PSU की नौकरी छोड़कर जागृति अवस्थी दूसरी रैंक के साथ बनी IAS टॉपर, दो साल की तैयारी में मिली सफलता
जागृति अवस्थी मूल रूप से उत्तरप्रदेश के मेरठ की रहने वाली हैं। उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग अपनी पढ़ाई की है। इसके बाद उन्होंने सरकारी उपक्रम भेल में काम किया। लेकिन नौकरी के दो साल बाद उन्होंने नौकरी छोड़ दी और सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी में लग गईं। (जागरण-फोटो)

नई दिल्ली, जेएनएन। IAS अधिकारी ये शब्द अपने नाम के आगे सुनना हर युवा का सपना होता है। एकाग्रता और लगन से पढ़ाई करने वाले छात्र इसके लिए पूरी तरह समर्पित रहते हैं। देश के कोने-कोने में लाखों युवा एक प्रतिष्ठित पद पर पहुंचने के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं। आप सभी ये जानते होंगे संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की ओर से आयोजित की जाने वाली सिविल सेवा परीक्षा बहुत कठिन होती है। इसमें सफल होने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है।
इस परीक्षा में सफल होने के लिए हर छात्र की अपनी अलग एक कहानी होती है, जो सभी को प्रेरित करती हैं। इनमें से ही एक कहानी है जागृति अवस्थी की आइए इस खबर में जानें उनके कामयाबी की कहानी-
जानें जागृति अवस्थी के बारें में
जागृति अवस्थी मूल रूप से उत्तरप्रदेश के मेरठ की रहने वाली हैं। उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग अपनी पढ़ाई की है। इसके बाद उन्होंने सरकारी उपक्रम भेल में काम किया। लेकिन नौकरी के दो साल बाद उन्होंने नौकरी छोड़ दी और सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी में लग गईं।
गेट की परीक्षा पास कर पाई भेल में नौकरी
जागृति शुरू से मेधावी छात्रा रही हैं, उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद जनरल एप्टीट्यूडट टेस्ट इन इंजीनियरिंग(गेट) की परीक्षा दी थी। इस परीक्षा में उन्होंने सफलता हासिल करते हुए भारत हेवी इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड(भेल) में नौकरी की।
छोड़ी नौकरी की IAS की तैयारी
अच्छे पैकेज पर नौकरी के बाद भी जागृति ने बीच में ही नौकरी छोड़ दी। उनके मन में आईएएस बनने का सपना पल रहा था। जिसे पूरा करने के लिए उन्होंने दिल्ली में एक कोचिंग संस्थान में दाखिला लिया। लेकिन, साल 2020 में कोविड-19 महामारी आने के बाद उन्हें भोपाल लौटना पड़ा। लेकिन उन्होंने अपनी तैयारी जारी रखते हुए ऑनलाइन माध्यम से पढाई शुरू की।
दूसरे प्रयास में मिली सफलता
जागृति पहले प्रयास में फेल हो गई थी। जागृति अवस्थी ने अपने दूसरे प्रयास में कड़ी मेहनत की। इस बार उन्होंने पहले के मुकाबले अधिक मेहनत की और रिविजन पर भी जोर दिया। ऐसे में उन्होंने दूसरे प्रयास में न सिर्फ परीक्षा को पास किया, बल्कि दूसरी रैंक के साथ वह आईएएस टॉपर भी बन गई।
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