Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पांचवीं पीढ़ी की महिला अधिकारी सेना में शामिल, परदादा के पिता के समय से चली आ रही देशसेवा की परंपरा

    Updated: Sat, 06 Sep 2025 07:22 PM (IST)

    चेन्नई स्थित ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी में 25 महिलाओं समेत 155 ऑफिसर कैडेटों को कमीशन मिला। लेफ्टिनेंट पारुल धड़वाल सेना आयुध कोर में शामिल हुईं जो अपने सैन्य परिवार की पांचवीं पीढ़ी की पहली महिला अधिकारी हैं। उन्हें राष्ट्रपति स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया। होशियारपुर जिले के जनौरी गांव की पारुल के परिवार की सैन्य परंपरा उनके परदादा से चली आ रही है।

    Hero Image
    लेफ्टिनेंट पारुल धड़वाल को सेना आयुध कोर में शामिल किया गया (फोटो: @adgpi)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चेन्नई स्थित ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी में शनिवार को एक गौरवपूर्ण क्षण देखने को मिला। शानदार पासिंग आउट परेड के दौरान 25 महिलाओं सहित 155 ऑफिसर कैडेटों को सेना में कमीशन प्रदान किया गया। इस दौरान एक और ऐतिहासिक पल नजर आया।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    लेफ्टिनेंट पारुल धड़वाल को सेना आयुध कोर में शामिल किया गया। वह अपने प्रतिष्ठित सैन्य परिवार की पांचवीं पीढ़ी की पहली महिला अधिकारी हैं। ऑर्डर ऑफ मेरिट में प्रथम स्थान पाने के कारण उन्हें राष्ट्रपति स्वर्ण पदक से सम्मानित भी किया गया। यह ऐसी उपलब्धि है, जो उनकी लगन और योग्यता को रेखांकित करती है।

    होशियारपुर जिले के जनौरी गांव से आती हैं पारुल

    लेफ्टिनेंट पारुल धड़वाल पंजाब के होशियारपुर जिले के जनौरी गांव से आती हैं। यह क्षेत्र सैन्य परंपरा के लिए प्रसिद्ध है। सेना में शनिवार को कमीशनिंग एक उल्लेखनीय पल था, जहां विरासत और आधुनिकता का संगम दिखा। पारुल के परिवार की सेवा की परंपरा उनके परदादा के पिता सूबेदार हरनाम सिंह (74वीं पंजाब रेजीमेंट) से चली आ रही है।

    उन्होंने एक जनवरी 1896 से 16 जुलाई 1924 तक सेना में सेवा दी थी। परदादा मेजर एल.एस. धड़वाल 3 जाट रेजिमेंट का हिस्सा थे, जबकि तीसरी पीढ़ी में कर्नल दलजीत सिंह धड़वाल (7 जेएके राइफल्स) और ब्रिगेडियर जगत जामवाल (3 कुमाऊं) ने विशिष्ट सेवा की थी। यह परंपरा उनके पिता मेजर जनरल के.एस. धड़वाल और उनके भाई कैप्टन धनंजय धड़वाल तक चली आई। दोनों ही 20 सिख रेजिमेंट में सेवा दे रहे हैं।

    एक ही परिवार की दो पीढि़यों से तीन सेवारत अधिकारियों का यह दुर्लभ उदाहरण राष्ट्र के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है। लेफ्टिनेंट पारुल धड़वाल का कमीशन न केवल इस शानदार सैन्य परंपरा को मजबूत करता है, बल्कि भारतीय सशस्त्र बलों में महिलाओं की बढ़ती भूमिका को भी उजागर करता है।

    (न्यूज एजेंसी एएनआई के इनपुट के साथ)

    यह भी पढ़ें- इस फिल्म में रियल इंडियन आर्मी ने लड़ा था युद्ध, मेकर्स ने ली थी स्पेशल परमिशन

    comedy show banner
    comedy show banner