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    Public Examinations Bill 2024: पेपर लीक पर होगी 10 वर्ष की सजा, एक करोड़ जुर्माना; लोकसभा में पास हुआ सार्वजनिक परीक्षा विधेयक

    By Agency Edited By: Nidhi Avinash
    Updated: Tue, 06 Feb 2024 06:22 PM (IST)

    पेपर लीक करने वालों की अब खैर नहीं। मंगलवार को लोकसभा में सार्वजनिक परीक्षा विधेयक 2024 पास हो गया है। बता दें सोमवार को लोकसभा में प्रवेश परीक्षाओं में गड़बड़ी रोकने के लिए सार्वजनिक परीक्षा- अनुचित साधनों की रोकथाम विधेयक पेश किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य परीक्षाओं में अनुचित तरीकों के इस्तेमाल पर रोक लगाना है। इस विधेयक को कार्मिक राज्‍यमंत्री जितेन्‍द्र सिंह ने सदन में पेश किया था।

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    लोकसभा में पास हुआ सार्वजनिक परीक्षा विधेयक (Image: ANI)

    एएनआई, नई दिल्ली। पेपर लीक करने वालों की अब खैर नहीं। मंगलवार को लोकसभा में सार्वजनिक परीक्षा विधेयक, 2024 पास हो गया है। बता दें सोमवार को लोकसभा में प्रवेश परीक्षाओं में गड़बड़ी रोकने के लिए सार्वजनिक परीक्षा- अनुचित साधनों की रोकथाम विधेयक पेश किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य परीक्षाओं में अनुचित तरीकों के इस्तेमाल पर रोक लगाना है। इस विधेयक को कार्मिक राज्‍यमंत्री जितेन्‍द्र सिंह ने सदन में पेश किया था।

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    परीक्षार्थियों को कानून से अलग रखा गया

    परीक्षार्थियों को इस कानून से अलग रखा गया है। परीक्षाओं में कदाचार को स्पष्ट करते हुए विधेयक में कहा गया है कि प्रश्नपत्र या उत्तर कुंजी को लीक करना, परीक्षा में अनधिकृत रूप से किसी तरीके से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अभ्यर्थी की सहायता करना एवं कंप्यूटर नेटवर्क, संसाधन एवं सिस्टम के साथ छेड़छाड़ करना अपराध माना जाएगा। इसी तरह का व्यवहार किसी व्यक्ति, समूह या संस्थानों द्वारा किए जाने को कदाचार की श्रेणी में रखा गया है।

    दोषियों से परीक्षा का पूरा खर्चा वसूला जाएगा

    बिल के मुताबिक, दोषियों से परीक्षा का पूरा खर्चा वसूला जाएगा। उसकी संपत्ति भी जब्त की जा सकती है। इस कानून के दायरे में यूपीएससी, एसएससी, रेलवे, बैंकिंग भर्ती एवं राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) द्वारा आयोजित परीक्षाएं आएंगी। लोकसभा में संबंधित विधेयक पर मंगलवार को हुई चर्चा का जवाब देते हुए केंद्रीय कार्मिक राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रतियोगी परीक्षाओं में पारदर्शिता, निष्पक्षता एवं विश्वसनीयता लाने के उद्देश्य से यह विधेयक लाया गया है।

    कौन से दायरे में नहीं आएंगे विद्यार्थी

    विद्यार्थी एवं अभ्यर्थी इसके दायरे में नहीं आएंगे और न ही किसी का उत्पीड़न होगा। उन्होंने इसे बेटे-बेटियों के बेहतर भविष्य के लिए जरूरी और राजनीति से ऊपर बताया। इस कानून के तहत उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई होगी, जो परीक्षा की पारदर्शी प्रणाली के साथ छेड़छाड़ करेंगे।

    कदाचार के कारण परीक्षा रद्द होने की स्थिति में दोबारा परीक्षा लेने की समय-सीमा तय करने के कुछ सदस्यों की सलाह पर केंद्रीय मंत्री जीतेंद्र सिंह ने कहा कि ऐसे मामलों में सीबीआई जांच या अन्य प्रक्रिया प्रारंभ की जाती है। इसलिए सीमा-सीमा तय करना संभव नहीं, लेकिन सरकार का प्रयास परीक्षार्थियों के हित में होगा।विद्यार्थियों में आत्महत्या के बढ़ते मामलों पर चिंता जताते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रतिभा एवं परिश्रम के आधार पर उन्हें मौके मिलने चाहिए।

    कितनी होगी सजा?

    विधेयक में कहा गया है कि अगर परीक्षा सेवा प्रदाता सहित कोई व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह संगठित अपराध का दोषी पाया जाता है, तो उसे कम से कम पांच साल की कैद होगी जिसे दस साल तक बढ़ाया जा सकता है। इसके अलावा दोषी पर कम से कम 1 करोड़ का जुर्माना लगाया जाएगा।

    क्या कहती है नई शिक्षा नीति?

    नई शिक्षा नीति के तहत उन्हें हर तरह के विषय पढ़ने और करियर के विकल्प चुनने का अवसर मिलेगा। उन्होंने डीएमके सांसद कथिर आनंद के उस बयान को खारिज कर दिया गया, जिसमें कहा गया था कि भाषा के कारण कतिपय परीक्षार्थियों के साथ भेदभाव होता है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी), संघ लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) एवं अन्य परीक्षाओं को देश की 13 भाषाओं में आयोजित कराना शुरू किया है। प्रयास है कि आगे आठवीं अनुसूची में शामिल सभी 22 भारतीय भाषाओं में भर्ती परीक्षाएं आयोजित कराई जाएंगी।

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