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    'लोकपाल कानून में सुधार की आवश्यकता',सरकार बदलाव पर कर सकती है विचार 

    Updated: Mon, 24 Nov 2025 04:00 AM (IST)

    लोकपाल कानून में सुधार की जरूरत है ताकि मनमानी की गुंजाइश न रहे। सरकार इस कानून के कुछ नियमों पर पुनर्विचार कर रही है, जो एक दशक पहले बना था। वर्तमान में, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस अजय माणिकराव खानविलकर लोकपाल के अध्यक्ष हैं। कानून में भ्रष्टाचार की शिकायतों पर फैसला करने के लिए अलग-अलग पीठों को काम करने की अनुमति देने का प्रावधान है।

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    लोकपाल कानून में सुधार की आवश्कता। (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। लोकपाल कानून में 'किसी भी तरह की मर्जी की गुंजाइश को रोकने' और इसे सही तरीके से लागू करने के लिए इसमें बदलाव की जरूरत है।

    सूत्रों ने कहा कि सरकार के कुछ हलकों में ऐसी भावना प्रबल है कि एक दशक से भी पहले बने इस कानून के कुछ नियमों पर अब ''फिर से विचार'' किया जाए। राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम 2013 एक जनवरी, 2014 को अस्तित्व में आया।

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    कौन है लोकपाल के वर्तमान अध्यक्ष?

    हालांकि, इसने अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति के बाद 27 मार्च, 2019 को ही काम करना शुरू किया। फिलहाल लोकपाल के अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस अजय माणिकराव खानविलकर हैं, और इसमें आठ सदस्य हो सकते हैं - चार ज्यूडिशियल और चार नान-ज्यूडिशियल।

    सूत्रों ने एक उदाहरण देते हुए कहा कि मौजूदा अध्यक्ष ने मामलों की सुनवाई करते समय सभी सदस्यों वाली और खुद की अध्यक्षता वाली एकल पीठ के जरिये काम करने का फैसला किया है।

    कानून में भ्रष्टाचार की शिकायतों पर फैसला करने के लिए दो या उससे ज्यादा ज्यूडिशियल और नान-ज्यूडिशियल सदस्यों वाली अलग-अलग पीठों को काम करने की इजाजत देने का प्रविधान है।