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    Leprosy Prevention Day 2020: उपचार योग्य है कुष्ठ रोग, प्रारंभिक अवस्था में उपचार रोकता विकलांगता

    By Vinay TiwariEdited By:
    Updated: Thu, 30 Jan 2020 08:27 AM (IST)

    Leprosy Prevention Day 2020 कुष्ठ रोग को हैनसेन रोग के नाम से भी जाना जाता है। ब्राजील इंडोनेशिया और भारत सबसे अधिक कुष्ठ रोग वाले देश है।

    Leprosy Prevention Day 2020: उपचार योग्य है कुष्ठ रोग, प्रारंभिक अवस्था में उपचार रोकता विकलांगता

    नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। Leprosy Prevention Day 2020 हर साल जनवरी के अंतिम रविवार को पूरे विश्व में विश्व कुष्ठ दिवस मनाया जाता है, यदि जनवरी के अंतिम सप्ताह में रविवार नहीं पड़ता है तो उसे अगले माह पड़ने वाले पहले रविवार को मनाया जाता है। इस बार जनवरी माह के अंतिम सप्ताह में रविवार नहीं पड़ रहा है। फरवरी की 2 तारीख को रविवार पड़ेगा।

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    विश्व कुष्ठ दिवस शीघ्रातिशीघ्र रोग उन्मूलन/निवारण के लिए प्रयास बढ़ाने और प्रतिबद्धता नवीकृत करने का अवसर प्रदान करता है। यह बच्चों में कुष्ठ रोग से संबंधित विकलांगों के शून्य मामलों के लक्ष्य पर केंद्रित है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए रोग का जल्दी पता लगाने के साथ-साथ कुष्ठ संचारण रोकने के लिए हस्तक्षेप मज़बूती एक महत्वपूर्ण बिंदु है। कुष्ठ रोग को हैनसेन रोग के नाम से भी जाना जाता है। ब्राजील, इंडोनेशिया और भारत सबसे अधिक कुष्ठ रोग वाले देश है। कुष्ठ रोग उपचार योग्य है तथा प्रारंभिक अवस्था में उपचार विकलांगता रोक सकता है।

    कुष्ठ रोग क्या है?

    कुष्ठ रोग दीर्घकालिक संक्रामक रोग है, जो कि बेसिलस, माइकोबैक्टेरियम लेप्री (एम. लेप्री) के कारण होता है। संक्रमण होने के बाद, औसतन पांच वर्ष की लंबी अवधि के बाद सामान्यत: रोग के लक्षण दिखाई देते है, क्योंकि एम. लेप्री धीरे-धीरे बढ़ता है। यह मुख्यत: मानव त्वचा, ऊपरी श्वसन पथ की श्लेष्मिका, परिधीय तंत्रिकाओं, आंखों और शरीर के कुछ अन्य क्षेत्रों को प्रभावित करता है।

    रोग को पॉसीबैसीलरी (पीबी) या मल्टीबैसीलरी (एमबी) के रूप में वर्गीकृत किया जाता है, जो कि बैसीलरी लोड पर निर्भर करता है। पीबी कुष्ठ रोग एक हल्का रोग है, जिसे कुछ (अधिकतम पांच) त्वचा के घावों (पीला या लाल) द्वारा पहचाना जाता है। जबकि एमबी कई (अधिक से अधिक) त्वचा के घावों, नोड्यूल, प्लाक/ प्लैक, मोटी त्वचा या त्वचा संक्रमण के साथ जुड़ा है।

    राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम (एनएलईपी)

    वर्ष 1955 में सरकार ने राष्ट्रीय कुष्ठ रोग नियंत्रण कार्यक्रम शुरू किया था। वर्ष 1982 से मल्टी ड्रग थेरेपी की शुरुआत के बाद, देश से रोग उन्मूलन के उद्देश्य से वर्ष 1983 में इसे राष्ट्रीय कुष्ठ रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनएलईपी) के रूप में बदल दिया गया। वर्ष 2005 में हालांकि राष्ट्रीय स्तर पर कुष्ठ रोग का उन्मूलन किया गया है लेकिन अब भी विश्व के लगभग 57% कुष्ठ रोगी भारत में रहते हैं। कुल 682 जिलों में से 554 जिलों (81.23%) ने मार्च 2017 तक उन्मूलन प्राप्त कर लिया हैं।

    रोग के मामले की शीघ्र जानकारी और उपचार ‘रोग उन्मूलन की कुंजी’ है, क्योंकि समुदाय में जल्दी कुष्ठ रोगियों का पता लगाने से समुदाय में संक्रमण के स्रोतों में कमी आएगी और रोग का संचारण भी रूकेगा। आशा रोग के मामलों का पता लगाने में मदद कर रही है तथा सामुदायिक स्तर पर संपूर्ण उपचार भी सुनिश्चित कर रही है; इसके लिए उसे प्रोत्साहन भुगतान दिया जा रहा है।

    रोग कैसे फैलता है?

