राजस्थान में मतांतरण पर उम्रकैद और एक करोड़ रुपये जुर्माना, हंगामे के बीच विधानसभा में पारित हुआ विधेयक
राजस्थान में अब सामूहिक रूप से मतांतरण करवाने वाली संस्थाओं पर एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाने के साथ उनके भवनों को सीज किया जा सकेगा। सामूहिक मतांतरण पर कम से कम 20 साल और अधिकतम उम्रकैद की सजा होगी। मतांतरण करवाने वाली संस्थाओं द्वारा नियमों का उल्लंघन या अतिक्रमण कर भवनों का निर्माण करने पर उन्हें तोड़ा भी जा सकेगा।

जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान में अब सामूहिक रूप से मतांतरण करवाने वाली संस्थाओं पर एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाने के साथ उनके भवनों को सीज किया जा सकेगा। सामूहिक मतांतरण पर कम से कम 20 साल और अधिकतम उम्रकैद की सजा होगी। मतांतरण करवाने वाली संस्थाओं द्वारा नियमों का उल्लंघन या अतिक्रमण कर भवनों का निर्माण करने पर उन्हें तोड़ा भी जा सकेगा।
प्रशासन चलाएगा बुलडोजर
स्थानीय निकाय और प्रशासन द्वारा जांच के बाद बुलडोजर चलाया जाएगा। जिस भवन में मतांतरण हुआ है उसे प्रशासन जब्त करेगा। ये प्रावधान मंगलवार को विधानसभा में पारित राजस्थान विधि विरुद्ध धर्म संपरिर्तन प्रतिषेध विधेयक-2025 (मतांतरण विरोधी विधेयक) में किए गए हैं।
विधेयक के अनुसार गलत तरीके से सामूहिक रूप से मतांतरण पर न्यूनतम 25 लाख रुपये का जुर्माना होगा। मतांतरण के लिए विदेशी और अवैध संस्थान से आर्थिक सहायता लेने पर 10 से 20 साल की सजा और न्यूनतम 20 लाख रुपये के जुर्माने की सजा हो सकेगी।
मतांतरण विरोधी विधेयक को हंगामे के बीच पारित
विधानसभा में मतांतरण विरोधी विधेयक को हंगामे के बीच पारित किया गया। विधेयक पर बहस में कांग्रेस के विधायक शामिल नहीं हुए। इस दौरान अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने विधेयक ध्वनिमत से पारित करवाया।
विधेयक के अनुसार धर्म परिवर्तन के उद्देश्य से शादी करने को मतांतरण की परिभाषा में शामिल किया जाएगा। अगर कोई बहला-फुसलाकर, झूठे वादे कर या गलत जानकारी देकर किसी से शादी करता है और बाद में धर्म बदलवाता है तो इसे मतांतरण माना जाएगा।
ऐसे मामलों में सजा होगी और इसको लव जिहाद से जोड़कर देखा जा सकेगा। धर्म परिवर्तन के उद्देश्य से की गई शादी को न्यायालय से शून्य घोषित किया जा सकेगा। विधेयक में यह स्पष्ट किया गया है कि 'घर वापसी' (अपने मूल धर्म में लौटना) को मतांतरण नहीं माना जाएगा।
जबरन मतांतरण गैर जमानती अपराध होगा
विधेयक में जबरन मतांतरण को गैर जमानती अपराध मानने का प्रविधान किया गया है। अवैध मतांतरण पर कम से कम सात साल और अधिकतम 14 साल की सजा व पांच लाख रुपये जुर्माने का प्रविधान किया गया है।
नाबालिग, दिव्यांग, महिला, अनुसूचित जाति और जनजाति के व्यक्ति का जबरन मतांतरण करवाने पर कम से कम 10 और अधिकतम 20 साल की सजा के साथ ही न्यूनतम 10 लाख रुपये का जुर्माना हो सकेगा। यदि कोई एक से अधिक बार अपराध करता है और लगातार मतांतरण करवाता है तो उसे आजीवन कारावास की सजा और न्यूनतम 50 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।
विधेयक में अन्य मुख्य प्रविधान
- मर्जी से मतांतरण में भी 90 दिन पहले जिला कलेक्टर या अतिरिक्त जिला कलेक्टर के समक्ष आवेदन करना होगा और हलफनामा देना होगा कि वह सहमति से मतांतरण करना चाहता है।
- मतांतरण की सार्वजनिक सूचना देनी होगी। मतांतरण करवाने वाले धर्माचार्य को दो महीने पहले कलेक्टर के यहां नोटिस देना होगा। कलेक्टर कार्यालय के नोटिस बोर्ड पर यह सूचना चस्पा कर आपत्तियां मांगी जाएंगी। आपत्ति होने पर उसकी सुनवाई और निपटारे के बाद मतांतरण हो सकेगा।
- कलेक्टर को सूचना दिए बिना मतांतरण करने वालों को सात से 10 साल तक की सजा और तीन लाख रुपये तक के जुर्माने की सजा का प्रविधान विधेयक में किया गया है।
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