VIDEO: 'समलैंगिकता अपराध नहीं'....सुनते ही, रो पड़ा LGBT समुदाय; कहीं खुशी, कहीं विरोध
LGBT समुदाय के अलावा देश का एक वर्ग तो धारा 377 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुश है, लेकिन एक दूसरा वर्ग इसका विरोध अब भी कर रहा है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। लंबे अरसे से धारा 377 के खिलाफ जंग लड़ रहे समलैंगिक वयस्कों के चेहरे पर आज राहत और खुशी की लहर दिख रही है। सुप्रीम कोर्ट के फैसला सुनने के लिए आज सुबह से ही LGBTQ समुदाय (लेस्बियन-गे-बायसेक्शुअल-ट्रांसजेंडर-क्वीर) के लोग अपने टेलीविजन सेट या फिर मोबाइल से चिपके हुए थे और जब शीर्ष अदालत ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए धारा 377 को अवैध करार दिया।
सभी की आंखों से खुशी के आंसू गिरने लगे। इन्हें देखकर ऐसा लगा कि बरसों से बेचैन इंसान को आज राहत की सांस मिली है। हालांकि LGBTQ समुदाय के अलावा देश का एक वर्ग तो इनकी इस खुशी में शरीक हो रहा है और कोर्ट के फैसले का स्वागत कर रहा है। हालांकि एक दूसरा वर्ग भी है, जो इस फैसले के विरोध में है।
फैसले का स्वागत, खुशी से झूमे
- LGBT कार्यकर्ता अंकित गुप्ता ने कहा, 'आज का सुप्रीम कोर्ट का फैसला वास्तव में ऐतिहासिक है। यह बताता है कि भारत के संविधान द्वारा दिए गए अधिकारों पर एलजीबीटी समुदाय का भी हक है। यह जश्न मनाने का दिन है। हमने कानूनी लड़ाई जीती है, लेकिन समाज के बीच हमें अभी भी जीत हासिल करनी है।'
- LGBT अधिकारों के लिए काम करने वाले कार्यकर्ता और 'हमसफर' ट्रस्ट के संस्थापक अशोक रौ कवि ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा समलैंगिकता को अपराध के दायरे से बाहर करने पर कहा, 'हमें आखिरकार न्याय मिल गया है। हम आखिरकार आजाद हिन्द में आजाद हो गए हैं।'
- जाने-माने लेखक चेतन भगत ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सराहा है। उन्होंने ट्वीट कर कहा,'आखिरकार धारा 377 को खत्म कर दिया गया। एक पुराना कानून जिसे खत्म करने की जरूरत थी। सभी लोगों को बधाई।' उन्होंने आगे कहा, 'भारत एक ऐसा देश है जहां संस्कृति हर 100 किमी में बदल जाती है। विविधता को स्वीकार करना हर भारतीय का मूल मूल्य होना चाहिए और स्पष्ट रूप से इससे भारत ही आगे बढ़ेगा। धारा 377 इस दिशा में एक कदम है। यह भारत के लिए एक अच्छा दिन है।'
नेताओं की प्रतिक्रिया
- सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा, 'मैं निजी तौर पर धारा 377 को खत्म करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करता हूं। इस देश में हमने सरकार को लोगों की निजी जीवन में हस्तक्षेप करने की अनुमति दी है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट हर नागरिक को बराबरी से देखता है।'
- कपिल सिब्बल ने ट्वीट कर कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 377 सुप्रीम कोर्ट द्वारा असंवैधानिक घोषित की गई है। अदालत ने पक्षपात को पीछे छोड़, स्वतंत्रता को अपनाया है। लेकिन स्वतंत्रता की यात्रा अभी शुरू हुई है। कई जंगों को अभी लड़ना बाकी है।
फिल्म जगत की प्रतिक्रिया
- सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद बॉलीवुड के मशहूर फिल्म डायरेक्टर करण जौहर ने ट्वीट करके खुशी जताई। उन्होंने समलैंगिकता को अपराध नहीं मानने और धारा 377 खत्म करने पर देश को ऑक्सीजन वापस मिलने की बात कही। उन्होंने ट्वीट में लिखा, 'ऐतिहासिक फैसला... बहुत गर्व महसूस कर रहा हूं... समलैंगिकता को अपराध नहीं मानना और धारा 377 को खत्म करना मानवता तथा समान अधिकारों के लिए बड़ी उपलब्धि... देश को ऑक्सीजन वापस मिल गई है।'
- बॉलीवुड अभिनेता आमिर खान ने भी ट्वीट कर कहा, 'हम धारा 377 को खत्म करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का शुक्रिया अदा करते हैं। यह उन लोगों के लिए एक ऐतिहासिक दिन है जो सभी के लिए समान अधिकारों पर विश्वास रखते हैं। न्यायपालिका ने अपना कर्तव्य पूरा है और अब हमें अपना कर्तव्य पूरा करना होगा।'
- समलैंगिकता के फैसले के बाद एक्ट्रेस स्वरा भास्कर ने भी ट्वीट कर कहा, 'सुप्रीम कोर्ट में पिटिशन दर्ज करने वाले और इससे जुड़े एक्टिविस्ट को बधाई। भारत अब ऐसा आजाद देश हो गया है, जहां हर वर्ग के लोग रह सकते हैं।'
खुशी के आंसुओं के बीच जश्न
- सुप्रीम कोर्ट की पांच-सदस्यीय संविधान पीठ द्वारा धारा 377 को निरस्त करने और समलैंगिकता को अपराध के दायरे से बाहर करने पर दिल्ली के ललित होटल में लोग जश्न मनाते दिखे। ललित ग्रुप ऑफ होटल्स के कार्यकारी निदेशक केशव सूरी जाने-माने LGBT कार्यकर्ता हैं।
धारा 377 मामले में याचिकाकर्ता और ललित होटल के कार्यकारी निदेशक केशव सूरी ने कोर्ट के फैसले पर कहा, 'इस पर काम करने वाले सभी वकीलों और जजों का साक्षात्कार और धन्यवाद किया जाना चाहिए। मैं कोई नहीं हूं, लेकिन इन लोगों को धन्यवाद कहना चाहिए। यह जश्न मनाने का समय है।'
- चेन्नई में लोगों ने एक-दूसरे के केक खिलाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया। कुछ ऐसी ही खुशी का माहौल मुंबई में भी देखने को मिला।
आरएसएस ने दी फैसले पर ये प्रतिक्रिया
वहीं आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचारक अरुण कुमार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कहा है कि, सुप्रीम कोर्ट की तरह हम भी इस फैसले को अपराध नहीं मानते हैं, लेकिन ऐसे रिश्ते न तो प्राकृतिक हैं और न ही वांछनीय हैं। परंपरागत रूप से, भारतीय समाज भी ऐसे संबंधों को नहीं पहचान पाता है। एक इंसान आमतौर पर अनुभवों से सीखता है, यही कारण है कि इस विषय को सामाजिक और मनोवैज्ञानिक स्तर पर निपटाया जाना चाहिए।
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