    बैक्टीरिया संचारण के लिए अनुपचारित कुष्ठ रोग- से पीड़ित व्यक्ति एकमात्र ज्ञात स्रोत है। 

    • श्वसन पथ विशेषकर नाक, संक्रामक व्यक्तियों के शरीर से जीव के बाहर निकलने का प्रमुख मार्ग है।

    • रोग का कारण अनुपचारित मामलों के साथ नज़दीकी और लगातार संपर्क के दौरान नाक व मुंह से उत्सर्जित बूंदों द्वारा शरीर में श्वसन प्रणाली के माध्यम से जीव का प्रवेश होता है।

    • शरीर में प्रवेश करने के बाद जीव तंत्रिका और त्वचा में चला जाता है।

    • यदि शुरुआती चरणों में रोग का पता नहीं लगाया जाता है, तो इससे नसों को नुकसान हो सकता है तथा यह स्थायी विकलांगता उत्पन्न करता है।

    कुष्ठ रोग के संकेत और लक्षण क्या हैं?

    यदि किसी व्यक्ति में निम्नलिखित संकेत व लक्षण दिखाई देते है, तो कुष्ठ रोग हो सकता है:

    • सांवली-चमड़ी वाले लोगों की त्वचा पर हल्के पैच हो सकते हैं, जबकि सफ़ेद, गोरी-चमड़ी वाले लोगों में गहरे या लाल रंग के पैच हो सकते है।

    • त्वचा के चकत्तों/धब्बों में संवेदना की कमी या समाप्ति।

    • हाथों या पैरों में सुन्नता या झुनझुनी।

    • हाथों, पैरों या पलकों की कमजोरी।

    • दर्दनाक नसें।

    • लोलकी या चेहरे में सूजन या गांठ।

    • दर्दरहित घाव या हाथ या पैर जल जाते है।

    कुष्ठ रोग के संदेहास्पद के मामलों में क्या किया जाना चाहिए?

    कुष्ठ रोग के संकेत एवं लक्षणों की उपस्थिति के मामले में कृपया अपने क्षेत्र की आशा या एएनएम से संपर्क करें या नज़दीकी अस्पताल में जाएं। कुष्ठ रोग का उपचार भारत के सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों (डिस्पेंसरी) में नि:शुल्क उपलब्ध है।

    एमडीटी (बहु-औषधि उपचार/मल्टीड्रग थेरपी) क्या है?

    एमडीटी विभिन्न दवाओं का संयोजन है, क्योंकि किसी एकल एंटीलेप्रोसी दवा के साथ कभी भी कुष्ठ रोग का उपचार नहीं किया जाना चाहिए।

    • किसी व्यक्ति को कुष्ठ रोग के टाईप के अनुसार प्रशिक्षित स्वास्थ्य कार्यकर्ता द्वारा प्रस्तावित एमडीटी का पूरा कोर्स करना चाहिए।

    • दूरदराज के क्षेत्रों सहित अधिकांश सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में एमडीटी नि:शुल्क उपलब्ध है।

    स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान, वर्ष 2018

    स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान का आयोजन कुष्ठ रोग के बारे में जागरुकता उत्पन्न करने के लिए 30 जनवरी से 13 फरवरी तक पखवाड़े के दौरान वार्षिक अभियान के रूप में किया गया था।

    स्पर्श कुष्ठ उन्मूलन अभियान (एसएलईसी)

    स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के केंद्रीय कुष्ठ विभाग ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती पर, ‘स्पर्श कुष्ठ उन्मूलन अभियान (एसएलईसी)’ वार्षिक अभियान की शुरूआत की है। इस अभियान का उद्देश्य समाज में छिपे अनुपचारित नए कुष्ठ मामलों का, ग्रेड दो विकलांगता के साथ जनसंख्या के साथ पता लगाना है। इसे 36 राज्यों में शुरू किया गया है।

    मुख्य संदेश 

    • कुष्ठ रोग एमडीटी (बहु-औषधि उपचार/मल्टीड्रग थेरपी) के साथ उपचार योग्य है।

    • बहु-औषधि उपचार/मल्टीड्रग थेरपी का नियमित सेवन कुष्ठ रोग का पूरा उपचार सुनिश्चित करता है। यह विकृतियों से बचाता है तथा अन्य व्यक्तियों में संचारण रोकता है।

    • रोग की शीघ्र पहचान, पर्याप्त उपचार और पूरा कोर्स (दवा की अवधि) कुष्ठ रोग के कारण होने वाली विकलांगता रोकती है।

    • कुष्ठ वंशानुगत नहीं है; यह माता-पिता से बच्चों में प्रसारित नहीं होता है।

    • कुष्ठरोग कारण संबंधी स्पर्श जैसे कि हाथ मिलाने या साथ खेलने या एक ही कार्यालय में काम करने के माध्यम से नहीं फैलता है। अनुपचारित रोगियों के साथ नज़दीकी और

    लगातार संपर्क रोग के प्रसारण को बढ़ावा देता है।

    • कुष्ठरोग पिछले पापों या अनैतिक व्यवहार का परिणाम नहीं है। यह माइकोबैक्टीरियम लेप्री कहे जाने वाले बैक्टीरिया के कारण होता है।

    • कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों को आजीविका का अधिकार है तथा सम्मान के साथ जीने का अधिकार है।