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New Parliament: राज्यसभा के लिए कमल और लोकसभा के लिए मोर से प्रेरित कालीन किए गए तैयार, 10 लाख घंटे का लगा समय

New Parliament Building inauguration उत्तर प्रदेश के करीब 900 कारीगरों द्वारा ‘‘10 लाख घंटे तक’’ बुनाई करके बनाए गए कालीन नए संसद भवन में लोकसभा और राज्यसभा के फर्श की शोभा बढ़ा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को नए संसद भवन का उद्घाटन किया।

By AgencyEdited By: Babli KumariPublished: Sun, 28 May 2023 10:39 AM (IST)Updated: Sun, 28 May 2023 10:39 AM (IST)
राज्यसभा के लिए कमल और लोकसभा के लिए मोर से प्रेरित कालीन किए गए तैयार (फाइल फोटो)

नई दिल्ली, एजेंसी। उत्तर प्रदेश के करीब 900 कारीगरों द्वारा ‘‘10 लाख घंटे तक’’ बुनाई करके बनाए गए कालीन नए संसद भवन में लोकसभा और राज्यसभा के फर्श की शोभा बढ़ा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को नए संसद भवन का उद्घाटन किया। लोकसभा और राज्यसभा के कालीनों में क्रमशः राष्ट्रीय पक्षी मोर और राष्ट्रीय पुष्प कमल के उत्कृष्ट रूपों को दर्शाया गया है।

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ये कालीन तैयार करने वाली 100 साल से अधिक पुरानी भारतीय कंपनी ‘ओबीटी कार्पेट’ ने कहा कि बुनकरों ने लोकसभा तथा राज्यसभा के लिए 150 से अधिक कालीन तैयार किए और ‘‘फिर उनकी 35,000 वर्ग फुट क्षेत्र में फैले दोनों सदनों की वास्तुकला के अनुरूप अर्ध-वृत्त के आकार में सिलाई की गई।’’

बुनकरों के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण काम 

‘ओबीटी कार्पेट’ के अध्यक्ष रुद्र चटर्जी ने कहा, ‘‘बुनकरों को 17,500 वर्ग फुट में फैले सदन कक्षों के लिए कालीन तैयार करने थे। डिजाइन टीम के लिए यह एक बेहद चुनौतीपूर्ण था क्योंकि उन्हें कालीन को अलग-अलग टुकड़ों में सावधानी से तैयार करना था और उन्हें यह सुनिश्चित करते हुए एक साथ जोड़ना था कि बुनकरों की रचनात्मक महारत कालीन को जोड़ने के बाद भी कायम रहे और यह कालीन अधिक लोगों की आवाजाही के बावजूद खराब न हो।’’

राज्यसभा में उपयोग किए गए रंग मुख्य रूप से कोकम लाल रंग से प्रेरित हैं और लोकसभा में हरे रंग का इस्तेमाल किया गया है जो भारतीय मोर के पंखों से प्रेरित है।

कारीगरी के समक्ष पेश पेचीदगियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि कालीन बनाने के लिए प्रति वर्ग इंच पर 120 गांठों को बुना गया, यानी कुल 60 करोड़ से अधिक गांठें बुनी गईं।

कालीन तैयार करने में लगे 10 लाख घंटे का समय 

उत्तर प्रदेश के भदोही और मिर्जापुर जिलों के रहने वाले बुनकरों ने नए संसद भवन के ऊपरी और निचले सदनों के कालीन तैयार करने के लिए ‘‘10 लाख’’ घंटे तक मेहनत की।

चटर्जी ने कहा, ‘‘ हमने वैश्विक महामारी के बीच 2020 में यह काम शुरू किया था। सितंबर 2021 तक शुरू हुई बुनाई की प्रक्रिया मई 2022 तक समाप्त हो गई थी, और नवंबर 2022 में इसे बिछाए जाने का काम शुरू हुआ। इस काम को पूरा करने में सात महीने का समय लगा।’’


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