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    VB-G RAM G बिल लोकसभा में पास: क्या होंगे बदलाव, कैसे बढ़ेगा रोजगार- Key Points

    Updated: Thu, 18 Dec 2025 05:13 PM (IST)

    केंद्र सरकार ने ग्रामीण रोजगार व्यवस्था में बड़ा बदलाव करते हुए विकसित भारत–गारंटी फॉर रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) विधेयक, 2025 पेश किया, जो लोकस ...और पढ़ें

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    मनरेगा की जगह नया कानून ग्रामीण परिवारों को अब 125 दिन रोजगार की गारंटी (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने ग्रामीण रोजगार व्यवस्था में बड़ा बदलाव करते हुए विकसित भारतगारंटी फॉर रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) विधेयक (VB-G RAM G), 2025 पेश किया जो लोकसभा से पास हो गया। यह नया कानून करीब 20 साल पुराने मनरेगा (MGNREGA) की जगह लेगा।

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    इस योजना से क्या-क्या होगा फायदा?

    • सरकार का कहना है कि यह कदम विकसित भारत 2047 के लक्ष्य के अनुरूप है, जिससे ग्रामीण मजदूरों को ज्यादा रोजगार सुरक्षा मिलेगी और गांवों में टिकाऊ ढांचा तैयार होगा।
    • नए कानून के तहत ग्रामीण परिवारों को मिलने वाले रोजगार की कानूनी गारंटी 100 दिन से बढ़ाकर 125 दिन प्रति वर्ष कर दी गई है।
    • इससे ग्रामीण मजदूरों की आय में स्थिरता आएगी और उन्हें ज्यादा काम का भरोसा मिलेगा।

    कितने दिन का होगा 'पॉजविंडो'?

    हालांकि खेती के काम को ध्यान में रखते हुए इसमें एक नया प्रावधान जोड़ा गया है। बुवाई और कटाई के मौसम में कुल 60 दिनों का 'पॉजविंडो' रखा गया है, ताकि खेतों में मजदूरों की कमी न हो और किसानों को नुकसान न उठाना पड़े।

    चार प्राथमिक क्षेत्रों से जोड़ा गया काम

    • नए ढांचे में रोजगार को सिर्फ मजदूरी तक सीमित नहीं रखा गया है। काम को चार प्राथमिक क्षेत्रों से जोड़ा गया है
    • पहला जल सुरक्षा, दूसरा मूल ग्रामीण ढांचा, तीसरा आजीविका से जुड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर और चौथा अत्यधिक मौसम से निपटने वाले विशेष कार्य
    • इन कार्यों से बनने वाली सभी परिसंपत्तियों को विकसित भारत नेशनल रूरल इंफ्रास्ट्रक्चर स्टैक में दर्ज किया जाएगा, जिससे राष्ट्रीय स्तर पर योजना, निगरानी और समन्वय आसान होगा।
    • योजना की प्लानिंग ग्राम स्तर से होगी। विकसित ग्राम पंचायत योजनाएं स्थानीय स्तर पर तैयार की जाएंगी, जिन्हें PM गति शक्ति जैसे राष्ट्रीय डिजिटल प्लेटफॉर्म से जोड़ा जाएगा।
    • पंचायती राज संस्थाओं की भूमिका मजबूत की गई है और ग्राम पंचायतों को कुल कार्यों का कम से कम 50 प्रतिशत लागू करना अनिवार्य होगा।

    फंडिंग, पारदर्शिता और जवाबदेही पर जोर

    अब यह योजना केंद्रीय सेक्टर स्कीम न होकर केंद्र प्रायोजित योजना होगी। फंडिंग का अनुपात सामान्य राज्यों के लिए 60:40, उत्तर-पूर्वी और हिमालयी राज्यों के लिए 90:10 और बिना विधानसभा वाले केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 100 प्रतिशत केंद्र का होगा। अनुमानित वार्षिक खर्च 1.51 लाख करोड़ रुपये है, जिसमें केंद्र का हिस्सा करीब 95,692 करोड़ रुपये होगा।

    जमीनी स्तर पर बेहतर क्रियान्वयन के लिए प्रशासनिक खर्च की सीमा 6 प्रतिशत से बढ़ाकर 9 प्रतिशत कर दी गई है, जिससे स्टाफ, प्रशिक्षण और तकनीकी क्षमता मजबूत हो सके। पारदर्शिता के लिए सोशल ऑडिट, AI आधारित निगरानी, बायोमेट्रिक सत्यापन, रियल-टाइम डैशबोर्ड और GPS ट्रैकिंग को अनिवार्य किया गया है।

    बेरोजगारी भत्ता रहेगा जारी

    मनरेगा की तरह ही नए कानून में भी बेरोजगारी भत्ते का प्रावधान बरकरार रखा गया है। अगर काम मांगने के 15 दिनों के भीतर रोजगार नहीं दिया जाता, तो राज्य सरकार को प्रतिदिन बेरोजगारी भत्ता देना होगा। इससे रोजगार की कानूनी गारंटी और मजबूत होगी।