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एलआइएमबीएस करेगी सरकारी मुकदमों की चौबीस घंटे आन लाइन निगरानी

देश भर की अदालतों में तीन करोड़ से ज्यादा मुकदमें लंबित हैं और सरकार सबसे बड़ी मुकदमेबाज है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Thu, 28 Jun 2018 10:21 PM (IST)Updated: Thu, 28 Jun 2018 10:21 PM (IST)
एलआइएमबीएस करेगी सरकारी मुकदमों की चौबीस घंटे आन लाइन निगरानी

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश भर की अदालतों में तीन करोड़ से ज्यादा मुकदमें लंबित हैं और सरकार सबसे बड़ी मुकदमेबाज है। सरकारी मुकदमों का त्वरित निपटारा, मुकदमों की निगरानी की एकीकृत व्यवस्था और महत्वपूर्ण मुकदमों को खास तवज्जो सरकार के लिए बड़ी चुनौती थी, लेकिन प्रधानमंत्री के डिजिटल इंडिया मिशन को साकार करते हुए इसका हल ढूंढ़ लिया गया है।

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लीगल इनफारमेशन मैनेजमेंट एंड ब्रीफिंग सिस्टम (एलआइएमबीएस) के जरिये सरकारी मुकदमों की चौबीस घंटे आनलाइन निगरानी हो रही है। सरकारी मुकदमों का ज्यादातर ब्योरा आनलाइन डाल दिया गया है। इतना ही नहीं कौन सा मुकदमा किस अदालत मे किस स्तर पर लंबित है और फैसले के बाद आगे अपील की जाए कि नहीं सब कुछ आनलाइन तय होगा। एसएमएस एलर्ट और महत्वपूर्ण मुकदमों पर खास ध्यान दिया जा रहा है। कानून मंत्रालय ने सरकारी मुकदमों के लिए आंतरिक आनलाइन निगरानी सिस्टम तैयार किया है जिसमें सभी मंत्रालय और विभाग शामिल हैं।

कानून मंत्रालय के विधि सचिव सुरेश चंद्रा ने गुरुवार को पावर प्वाइंट प्रेजेन्टेशन के जरिये एलआइएमबीएस की खूबियां और लाभ बताए। उन्होंने बताया कि एलआइएमबीएस सभी मंत्रालयों और सरकारी विभागों में सफलतापूर्वक लागू हो गया है। इसमें मंत्रालय के अधिकारी, नोडल आफीसर, वकील, कानून मंत्रालय के अधिकारी सभी शामिल हैं।

इसके जरिये एक ही जगह सभी विभागों और मंत्रालयों के लंबित मुकदमों की जानकारी उपलब्ध है जिससे न सिर्फ मुकदमों का त्वरित निपटारा होगा बल्कि भ्रम की स्थिति और सरकारी खजाने पर पड़ने वाला आर्थिक बोझ भी घटेगा। पिछले तीन सालों में 62 मंत्रालयों के 7800 यूजर्स ने 2.91 लाख मुकदमों को इस पर अपलोड किया है। इसके जरिये आसानी से मुकदमों की निगरानी हो सकेगी। इसमें एसएमएस एलर्ट की भी व्यवस्था है ताकि संबंधित अधिकारी और मंत्रालय सर्तक हो और तत्काल जरूरी कदम उठाए।

इसकी एक खासियत ये भी है कि इसमें यूनिक डिजिटल लाकर भी है जिसमें मुकदमें से संबंधित जरूरी दस्तावेज और सूचना (जवाब, प्रतिउत्तर, हलफनामा और फैसले) आदि अपलोड किये जा सकते हैं। इससे मुकदमें की सारी सूचना एक जगह एकत्रित रहेगी और उसे एकत्र करने में बेवजह का श्रम और समय नहीं लगेगा। फैसले के बाद अपील और विशेष अनुमति याचिका दाखिल करने की भी समयबद्ध निगरानी की जा सकेगी। नोडल आफीसर और मंत्रालय महत्वपूर्ण मुकदमों को चिन्हित कर सकते हैं और महत्वपूर्ण मुकदमों को प्राथमिकता दी जाएगी।

इस व्यवस्था का सबसे बड़ा लाभ ये होगा कि महत्वपूर्ण मुकदमे के बारे में अनभिज्ञता के कारण देरी और लापरवाही की गुंजाइश नहीं रहेगी। एक ही मुकदमे की अलग अलग विभागों में चल रही मुकदमेंबाजी और अंतरमंत्रालय मुकदमेबाजी पर भी रोक लगेगी।


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