और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करते हैं।
मेष राशि के जातकों को "ॐ हं हनुमते नमः" का जाप करना चाहिए।
वृषभ राशि के जातक "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" का जाप कर सकते हैं।
मिथुन राशि के जातकों को "ॐ अनंताय नमः" का जाप करने की सलाह दी जाती है।

चंद्रग्रहण से पहले वाराणसी में मंदिरों के दरवाजों को बंद कर दिया गया है।
ग्रहण की कुल अवधि 3 घंटे 28 मिनट होगी, लेकिन रात 11.01 बजे रात 12.22 बजे तक चंद्र ग्रहण अपने चरम पर होगा।
चंद्र ग्रहण रात 09.58 बजे से देर रात 01.26 बजे तक रहेगा।
ज्योतिषियों की मानें तो ग्रहण के दौरान राहु का प्रभाव अधिक रहने के चलते शुभ काम करने की मनाही होती है। खासकर, गर्भवती महिलाओं को विशेष ख्याल रखना चाहिए। इसके साथ ही ग्रहण के दौरान विष्णु जी के नामों का जप करना चाहिए। अगर आप भी भगवान विष्णु की कृपा पाना चाहते हैं, तो चंद्र ग्रहण के दौरान भगवान विष्णु के नामों का जप अवश्य करें।
द्वारिकाधीश मंदिर के मीडिया प्रभारी एडवोकेट राकेश तिवारी ने बताया कि रात्रि ग्रहण के दर्शन रात 9.57 से रात 1.27 बजे तक होंगे और इस दौरान ठाकुरजी के पट खुले रहेंगे। उन्होंने बताया कि मान्यता है, ग्रहण में ठाकुरजी का राक्षसों से युद्ध होता है। इस दौरान ठाकुरजी के समर्थन में भक्त भजन, कीर्तन करते हैं। आठ सितंबर को रात 3.30 बजे मंगला के दर्शन होंगे उसके बाद सेवा चालू रहेगी। उधर, बलदेव में दाऊ जी महाराज मंदिर के पट भी दोपहर 12.20 बजे बंद हुए।
चंद्रग्रहण से पूर्व सूतक काल दोपहर बाद से शुरू हो गया है, जिसका प्रभाव कल आठ सितंबर सुबह तक रहेगा। सूतककाल शुरू होने से पूर्व उत्तर भारत के प्रसिद्ध शक्तिपीठ श्री नयना देवी मंदिर जिला बिलासपुर में विशेष पूजा की गई। द्रव डालकर मां की आरती की गई। चंद्र ग्रहण का प्रभाव ग्रहण लगने के बाद ही शुरू होता है, लेकिन ग्रहण लगने से कम से कम आठ घंटे पूर्व सूतक लग जाता है। सूतक का प्रभाव भी ग्रहण के सामान ही होता है। सूतक के समय भी कई बंदिशे होती हैं एवं नियम होते हैं।
7 सितंबर को अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 54 मिनट से सुबह 12 बजकर 44 मिनट तक रहेगा। अमृत काल दोपहर 02 बजकर 51 मिनट से शाम 04 बजकर 22 मिनट तक रहेगा। वहीं राहुकाल सांय 05 बजकर 01 मिनट से शाम 06 बजकर 36 मिनट तक, गुलिकाल दोपहर 03 बजकर 27 बजे से शाम 05 बजकर 01 मिनट तक और यमगण्ड दोपहर 12 बजकर 19 मिनट से दोपहर 01 बजकर 53 मिनट तक रहेगा।
काशी में मंदिर सूतक के कारण इस काल में बंद रहेंगे तो शाम की गंगा आरती भी दोपहर में ही होगी। चंद्रग्रहण के कारण बीएचयू परिसर स्थित श्रीविश्वनाथ मंदिर रविवार को दोपहर तीन बजे बंद होने के बाद सोमवार को सुबह चार बजे मंदिर को दोबारा खोला जाएगा। विवि प्रशासन की तरफ से यह एडवाइजरी दर्शनार्थियों के लिए जारी हुई है ताकि उन्हें दर्शन-पूजन में कोई असुविधा नहीं हो।
वैदिक पंचांग के अनुसार, आज यानी 07 सितंबर को भादप्रद पूर्णिमा मनाई जा रही है।इस बार भादप्रद पूर्णिमा साल का आखिरी चंद्र ग्रहण (7 september chandra grahan) लगने जा रहा है। यह ग्रहण भारत में दिखाई देगा। ऐसा माना जाता है कि चंद्र ग्रहण के दौरान वर्जित कामों को करने से इंसान को जीवन में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
बता दें कि आज चंद्रग्रहण की लाइव स्ट्रीमिंग कई YouTube चैनल्स पर उपलब्ध होगी। Time and Date का ऑफिशियल YouTube चैनल भी इस घटना की लाइव स्ट्रीमिंग करेगा। जानकारी के मुताबिक, इसकी लाइव स्ट्रीमिंग रात 9:30 बजे से शुरू हो जाएगी।
वर्ष का अंतिम चंद्रग्रहण भाद्रपद पूर्णिमा की रात में लगेगा। पितरों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने, उनकी पूजा-आराधना और तर्पण-अर्पण के विधान भी उसी दिन से आरंभ होंगे। रविवार को पूर्णिमा का श्राद्ध किया जाएगा। इसी दिन मातृकुल के पितरों नाना-नानी आदि का तर्पण किए जाने का विधान है। सूतक दोपहर 12:57 बजे से लग रहा है। काशी के विद्वान पंडितों का कहना है कि श्राद्ध कर्म पर चंद्रग्रहण के सूतक का प्रभाव नहीं होता है।
चंद्रमा का रंग पहले हल्का नारंगी होने लगेगा। इसके कुछ पल बाद ही लाल रंग में रंग जाएगा। चंद्रमा कुछ लम्हों बाद पुनः नारंगी रंग लिए नजर आएगा। साथ ही पूर्ण ग्रहण से चंद्रमा छंटना शुरू हो जाएगा, जो आगे बढ़ते काली छाया वाले ग्रहण से अंतिम चरण में लगभग 1.25 बजे मुक्त हो जाएगा।