नरेंद्र मोहन जी की स्मृति में साहित्य सम्मान, मिलेगा पांच लाख का पुरस्कार; लेखक-प्रकाशक कर सकते हैं आवेदन
दैनिक जागरण के पूर्व प्रधान संपादक नरेन्द्र मोहन जी की स्मृति में ‘नरेन्द्र मोहन स्मृति साहित्य सम्मान’ दिया जाएगा। इस सम्मान के लिए प्रतिवर्ष हिंदी साहित्य की विभिन्न विधाओं में से मौलिक कृति को चुना जाएगा। इस वर्ष यह सम्मान 2024 में प्रकाशित पुस्तक के लिए प्रदान किया जाएगा। चयनित लेखक को सम्मान राशि के तौर पर पांच लाख रुपये दिए जाएंगे।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दैनिक जागरण के पूर्व प्रधान संपादक नरेन्द्र मोहन जी की स्मृति में ‘नरेन्द्र मोहन स्मृति साहित्य सम्मान’ दिया जाएगा। इस सम्मान के लिए प्रतिवर्ष हिंदी साहित्य की विभिन्न विधाओं में से मौलिक कृति को चुना जाएगा। इस वर्ष यह सम्मान 2024 में प्रकाशित पुस्तक के लिए प्रदान किया जाएगा।
हिंदी में मौलिक लेखन के लिए पांच लाख रुपये के पुरस्कार की घोषणा
पुस्तक का चयन सम्मानित जूरी करेगी। चयनित लेखक को सम्मान राशि के तौर पर पांच लाख रुपये दिए जाएंगे। लेखक, प्रकाशक या संस्था इस पुरस्कार के लिए प्रविष्टि भेज सकते हैं, अंतिम तिथि सात सितंबर है।
37 वर्षों तक दैनिक जागरण के संपादक रहे नरेंद्र मोहन
दैनिक जागरण के पूर्व प्रधान संपादक नरेन्द्र मोहन जी ने 37 वर्षों तक दैनिक जागरण के संपादक और प्रधान संपादक के रूप में पत्रकारिता के उन मानदंडों की स्थापना की, जिन पर चलकर आज भी दैनिक जागरण नित नई सफलताएं अर्जित कर रहा है।
आपातकाल में हुई थी गिरफ्तारी
उन्होंने बड़ी संख्या में संपादकों-पत्रकारों को उनकी भूमिका के लिए तैयार किया। जब देश में आपातकाल लगा, तब एक संपादक के रूप में नरेन्द्र मोहन जी ने दैनिक जागरण के 27 जून 1975 के संपादकीय में नया लोकतंत्र? सेंसर लागू, शांत रहें ! लिखकर कॉलम को खाली छोड़ दिया था। यह आपातकाल का प्रतिकार था। इसकी कीमत उनको चुकानी पड़ी थी। 28 जून, 1975 की रात उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
भारत और भारतीय संस्कृति में नरेन्द्र मोहन जी की गहरी आस्था थी
भारत और भारतीय संस्कृति में नरेन्द्र मोहन जी की गहरी आस्था थी, जो उनके लोकप्रिय स्तंभ विचार प्रवाह में परिलक्षित होती थी। संपादक होने के नाते राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक विषयों पर उनकी पैनी नजर रहती थी। वहीं उनकी रचनात्मकता का एक और आयाम उनके गद्य और पद्य में भी देखा जा सकता था।
राज्यसभा सदस्य के तौर पर निभाई जिम्मेदारी
उन्होंने कई पुस्तकों की रचना की जिनमें भारतीय संस्कृति, हिंदुत्व, धर्म और सांप्रदायिकता, आज की राजनीति व भ्रष्टाचार प्रमुख हैं। वर्ष 1996 में वे भारतीय जनता पार्टी से राज्यसभा के सदस्य के तौर पर चुने गए और 2002 तक सांसद रहे। ऐसे मनीषी, चिंतक और विचारशील संपादक की स्मृति में दैनिक जागरण के ‘हिंदी हैं हम’ अभियान के अंतर्गत यह सम्मान आरंभ किया जा रहा है।
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