Personal Data Protection Bill: उपभोक्ताओं के निजी डेटा के संरक्षण के लिए कानून की जरूरत: RBI Deputy Governor
आर्थिक शोध संस्थान एनसीएईआर के सेमिनार में बोलते हुए आरबीआइ के डिप्टी गवर्नर रबि शंकर ने कहा कि डिजिटलीकरण की तेज रफ्तार होने से भारत में अत्यधिक मात्रा में डेटा उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि आज डेटा का मतलब पैसा है। डेटा का मौद्रीकरण किया जा सकता है।
नई दिल्ली, एजेंसी। आरबीआइ के डिप्टी गवर्नर टी रबि शंकर ने सोमवार को कहा कि उपभोक्ताओं की निजता को सुरक्षित रखने के लिए एक कानून की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इससे उपभोक्ताओं से संबंधित आंकड़ों का मौद्रीकरण जिम्मेदारी से कर पाना संभव होगा। सरकार ने पिछले महीने निजी डेटा संरक्षण विधेयक को लोकसभा से वापस ले लिया था। उस समय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने उम्मीद जताई थी कि संसद के बजट सत्र में डेटा संरक्षण का नया कानून पारित हो जाएगा। आर्थिक शोध संस्थान एनसीएईआर के सेमिनार में बोलते हुए रबि शंकर ने कहा कि डिजिटलीकरण की तेज रफ्तार होने से भारत में अत्यधिक मात्रा में डेटा उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि आज डेटा का मतलब पैसा है। डेटा का मौद्रीकरण किया जा सकता है।
लिहाजा कारोबार के लिए डेटा खासी अहमियत रखता है। लेकिन उसी के साथ हमें नियम-कानून भी बनाने होंगे, जो उपभोक्ताओं के निजी डेटा को सुरक्षित रखने के साथ इसके मौद्रीकरण को जिम्मेदारी से भी अंजाम देना संभव बना सके। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं से संबंधित जानकारियों का मौद्रीकरण एक हद तक उनकी सहमति से ही किया जाना चाहिए।
संसद से वापस लिए जा चुके निजी डेटा संरक्षण विधेयक में नागरिकों की सहमति के बगैर उनके व्यक्तिगत डेटा के इस्तेमाल पर पाबंदियां लगाने की बात कही गई थी। इसके अलावा इस विधेयक में डेटा संरक्षण प्राधिकरण बनाने का भी प्रस्ताव रखा गया था।
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बता दें सरकार ने भारत में उपभोक्ताओं के निजी डेटा को सुरक्षित करने के मकसद से 2018 में ही इस विधेयक को लाने की तैयारी शुरू कर दी थी। इसके नियम तय कर के ड्राफ्टिंग करने तक सरकार ने चार साल का समय लिया था। इसके बावजूद अब इस बिल को वापस ले लिया गया।
सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस श्रीकृष्ण कमेटी ने इस विधेयक का ड्राफ्ट पेश किया था। इस ड्राफ्ट की समीक्षा संसदीय कमेटी ने भी की और नवंबर 2021 में इसमें बदलाव के प्रस्ताव सौंपे गए। हालांकि, अब केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने विधेयक को वापस लेने के सरकार के फैसले की वजह भी बताई है।
उन्होंने कहा है कि निजी डेटा सुरक्षा विधेयक, 2019 पर संसद की संयुक्त समिति (जेसीपी) ने काफी विचार किया। इसमें 81 संशोधन प्रस्तावित किए गए थे। इसके अलावा भारत के डिजिटल इकोसिस्टम के लिए एक समग्र कानूनी ढांचा बनाने के लिए भी 12 प्रस्ताव सौंपे गए थे। अब सरकार एक वृहद कानूनी ढांचे के लायक नए विधेयक को जल्द पेश करने की तैयारी में है।
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