Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Tejas Aircraft: भारतीय तेजस फाइटर के आगे फीकी पड़ी अन्‍य विमानों की चमक, जानें, क्‍यों भाया मलेशिया को यह एयरक्राफ्ट

    By Ramesh MishraEdited By:
    Updated: Mon, 22 Aug 2022 07:20 PM (IST)

    Tejas Fighter भारत दुनिया के 70 देशों को रक्षा उपकरणों का निर्यात कर रहा है। एक समय में सबसे ज्यादा रक्षा उपकरणों का आयात करने वाला भारत अब रक्षा उप ...और पढ़ें

    Hero Image
    भारतीय Tejas Fighter के आगे फ‍िकी पड़ी अन्‍य विमानों की चमक। एजेंसी।

    नई दिल्‍ली, जेएनएन। Tejas Fighter Aircraft: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में देश को आगे बढ़ाने के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान की शुरुआत की थी। उनका लक्ष्‍य घरेलू विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाना था। अब मोदी सरकार के नेतृत्व में स्थिति ऐसी हो गई है कि भारत दुनिया के 70 देशों को रक्षा उपकरणों का निर्यात कर रहा है। एक समय में सबसे ज्यादा रक्षा उपकरणों का आयात करने वाला भारत अब रक्षा उपकरणों के निर्यात के क्षेत्र में महाशक्ति के रुप में उभरा है। फिलीपींस के साथ ब्रह्मोस मिसाइल सौदे पर हस्ताक्षर के साथ इस दावे को थोड़ी मजबूती मिली थी। अब मलेशिया ने भारतीय तेजस विमान में दिलचस्‍पी दिखा कर इस दावे को गति दी है। रणनीतिक रूप से देखा जाए तो भारत दक्षिण पूर्व एशिया में चीन के दुश्मनों को घातक हथियार प्राथमिकता के आधार पर बेच रहा है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मलेशिया के पास भारत एकमात्र विकल्प क्‍यों

    विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि हालांकि यह रक्षा सौदा जितना आसान दिख रहा है, उतना है नहीं। मलेशिया को हल्के लड़ाकू विमान बेचने के लिए भारत के साथ प्रतिस्पर्धा करने वालों में प्रमुख रूप से तुर्की, चीन, पाकिस्तान, रूस और दक्षिण कोरिया हैं। हालांकि, मलेशिया, चीन और पाकिस्तान द्वारा पेश किए गए लड़ाकू जेट विमानों को नहीं खरीदने जा रहा है, जिन्होंने कुआलालंपुर को सामूहिक रूप से JF-17 थंडर विमान की पेशकश की है। दक्षिण कोरिया और रूस की ओर से पेश किए गए FA-50 गोल्डन ईगल और मिग-35 रायल मलेशियाई वायु सेना के लिए सस्ती नहीं है।

    तेजस की खूबियां (Features of Tejas Aircraft)

    1- तेजस दूर से ही दुश्मन के विमानों पर निशाना साधने में सक्षम है। अपने अत्‍याधुनिक सिस्‍टम के कारण जंग के मैदान में यह दुश्मन के रडार को चकमा देकर दुश्‍मन पर गाज गिरा सकता है। यह विमान उतने ही हथियारों और मिसाइलों को लेकर उड़ने में सक्षम है, जितना की भारीभरकम वजन वाला सुखोई विमान। तेजस विमान आठ से नौ टन तक भारी बोझ लेकर उड़ान भर सकता है।

    2- तेजस की सबसे बड़ी खूबी इसकी स्‍पीड है। अपनी गति के कारण यह दुनिया के अन्‍य विमानों से श्रेष्‍ठ है। यह विमान अन्‍य युद्धक विमानों की तुलना में हल्‍का है। हल्‍के होने के कारण तेजस की गति बेजोड़ है। इसके अलावा तेजस 52 हजार फीट की ऊंचाई तक ध्वनि की गति यानी मैक 1.6 से लेकर 1.8 तक की तेजी से उड़ सकते हैं। तेजस में नई तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। यह विमान इलेक्‍ट्रानिक रूप से स्‍कैन रडार, बियांड विजुअल रेंज मिसाइल, इलेक्‍ट्रानिक वारफेयर सुइट से संपन्‍न है।

    3- तेजस की खास बात यह है कि यह हवा में ईंधन भर सकता है और जंग के लिए दोबारा तैयार हो सकता है। यह क्षमता दुनिया के कम युद्धक विमानों के पास है। तेजस एक साथ नौ तरह के हथियारों से फायर करने में सक्षम है। इस पर एंटीशिप मिसाइल, बम और राकेट भी लगाए जा सकते हैं। यह लड़ाकू विमान हवा से हवा में, हवा से जमीन पर एवं हवा से पानी में मिसाइल दागने की क्षमता रखता है।

    4- तेजस 460 मीटर के रनवे पर दौड़कर उड़ने की क्षमता रखता है। इस तरह यह नौ सेना के किसी भी विमानवाहक पोत से टेक आफ और उस पर लैंडिंग करने में माहिर है। कम उंचाई पर भी यह विमान उड़ान भरकर शत्रु सेना पर नजदीक से हमला कर सकता है। इसके अलावा यह विमान लेजर गाइडेड मिसाइल से आक्रमण कर सकता है। इसकी खास बात यह है कि जैमर प्रोटेक्शन तकनीक से लैस होने के कारण यह दुश्मन की आंखों में धूल झोंकने में सक्षम है।

    क्‍यों जरूरी है ये रक्षा सौदा

    भारतीय वायु सेना ने अपने एक बयान में कहा है कि स्वदेशी तेजस मार्क-1 विमान को दुनिया भर के प्रतिभागियों के साथ पेश करेगी। तेजस निम्न-स्तरीय एरोबेटिक्स के अपने प्रदर्शन के साथ दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देगा। इससे इसकी बेहतर हैंडलिंग विशेषताओं और गतिशीलता को प्रदर्शित करने का मौका मिलेगा। भारत वास्तव में मलेशिया को LCA तेजस की बिक्री के लिए एक सौदा हासिल करने की कोशिश में जुटा है। भारतीय वायुसेना रायल मलेशियाई वायु सेना से आर्डर हासिल करने के लिए जी-जान से जुटी है, जो अपनी पावर 55 योजना के तहत 36 हल्के लड़ाकू संस्करणों का मिश्रण खरीदना चाह रही है। यह सौदा लगभग 900 मिलियन डालर का होगा। यह भारत के लिए महत्वपूर्ण है, ताकि भारत अपनी रक्षा उपकरणों के बाजार के आधार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ा सके।