'मैं अपने करियर में इतना शर्मिंदा कभी नहीं हुआ', SC में वकील ने दायर किया AI से लिखा फर्जी हलफनामा; फिर मांगी माफी
देश की सबसे बड़ी अदालत में एक वकील ने एआई की मदद से फर्जी हलफनामा दायर किया, जिसमें काल्पनिक केसों का हवाला दिया गया था। सीनियर एडवोकेट नीरज किशन कौल ...और पढ़ें
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जस्टिस दीपंकर दत्ता और जस्टिस ए जी मसीह की बेंच ने कहा कि इस मामले को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश की सबसे बड़ी अदालत में एक पक्षकार ने चैटजीपीटी जैसे एआई टूल की मदद से पूरा रिटेनडर तैयार किया और उसमें दर्जनों ऐसे केसों का हवाला दे दिया जो कभी अस्तित्व में ही नहीं थे। कुछ केस असली थे, लेकिन उनके फैसलों को पूरी तरह पलट कर लिख दिया गया।
जस्टिस दीपंकर दत्ता और जस्टिस ए जी मसीह की बेंच ने इसे न्यायिक इतिहास का पहला दर्ज मामला बताते हुए साफ कह दिया, "इसे हम यों ही जाने नहीं दे सकते हैं।"
फर्जी केसों का रेफरेंस
ओमकारा एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी की तरफ से दलील दे रहे सीनियर एडवोकेट नीरज किशन कौल ने बेंच के सामने कहा, "माई लॉर्ड्स, सामने वाले ने जो जवाबी हलफनामा दाखिल किया है उसमें ज्यादातर केस काल्पनिक हैं। यह साफ-साफ एआई से तैयार किया गया दस्तावेज है।"
कौल ने आगे कहा कि कुछ असली केसों के नाम तो लिए गए हैं, लेकिन उनमें तय कानूनी सवालों को मनमाने ढंग से बदल दिया गया। उनका साफ आरोप था, "यह सिर्फ गलती नहीं, सोची-समझी धोखाधड़ी है।"
'मैं अपनी करियर में इतना शर्मिंदा नहीं हुआ'
गस्टाड होटल्स बेंगलुरु के मालिक दीपक राहेजा की तरफ से पेश सीनियर एडवोकेट सी ए सुंदरम बेंच के सामने सर झुकाए खड़े थे। उन्होंने कहा, "माई लॉर्ड्स, मैं अपने करियर में आज तक इतना शर्मिंदा नहीं हुआ। यह बहुत गंभीर भूल हो गई है।"
सुंदरम ने एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड का हलफनामा पढ़कर सुनाया जिसमें वकील ने बिना शर्त माफी मांगी और वादा किया कि आगे से कभी ऐसा नहीं होगा। उन्होंने पूरा जवाब वापस लेने की गुजारिश की, लेकिन कोर्ट ने मना कर दिया।
कोर्ट की सख्त टिप्पणी
बेंच ने हैरानी जताई, "हलफनामे में साफ लिखा है कि दस्तावेज मुकदमेबाज की देखरेख में तैयार हुआ, फिर सारी जिम्मेदारी सिर्फ एओआर पर क्यों?" कोर्ट ने साफ कहा, "हम इसे नजरअंदाज नहीं कर सकते।"
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