Loksabha Election 2024: किसानों का मुद्दा गरमाकर चुनावी मुहिम तेज करेंगे जयंत चौधरी, 26 दिसंबर को लखनऊ में करेंगे प्रदर्शन
विपक्षी गठबंधन आईएनडीआईए के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव के लिए कमर कस चुकी राष्ट्रीय लोकदल अब किसानों से जुड़े मामलों पर अपनी सक्रियता और बढ़ाती हुई दिख रही है। रालोद पंजाब और हरियाणा के मुकाबले कम गन्ना मूल्य भुगतान के मुद्दे पर प्रदर्शन कर 26 दिसंबर को उत्तर प्रदेश सरकार को घेरने जा रहा है जिसकी अगुआई स्वयं पार्टी अध्यक्ष जयंत चौधरी करेंगे।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। विपक्षी गठबंधन आईएनडीआईए के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव के लिए कमर कस चुकी राष्ट्रीय लोकदल अब किसानों से जुड़े मामलों पर अपनी सक्रियता और बढ़ाती हुई दिख रही है।
सीट बंटवारे के लिए शुरू हुई कसरत के बीच पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्रभाव रखने वाला रालोद पंजाब और हरियाणा के मुकाबले कम गन्ना मूल्य भुगतान के मुद्दे पर प्रदर्शन कर 26 दिसंबर को उत्तर प्रदेश सरकार को घेरने जा रहा है, जिसकी अगुआई स्वयं पार्टी अध्यक्ष जयंत चौधरी करेंगे।
विधानसभा के सामने बनाई प्रदर्शन की रूपरेखा
राष्ट्रीय लोकदल ने लखनऊ विधानसभा के समक्ष प्रदर्शन की रूपरेखा बनाई है। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव त्रिलोक त्यागी का कहना है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने अभी तक गन्ना मूल्य घोषित नहीं किया है, जिसके चलते प्रदेश के गन्ना किसान अपने गन्ने की कीमत जाने बिना ही उसकी आपूर्ति करने के लिए विवश हैं। यह सरासर अन्याय है।
हरियाणा में 400 रुपये प्रति क्विंटल गन्ना
उनका कहना है कि पड़ोसी राज्य हरियाणा ने 400 रुपये प्रति क्विंटल और पंजाब सरकार ने 391 रुपये प्रति क्विंटल मूल्य घोषित कर दिया है, जबकि उत्तर प्रदेश में पिछले घोषित मूल्य 350 रुपये प्रति क्विंटल पर ही मिलों में गन्ना आपूर्ति की जा रही है। पार्टी महासचिव ने बताया कि प्रदर्शन कर प्रदेश सरकार से मांग की जाएगी कि गन्ना मूल्य का निर्धारण स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश पर किया जाए।
14 दिन के अंदर भुगतान न किए जाने पर किसानों को ब्याज
गन्ना अधिनियम के अनुसार 14 दिन के अंदर मूल्य का भुगतान न किए जाने पर किसानों को 15 प्रतिशत ब्याज सहित भुगतान किया जाए। कानून के वजूद में होने के बाद भी सरकार ने पिछले छह वर्षों से बकाया पर ब्याज नहीं दिया है। रालोद मांग करेगा कि गन्ने के बकाया मूल्य पर 15 प्रतिशत ब्याज सहित पिछले सत्र का भुगतान तुरंत किया जाए। गन्ने के साथ ही आलू किसानों के हितों के संरक्षण पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।

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