Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    आइए जानते हैं क्यों पनपती है नफरत की भावना और इससे कैसे उबरा जाए?

    मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि बचपन के अनुभवों का हमारे व्यक्तित्व पर गहरा प्रभाव पड़ता है। माता-पिता द्वारा बच्चों की अनावश्यक आलोचना प्यार और संरक्षण की कमी भेदभाव घर-परिवार के लोगों के बुरे बर्ताव या आर्थिक अभाव के कारण पहले बच्चों में असंतोष पैदा होता है।

    By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Wed, 30 Sep 2020 01:04 PM (IST)
    अपना दृष्टिकोण सकारात्मक बनाए रखें और खुशमिजाज लोगों के साथ दोस्ती बढ़ाएं।

    रुचिका। कभी न कभी हम सभी के मन में नफरत की भावना आ ही जाती है, लेकिन जब यह भावना बढ़ने लगे तो स्वयं के लिए भी नुकसानदेह साबित होती है। क्यों पनपती है यह भावना और इससे कैसे उबरा जाए? आइए जानते हैं... एक सरकारी स्कूल में अध्यापिका नमिता शर्मा कहती हैं कि जब कभी मेरे मन में नफरत की भावना आती है तो मैं इससे अपना ध्यान हटाकर किचन के काम में व्यस्त हो जाती हूं। कारण, कुकिंग मेरी हॉबी है और किचन में जाकर मैं सारी नकारात्मक बातें भूल जाती हूं। किचन में कुछ समय बिताने के बाद मेरे दिल से नफरत बिल्कुल गायब सी हो जाती है और नफरत के लिए कोई जगह ही नहीं बचती।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इस संदर्भ में मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि जब हम किसी व्यक्ति को नापसंद करते हैं या हमारे मन में किसी बात को लेकर असंतुष्टि होती है तो हमारे भीतर अपने आप नफरत की भावना पनपने लगती है। हर इंसान के मन में कहीं न कहीं यह भावना जरूर छिपी होती है। प्रेम और करुणा जैसी सकारात्मक भावनाओं की तरह हमारे दिल में नफरत का होना भी स्वाभाविक है। हालांकि एक सीमित मात्रा तक तो इसे नजरअंदाज किया जा सकता है, लेकिन जब किसी के मन में यह भावना बहुत ज्यादा पैदा होने लगे तो इसे नियंत्रित करना जरूरी होता है अन्यथा इसकी वजह से व्यक्ति के जीवन में कई तरह की जटिलताएं पैदा हो जाती हैं।

    इसकी पहचान : अपने आसपास के लोगों के प्रति क्षणिक रूप से नफरत की भावना पैदा होना स्वाभाविक है, लेकिन बिना किसी ठोस कारण के दूसरों के प्रति घृणा पैदा होना, मन में हमेशा नकारात्मक विचार आना, मन में तरह-तरह हिंसक ख्याल आना, अकेले और गुमसुम रहना आदि लक्षण हमारे लिए खतरे के संकेत हो सकते हैं। ये हमारे पूरे व्यक्तित्व पर नकारात्मक असर डालते हैं। अगर किसी को अपने भीतर ऐसे लक्षण दिखाई दें तो उसे सचेत हो जाना चाहिए।

    क्यों होता है ऐसा : मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि बचपन के अनुभवों का हमारे व्यक्तित्व पर गहरा प्रभाव पड़ता है। माता-पिता द्वारा बच्चों की अनावश्यक आलोचना, प्यार और संरक्षण की कमी, भेदभाव, घर-परिवार के लोगों के बुरे बर्ताव या आर्थिक अभाव के कारण पहले बच्चों में असंतोष पैदा होता है, जो समय के साथ नफरत में बदल जाता है। युवावस्था में कॅरियर  में नाकामी, दोस्ती में धोखा, ब्रेकअप या तलाक  की वजह से भी व्यक्ति के मन में नफरत की भावना पैदा होती है। ऐसी समस्या से त्रस्त लोग केवल परिवार ही नहीं, बल्कि प्रोफेशनल लाइफ में भी दुखी रहते हैं।

    बचाव के उपाय

    अगर अतीत में आपके साथ कुछ खराब हुआ है तो भी उसे भूलकर आगे बढ़ने की कोशिश करें।

    अपनी रुचियों पर ध्यान केंद्गित करें। इससे आपके लिए अपने मन से नफरत को निकाल पाना आसान होगा।

    अपने करीबी लोगों के साथ दिल की बातें शेयर करें। इससे आपका मन हलका होगा और आप नफरत से बची रहेंगी।

    ऐसी मन:स्थिति में व्यक्ति को गुस्सा बहुत जल्दी आता है। इसलिए अपने गुस्से के सही कारण को पहचान कर उसे दूर करने की कोशिश करनी चाहिए।

    अपना दृष्टिकोण सकारात्मक बनाए रखें और खुशमिजाज लोगों के साथ दोस्ती बढ़ाएं। इसके साथ ही उनकी अच्छी आदतों को खुद भी अपनाने की कोशिश करें।