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लोकपाल ने अब तक एक भी व्यक्ति पर नहीं चलाया मुकदमा, कामकाज भी संतोषजनक से बहुत कम; संसदीय समिति की रिपोर्ट

हाल ही में संसद में पेश की गई कार्मिक जन शिकायत कानून व न्याय मामलों की स्थायी संसदीय समिति की रिपोर्ट में बताया गया है कि लोकपाल ने कुछ शिकायतों का निपटारा इस आधार पर कर दिया कि वह निर्दिष्ट प्रारूप में नहीं हैं।

By AgencyEdited By: Amit SinghPublished: Thu, 23 Mar 2023 06:55 PM (IST)Updated: Thu, 23 Mar 2023 06:55 PM (IST)
लोकपाल ने अब तक एक भी व्यक्ति पर नहीं चलाया मुकदमा, कामकाज भी संतोषजनक से बहुत कम; संसदीय समिति की रिपोर्ट
लोकपाल ने अब तक एक भी व्यक्ति पर नहीं चलाया मुकदमा

नई दिल्ली, प्रेट्र: एक संसदीय समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि भ्रष्टाचार निरोधक लोकपाल ने अब तक भ्रष्टाचार के आरोप में एक भी व्यक्ति पर मुकदमा नहीं चलाया है। लोकपाल के कामकाज का लेवल संतोषजनक से भी निचले स्तर पर है। समिति ने लोकपाल को एक अवरोधक के बजाय एक योग्य बनाने वाले के तौर पर काम करने की नसीहत दी है।

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संसदीय समिति की रिपोर्ट

हाल ही में संसद में पेश की गई कार्मिक, जन शिकायत, कानून व न्याय मामलों की स्थायी संसदीय समिति की रिपोर्ट में बताया गया है कि लोकपाल ने कुछ शिकायतों का निपटारा इस आधार पर कर दिया कि वह निर्दिष्ट प्रारूप में नहीं हैं। समिति ने लोकपाल से कहा कि उचित शिकायतों को खारिज नहीं करें। समिति ने पिछले साल मई से लोकपाल के अध्यक्ष के पद को नहीं भरे जाने का भी मुद्दा उठाया। साथ ही सरकार से इन रिक्तियों को भरने के लिए अब तक गई कार्रवाई रिपोर्ट भी मांगी गई है।

भ्रष्टाचार से निपटने के लिए लोकपाल

रिपोर्ट में कहा गया है कि लोकपाल को सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार से निपटने के लिए कानूनी और संस्थागत प्रणाली के तौर पर बनाया गया था। लेकिन लोकपाल का प्रदर्शन संतोषजनक से भी कोसों दूर है। समिति का विचार है कि लोकपाल की स्थापना स्वच्छ और प्रतिक्रियात्मक सुशासन को बढ़ावा देने के लिए की गई थी, इसलिए उसे एक अवरोधक के तौर पर नहीं बल्कि काबिल बनाने वाले के तौर पर काम करना चाहिए।

191 शिकायतों का किया गया निस्तारण

रिपोर्ट में कहा गया है कि जब भारत जी-20 के भ्रष्टाचार विरोधी कार्यकारी समूह का नेतृत्व कर रहा है। ऐसे में लोकपाल को आगे बढ़कर देश के वातावरण में भ्रष्टाचार विरोध के माहौल को सशक्त बनाना चाहिए। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2022-23 में लोकपाल को 2518 शिकायतें मिलीं जो निर्धारित प्रारूप में नहीं थीं। इस अवधि में केवल 242 शिकायतें तय प्रारूप में थीं और इनमें से 191 शिकायतों का निस्तारण कर दिया गया।


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