Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Lok Sabha Polls 2024: चुनाव में पार्टियों के सामने कई चुनौतियां, राजनीतिक दलों ने बाजी मारने के लिए बनाई क्या योजनाएं

    Updated: Sun, 17 Mar 2024 10:36 AM (IST)

    Lok Sabha Election 2024 लोकसभा चुनाव 2024 की तारीखों का एलान हो गया है। इस बार चुनाव का आयोजन 19 अप्रैल से 1 जून तक सात चरणों में किया जाएगा। चुनावों की मतगणना 4 जून को की जाएगी। सभी पार्टियों की ने अपनी जीत का लक्ष्य बना लिया है। हालांकि इन सभी राजनीतिक दलों के सामने कई चुनौतियां आने वाली हैं।

    Hero Image
    लोकसभा चुनाव के लिए सभी राजनीतिक दलों ने कसी कमर (फाइल फोटो)

    पीटीआई, नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने शनिवार को चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के साथ औपचारिक रूप से 2024 के आमचुनाव की शुरुआत कर दी। राजनीतिक विश्लेषक भाजपा को लगातार तीसरी बार सत्ता की प्रबल दावेदार के रूप में देख रहे हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    भाजपा ने अकेले दम पर 370 लोकसभा सीटें जीतने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। विपक्ष भी भाजपा को मात देने के लिए अपनी एकजुटता बढ़ा रहा है। आइए जानते हैं कि प्रमुख राष्ट्रीय दलों की क्या ताकत और कमजोरी है और उनके समक्ष किस प्रकार की चुनौतियां हैं।

    भाजपा: बड़ा चेहरा, मजबूत इरादे

    • भाजपा के पास पीएम मोदी के रूप में एक ऐसा नेता व चेहरा है, जो पूरे विपक्ष पर भारी पड़ता है।
    • 2014 के बाद से भाजपा ने मजबूत संगठनात्मक ढांचा बनाया। इसकी निगरानी राष्ट्रीय नेतृत्व द्वारा की जाती है।
    • विपक्षी नेता भी भाजपा के दबदबे को स्वीकार करते हैं, वहां भी जहां पर कि भाजपा सत्ता में नहीं है।
    • भाजपा की एक और ताकत चुनावी जंग की पिच तैयार करने में उसका निर्विवाद प्रभुत्व है। खासकर लोकसभा चुनाव में ।

    कमजोरियां

    • कई दिग्गज नेताओं की जगह नए चेहरों पर भरोसा किया है। अपने संसदीय क्षेत्रों में पुराने चेहरों की मजबूत पकड़ के मुकाबले नए चेहरों को स्थान बनाने में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
    • हिंदुत्व, राष्ट्रवाद और लाभार्थी एजेंडा देश के अधिकांश हिस्सों में लोकप्रिय रहा है। दक्षिण और पूर्वी भारत में इसकी परीक्षा होगी।

    चुनौतियां

    राजनीतिक दलों को फंडिंग करने से जुड़ी चुनावी बांड योजना को रद करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले और दानदाताओं के बारे में रिपोर्ट सार्वजनिक होने से विपक्ष को मुद्दा मिल गया है।

    कांग्रेस: न्याय की गारंटी के भरोसे वापसी की आस

    • कांग्रेस देश की सबसे पुरानी पार्टी है। जाति आधारित जनगणना को मुद्दा बना उसने ओबीसी वर्ग को और रिझाया है।
    • कांग्रेस ने गरीबों, पीड़ितों, दलितों, किसानों, युवाओं और महिलाओं को न्याय का आश्वासन दिया है। इनके लिए पांच गारंटी दी हैं। इसका फायदा मिलेगा।
    • महंगाई, मूल्य वृद्धि, बेरोजगारी और सांप्रदायिकता को पार्टी मुद्दा बना रही है।

    कमजोरियां

    • दमदार नेतृत्व का अभाव है। गांधी परिवार ही सबकुछ। लगातार हार के बावजूद आत्ममंथन नहीं। इससे कई दमदार नेता पार्टी छोड़ गए।
    • अयोध्या जी में प्रभु श्रीराम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में आमंत्रण मिलने के बावजूद न जाने और अनुच्छेद 370 हटाने के विरोध से गलत संदेश गया।

    चुनौतियां

    • प्रधानमंत्री मोदी के बढ़ते कद से कांग्रेस को भारी नुकसान हो सकता है। क्षेत्रीय दलों की पकड़ राज्यों में भाजपा विरोधी वोटों को एकत्र करने का उसका गणित बिगाड़ रही है। 
    • कांग्रेस के लिए एक बड़ा खतरा नेताओं का लगातार पलायन, आंतरिक कलह और गांधी परिवार के हाथों कमान होना है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को प्राक्सी के रूप में देखा जाता है।

    आम आदमी पार्टी

    आम आदमी पार्टी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल प्रमुख चेहरा हैं। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और स्वास्थ्य, मुफ्त बिजली, पानी और अन्य योजनाओं से दिल्ली व पंजाब में भारी चुनावी सफलता मिली है। हालांकि, राष्ट्रीय स्तर पर संगठनात्मक ढांचे का अभाव है और वरिष्ठ अनुभवी ताओं की कमी। आबकारी घोटाले में केजरीवाल पर गिरफ्तारी का खतरा मंडरा रहा है। भाजपा की हिंदुत्व की राजनीति से उसे भी पार पाना होगा।

    यह भी पढ़ें: LS Polls 2024: गुजरात में 11 लाख फर्स्ट टाइम वोटर्स डालेंगे वोट, लोकसभा चुनाव में कितने मतदाताओं का योगदान; यहां पढ़ें पूरा डेटा

    मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी

    बंगाल में कांग्रेस से समझौता न होने पर माकपा ने 16 उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। हालांकि पार्टीकी ओर से कहा गया है कि सीटों पर समझौता अब भी संभव है। टीएमसी पर तीखे हमलों के साथ, वामपंथी और कांग्रेस कुछ सत्ता विरोधी वोट हासिल करके बढ़त बना सकते हैं। वर्तमान में माकपा के केवल तीन सांसद हैं। 2004 में माकपा के 43 सांसद थे। 2009 से 2019 के बीच अन्य वाम दलों का ग्राफ भी तेजी से गिरा है।

    यह भी पढ़ें: Lok Sabha Election: प्रदर्शन के आधार पर वोट मांगेगा NDA, पीएम मोदी ने विपक्ष को बताया दिशाहीन